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संयुक्त राष्ट्र में विदेश मंत्री जयशंकर ने दोहराया यह नहीं है युद्ध का समय, यूएनएससी में सुधार पर भी दिया जोर

जयशंकर ने कहा कि जो यूएनएससी की 1267 प्रतिबंधों की प्रक्रिया का राजनीतिकरण कर रहे हैं और घोषित आतंकियों को बचाने के लिए कदम उठा रहे हैं वे खतरों से खेल रहे हैं। उनका यह कदम न तो उनके हित में हैं और न ही उनकी प्रतिष्ठा के हित में।

By JagranEdited By: Amit SinghPublished: Sun, 25 Sep 2022 04:41 AM (IST)Updated: Sun, 25 Sep 2022 04:41 AM (IST)
संयुक्त राष्ट्र में विदेश मंत्री जयशंकर ने दोहराया यह नहीं है युद्ध का समय, यूएनएससी में सुधार पर भी दिया जोर
जयशंकर ने कहा सुरक्षा परिषषद में नहीं रोका जा सकता सुधार

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली: अमेरिका में पिछले पांच दिनों की अपनी यात्रा के दौरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत की स्थायी सीट की मांग के प्रति गंभीर चर्चा छेड़ने में सफल रहे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को दुनिया की इस सबसे बड़ी पंचायत में दो टूक कहा कि चालबाजी से यूएनएससी व दूसरे बहुदेशीय एजेंसियों में सुधार को नहीं रोका जा सकता।

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संयुक्त राष्ट्र महासभा में विदेश मंत्री ने अपने अपेक्षाकृत संक्षिप्त भाषण में साफ तौर पर कहा कि भारत बड़े दायित्व को निभाने को तैयार है। उन्होंने आतंकवाद का मुद्दा उठाते हुए चीन को आड़े हाथों लिया कि वह आतंकियों पर नकेल कसने की यूएन में चल रही कोशिशों की राह में रोड़े अटका रहा है। यह भी उल्लेखनीय तथ्य है कि विदेश मंत्री के पूरे भाषण में पाकिस्तान का कोई जिक्र नहीं आया। जयशंकर ने यूक्रेन संकट की वजह से दुनिया के समक्ष पैदा ऊर्जा व खाद्य सुरक्षा की समस्या और इस संकट का सबसे ज्यादा विकासशील व अविकसित देशों पर होने वाले खतरों के प्रति भी दुनिया को चेताया और यह भी बताया कि भारत इस समस्या के समाधान में कैसे मदद कर रहा है।

जयशंकर ने कहा कि जो यूएनएससी की 1267 प्रतिबंधों की प्रक्रिया का राजनीतिकरण कर रहे हैं और घोषित आतंकियों को बचाने के लिए कदम उठा रहे हैं वे खतरों से खेल रहे हैं। उनका यह कदम न तो उनके हित में हैं और न ही उनकी प्रतिष्ठा के हित में। विदेश मंत्री का यह इशारा चीन की तरफ था जिसकी वजह से लश्कर और जैश जैसे खूंखार आतंकी संगठनों के आतंकियों पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की तरफ से प्रतिबंध नहीं लग पा रहा है। चीन पर विदेश मंत्री ने कुछ देशों पर बढ़ते कर्ज की समस्या का जिक्र करके भी निशाना लगाया और कहा कि यह बहुत बड़ी चिंता है। इसी तरह से जिस तरह से चीन संयुक्त राष्ट्र में सुधार का विरोध करता है उस संदर्भ में जयशंकर ने कहा कि यूएनएससी व दूसरे बहुदेशीय संस्थानों में बदलाव की भारत की मांग पर गंभीरता से विचार होना चाहिए। इसे प्रक्रियागत चालबाजियों से बाधित नहीं किया जाना चाहिए। इसका विरोध करने वाले संयुक्त राष्ट्र में सुधार की प्रक्रिया को हमेशा के लिए बंधक बना कर नहीं रख सकते। जबकि संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों के बीच भी इस सुधार की मांग का भारी समर्थन हो रहा है।

आतंकवाद पर जीरो टालरेंस की नीति का समर्थन

आतंकवाद के बारे में आगे बात करते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत दशकों से सीमापार आतंकवाद को झेल रहा है। भारत इसको लेकर जीरो टालरेंस की नीति का समर्थन करता है। किसी भी तरह से आतंकवाद को जायज नहीं ठहराया जा सकता। बड़ी-बड़ी बातों से खून के धब्बों को साफ नहीं किया जा सकता। विदेश मंत्री ने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर पीएम शहबाज शरीफ के भाषण में कश्मीर के जिक्र का जवाब दिया। जयशंकर ने पाकिस्तान का सीधे नाम नहीं ले कर यह भी दर्शाया है कि संयुक्त राष्ट्र में भारत का एजेंडा अब ज्यादा बड़ा है।

वार्ता और कूटनीति से समाधान निकले

यूक्रेन-रूस संकट का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा कि अक्सर यह पूछा जा रहा है कि भारत किसके साथ है। मैं यह बताना चाहता हूं कि भारत हमेशा से शांति के साथ है और आगे भी मजबूती के साथ उसी के साथ रहेगा। भारत यूएन के सिद्धांतों के साथ रहेगा। हम वार्ता और कूटनीति से हल निकालने के साथ हैं। इस संकट के चलते जो खाद्यान्न, ईंधन व उर्वरक की बढ़ती कीमतों से संघर्ष कर रहे हैं, भारत उनके साथ है। यह सभी के हित में है कि इस संघर्ष का शीघ्र समाधान निकाला जाए। वैश्विक मुद्दों पर बड़ी भूमिका निभाने की भारत की इच्छा का आत्मविश्वास से प्रदर्शन करते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत बड़े दायित्व निभाने को तैयार है और साथ ही यह भी देखेगा कि लातिनी अमेरिकी, एशिया व अफ्रीकी देशों (ग्लोबल साउथ) के साथ अन्याय ना हो।

भारत में जी-20 का एजेंडा बताया

विदेश मंत्री ने कहा कि भारत की अगुवाई में होने वाली जी-20 की बैठक में ऋण के गंभीर मुद्दे, खाद्य व ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण के संदर्भ में पैदा होने वाली चुनौतियों को लेकर काफी संवेदनशीलता दिखाई जाएगी। भारत प्रमुख बहुदेशीय वित्तीय संस्थानों में सुधार को भी प्राथमिकता से लेता है। अंत में विदेश मंत्री ने कहा कि भारत समझता है कि यह युद्ध का समय नहीं हैं। इसके विपरीत यह विकास व सहयोग का समय है।


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