किम ने यूं ही नहीं बदली है अपनी तानाशाह की छवि, इसके पीछे है बड़ी सोच
दक्षिण कोरिया में तैनात अमेरिकी मिसाइल सिस्टम थाड को हटाए जाने का भी जिक्र किम इस बैठक में कर सकते हैं।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। कोरियाई प्रायद्वीप को लेकर शुक्रवार का दिन बेहद अहम है। अहम इसलिए क्योंकि इसी दिन उत्तर और दक्षिण कोरिया के राष्ट्राध्यक्षों के बीच वर्षों बाद फिर से मुलाकात हो रही है। लगभग एक दशक तक दुनिया में तनाव कायम रखने के बाद उत्तर कोरिया की सोच में आए इस परिवर्तन की भी कई वजह हैं। छह परमाणु परीक्षण करने के बाद किम जोंग उन ने अपनी जो छवि अब बनाने की कोशिश की है वह दरअसल यूं ही नहीं है। इस छवि को बनाने से पहले उन्होंने जो तानाशाह की छवि को बनाए रखा हुआ था उसके ही चलते वह अपने देश को एक परमाणु ताकत बनाने में सफल हुए। इसी सप्ताह जब किम ने अब कोई परमाणु परीक्षण न करने और अपनी परमाणु परीक्षण की साइट को बंद करने की बात कही तो इसका सभी देशों ने खुलकर स्वागत किया था। लेकिन जापान ने इसको लेकर संदेह व्यक्त किया था। हालांकि उत्तर कोरिया ने अब अपनी एक परमाणु साइट को अस्थाई तौर पर नष्ट कर दिया है।
शांति की उम्मीद
उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन के कोरियाई शिखर वार्ता में शामिल होने के ऐतिहासिक फैसले के बाद क्षेत्र में शांति की उम्मीद जगी है। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जेई-इन के साथ शिखर बैठक के लिए किम जोंग शुक्रवार को असैन्यकृत क्षेत्र में युद्ध विराम गांव पैनमुंजोम पहुंचेंगे। कोरिया युद्ध के 65 वर्षों बाद पहली बार उत्तर कोरिया का शासक दक्षिण में पांव रखेगा। दोनों देशों के नेताओं के बीच यह तीसरी बैठक होगी। पहली दोनों बैठकें उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग में हुई थीं। इससे पहले किम के पिता किम जोंग इल ने सन् 2000 में दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति किम देई-जुंग और 2007 में रोह मू-ह्यून से मुलाकात की थी।
यू ही नहीं बदली किम की छवि
पिछले वर्ष सितंबर में किए गए परीक्षण के बाद से उत्तर कोरिया की सेाच में जो बदलाव देखने को मिला उसकी सबसे बड़ी वजह यह थी कि वह पूरी दुनिया खासकर अमेरिका को अपनी ताकत का अंदाजा करवा चुका था। उसके पास में अब अहम बिंदू हैं जिनको लेकर वह अमेरिका ही नहीं बलिक पूरे विश्व के साथ समझौता कर सकता है। इससे पहले उत्तर कोरिया की छवि एक ऐसे मुल्क की थी जो बेहद अलग-थलग था और जहां की सत्ता महज एक तानाशाह के हाथों में थी। किम को तानाशाह भी इसलिए कहा गया क्योंकि उन्होंने छोटी छोटी गलतियों के लिए अहम पदों पर बैठे अपने ही रिश्तेदारों को दर्दनाक मौत दी थी। उसके तानाशाह कहलाने की दूसरी वजह ये भी थी कि जब तक कि उसने अपनी परमाणु ताकत जिसके दम पर वह सौदा कर सके, को हासिल नहीं कर लिया वह लगातार इसका प्रयास करता रहा। भले ही इस दौरान उसको कितने ही कड़े प्रतिबंधों से क्यों न गुजरना पड़ा। इस दौर में उसने न सिर्फ परमाणु मिसाइल का लगातार परीक्षण किया बल्कि हाईड्रोजन बम का सफल परीक्षण करने का भी दावा किया, जिसकी हलचल सीमा पार जापान और दक्षिण कोरिया तक में भी महसूस की गई।
किम का सकारात्मक रवैया
