Move to Jagran APP

Kabul Bomb Blasts : बिना योजना के इतना बड़ा हमला मुश्किल, तालिबान की भूमिका पर शक

अफगानिस्तान से लौटे भारतीय सुरक्षा एजेंसियों और कूटनीतिक सूत्रों का कहना है कि काबुल में इतना बड़ा हमला कोई छोटा समूह कर ही नहीं सकता जबकि तालिबान आतंकी एयरपोर्ट के रास्ते पर हर 20 मीटर की दूरी पर तैनात हैं। पढ़ें यह रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 27 Aug 2021 10:09 PM (IST)Updated: Fri, 27 Aug 2021 11:11 PM (IST)
Kabul Bomb Blasts : बिना योजना के इतना बड़ा हमला मुश्किल, तालिबान की भूमिका पर शक
कूटनीतिक सूत्रों का कहना है कि काबुल में इतना बड़ा हमला कोई छोटा समूह कर ही नहीं सकता...

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। काबुल में गुरुवार को हुए विस्फोट की जिम्मेदारी आतंकी संगठन इस्लामिक एस्टेट-खुरासान (आइएस-के) ने ली है। तालिबान ने भी कहा है कि आइएस ने ही आत्मघाती हमला करवाया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन आइएस को जिम्मेदार ठहराते हुए उस पर हमला करने की धमकी दी है लेकिन दो हफ्ते पहले तक अफगानिस्तान के विभिन्न इलाकों में इस तरह के हमले कर रहा तालिबान क्या पूरी तरह से पाक-साफ है।

loksabha election banner

छोटा समूह नहीं कर सकता ऐसा हमला 

अफगानिस्तान से लौटे भारतीय सुरक्षा एजेंसियों और कूटनीतिक सूत्रों का कहना है कि इतना बड़ा हमला कोई छोटा समूह कर ही नहीं सकता। यही नहीं तालिबान आतंकी एयरपोर्ट के रास्ते पर हर 20 मीटर की दूरी पर तैनात हैं और हर व्यक्ति की छानबीन कर रहे हैं। ऐसे में किसी के लिए भी वहां पहुंचना जहां अमेरिकी सेना तैनात है, बहुत ही मुश्किल है।

अभी कुछ भी कहना जल्‍दबाजी 

काबुल के हालात पर करीबी नजर रखे एक कूटनीतिक सूत्रों ने कहा कि अफगानिस्तान में अभी भी यह विभेद कर पाना बहुत ही मुश्किल है कि कौन आतंकी है और कौन नहीं। जिस स्तर का विस्फोट गुरुवार शाम को हुआ है उस तरह के विस्फोट पहले भी अफगानिस्तान में हुए हैं और उनकी जांच को देखें तो यह बात सामने आती है कि इतने बड़े आपरेशन के लिए आतंकी संगठन काफी विस्तार से प्लानिंग करते हैं और कई महीनों व हफ्तों के बाद इसे अंजाम देते हैं।

तालिबान पर सवाल 

अभी काबुल एयरपोर्ट ही नहीं पूरे शहर की स्थिति देखें तो तालिबान के लोगों के पास ही सारी जिम्मेदारी है। खास तौर पर एयरपोर्ट जाने वाले हर व्यक्ति या वाहन की 20-25 बार छानबीन हो रही है। यह भी ध्यान रखना होगा कि तालिबान ने काबुल पर कब्जा करने के बाद वहां के स्थानीय जेल से जिन अपराधियों को छोड़ा है उनमें आइएस-के के भी कई खूंखार आतंकी हैं।

तालिबान के सहयोगी भी घेरे में 

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि अगर कुछ समय के लिए यह मान लिया जाए कि तालिबान सिर्फ एक देश के लिए राजनीतिक व सैनिक लड़ाई लड़ रहा है तब भी आप उन संगठनों को कैसे दरकिनार कर सकते हैं जो तालिबान के साथ हैं। इसमें हक्कानी नेटवर्क और तहरीके तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) जैसे खूंखार आतंकी संगठन हैं जिन्हें संयुक्त राष्ट्र व दूसरे तमाम देशों ने प्रतिबंधित किया हुआ है।

पहले भी दे चुके हैं घातक हमलों को अंजाम 

हक्कानी नेटवर्क व टीटीपी ने अफगानिस्तान व पाकिस्तान में दर्जनों सार्वजनिक स्थलों पर इस तरह के विस्फोट किए हैं। इनके अलावा जैश-ए-मुहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठन भी तालिबान के साथ हैं जिन्होंने भारत में दर्जनों आतंकी हमले किए हैं।

गनी ने लगाए थे गंभीर ओरोप 

कुछ दिन पहले ही अफगानिस्तान के अपदस्थ राष्ट्रपति अशरफ गनी ने सार्वजनिक मंच से यह आरोप लगाया था कि पाकिस्तान के मदरसों से 10 हजार लोग तालिबान के साथ अफगानी सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। यह नहीं हो सकता कि इन सभी आतंकी संगठनों का मन पिछले दस दिनों में बदल गया हो और अब उन्होंने हिंसा की राह छोड़ दी हो।

आइएस को लेकर चिंता जता रहा है भारत

तालिबान के अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने की आशंका के बाद से ही भारत कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आइएस-के को लेकर अपनी चिंताओं को सामने रख चुका है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में आइएस-के के खतरे को लेकर आगाह किया था। भारतीय जांच एजेंसियों ने पिछले तीन-चार वर्षों में देश में इसके कई माड्यूल को पकड़ने में सफलता हासिल की है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.