कोरियाई प्रायद्वीप में शांति को लेकर शुक्रवार को जो बैठक होने जा रही है उसमें दोनों देशों की सूझबूझ और सकारात्मक रवैये को नकारा नहीं जा सकता है। नवंबर के बाद परमाणु परीक्षण न करने और विंटर ओलंपिक गेम्स में अपनी टीम भेजने के फैसले ने किम जोंग उन की छवि को बदलने में काफी अहम भूमिका निभाई। इतना ही नहीं इस दौरान किम की तरफ से बार-बार दक्षिण कोरिया को लेकर सकारात्मक रवैया अपनाया जाता रहा। इसमें तीसरी अहम भूमिका दक्षिण कोरिया की तरफ से उस वक्त निभाई गई जब दोनों देश की टीम ने विंटर ओलंपिक गेम्स में एक झंडे के नीचे आकर मार्चपास्ट किया। इस पल ने पूरी दुनिया में न सिर्फ किम की छवि को बदलने में सहायक भूमिका निभाई बल्कि दोनों देशों को करीब लाने में सहायक साबित हुए। इसके अलावा इस ओलंपिक गेम्स के उद्घाटन समारोह में विशेष अतिथी के तौर पर पहुंची किम की बहन को दक्षिण कोरिया ने सिर-आंखों पर बिठाया।
बैठकों का दौर
ओलंपिक गेम्स से इतर दोनों नेताओं के बीच कई दौर की बैठकें भी हुईं। यह सबकुछ किम की छवि बदलने में सहायक साबित हुआ। इतना ही नहीं इस दौरान पहली बार यह देखने को मिला कि ओलंपिक गेम्स के बाद दक्षिण कोरिया और अमेरिका के बीच हुए सैन्य अभ्यास को लेकर किम जोंग उन की तरफ से कोई टिप्पणी नहीं की गई। वरना इससे पहले हर बार किम ने अमेरिका और दक्षिण कोरिया के इस तरह के सैन्य अभ्यास को लेकर तीखी टिप्पणी की जाती रही है। आपको बता दें कि उत्तर कोरिया हमेशा से ही इस तरह के अभ्यास को अपने ऊपर हमले का पूर्वाभ्यास बताता आया है।
नहीं की तीखी टिप्पणी
परमाणु परीक्षण के बाद बीते आठ माह के दौरान ऐसा एक बार भी नहीं हुआ कि किम ने कोई भी तीखी टिप्पणी किसी के लिए की हो। इस दौरान अमेरिका के सीआईए प्रमुख माइक पोंपियो ने भी उत्तर कोरिया की यात्रा की। इसी दौरान पहली बार दक्षिण कोरिया का म्यूजिकल ग्रुप भी उत्तर कोरिया गया, जिसका स्वागत खुद किम जोंग उन ने किया। इसी दौरान दक्षिण कोरिया के एनएसए, जिन्होंने दोनों देशों के बीच एक पुल बनाने में काफी अहम भूमिका निभाई थी, ने भी उत्तर कोरिया का दौरा किया। इसी दौरान चीन की तरफ से भी वरिष्ठ अधिकारी और नेताओं ने उत्तर कोरिया का दौरा किया। उनके ही समक्ष किम ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बातचीत के लिए हामी भरी थी। चीन की बात चली है तो आपको बता दें कि पिछले माह ही किम जोंग उन अपनी पहली विदेश यात्रा के तौर पर बीजिंग पहुंचे थे। उनका बीजिंग जाना भी मौजूदा हालात के मद्देनजर ही था।
जब भावुक हुए किम
हाल ही में किम की एक और छवि सामने आई जिसमें वह एक मरीज का हाथ पकड़े उसका हालचाल जान रहे थे। दरअसल, दो दिन पहले जब उत्तर कोरिया में एक बस खाई में गिर गई थी। राजधानी प्योंगयोंग में एक भीषण सड़क हादसे में 32 चीनी नागरिकों सहित 36 लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए। मंगलवार को किम अस्पताल पहुंचे और घायलों को देखकर काफी भावुक हो गए थे। यहां पर आपको बता दें कि किम ने जब अपनी बहन को पार्टी में अहम पद पर बिठाया था उस वक्त इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि किम शायद अब अपनी छवि को बदलने की कवायद कर रहे हैं। हालांकि यह कयास कहीं न कहीं सही साबित हुए हैं। किम की बहन ने इस काम को बखूबी अंजाम भी दिया है।
कल होने वाली बैठक का एजेंडा
शिखर बैठक के दौरान उत्तर कोरिया के परमाणु जखीरे का एजेंडा सबसे ऊपर रहेगा।
औपचारिक तौर पर युद्ध समाप्त करने लिए दोनों कोरिया के बीच शांति संधि पर भी चर्चा हो सकती है।
किम और मून की बैठक से आगामी बैठक के लिए भी रास्ता साफ हो सकता है।
इस बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से होने वाली बैठक पर भी चर्चा हो सकती है।
मुमकिन है कि किम की तरफ से भविष्य में अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बीच सैन्य अभ्यास को कम करने या बंद करने का भी मुद्दा उठाया जाए।
दक्षिण कोरिया में तैनात अमेरिकी मिसाइल सिस्टम थाड को हटाए जाने का भी जिक्र किम इस बैठक में कर सकते हैं। थाड की तैनाती को लेकर चीन पहले ही अपना विरोध दर्ज करवा चुका है।