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आतंकी फंडिंग पर इमरान के वादे पर भरोसा नहीं, पाकिस्‍तान को राहत देकर जोखिम नहीं उठाना चाहती अंतरराष्ट्रीय बिरादरी

अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को अभी भी पाकिस्तान की तरफ से आतंकी फंडिंग रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर पूरा ऐतबार नहीं है। उसने साफ कहा है कि पाकिस्‍तान को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की तरफ से नामित आतंकियों के खिलाफ कदम उठाना होगा।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 21 Oct 2021 10:37 PM (IST)Updated: Fri, 22 Oct 2021 02:14 AM (IST)
आतंकी फंडिंग पर इमरान के वादे पर भरोसा नहीं, पाकिस्‍तान को राहत देकर जोखिम नहीं उठाना चाहती अंतरराष्ट्रीय बिरादरी
अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को पाकिस्तान की तरफ से आतंकी फंडिंग रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर पूरा ऐतबार नहीं है।

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को अभी भी पाकिस्तान की तरफ से आतंकी फंडिंग रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर पूरा ऐतबार नहीं है। ऐसे में आतंकी फंडिंग रोकने व मनी लांड्रिंग पर लगाम लगाने के उद्देश्य से स्थापित एजेंसी फाइनेंशिएल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की निगरानी सूची (ग्रे लिस्ट) में पाकिस्तान अभी बना रहेगा। इस सूची से बाहर निकलने के लिए पाकिस्तान सरकार की तरफ से उठाये गये कई कदमों का एफएटीएफ ने स्वागत किया है लेकिन यह भी कहा है कि वह संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की तरफ से नामित आतंकियों के खिलाफ कदम उठाये।

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छलका था इमरान का दर्द 

पाकिस्तान जून 2018 से ही एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में है और उस पर कई वर्ष तक प्रतिबंधित सूची में शामिल बने रहने का खतरा था। पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने तब कहा था कि अगर प्रतिबंधित सूची में हमारा देश जाता है तो हम बर्बादी के कगार पर पहुंच जाएंगे।

इसलिए परेशान हैं इमरान

दरअसल, प्रतिबंधित सूची में जाने पर विदेशी कंपनियों के लिए पाकिस्तान में काम करना मुश्किल हो जाता है। वहां से होने वाले आयात-निर्यात को लेकर समस्या पैदा हो जाती है। यही नहीं ग्रे लिस्ट में शामिल देशों को वैश्विक संस्‍थाओं से कर्ज लेने में मुश्किलें पेश आती हैं। ग्रे लिस्‍ट में शामिल देशों को किसी अंतरराष्ट्रीय संस्‍था या किसी देश से कर्ज लेने के लिए बेहद सख्त शर्तों का पालन करना पड़ता है।  

नहीं चेते तो रसातल में चली जाएगी अर्थव्‍यवस्‍था 

पाकिस्तान पर तकरीबन 10 अरब डालर सालाना का अतिरिक्त बोझ पड़ने की भी आशंकाएं हैं। इस डर से ही पाकिस्तान ने एफएटीएफ की तरफ से दिए गए 34 नियमों को लागू करने की सहमति दी। भारत भी अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के साथ मिल कर लगातार पाकिस्तान पर यह दबाव बनाता रहा है कि वह सारे नियमों का पालन करे।

ठोस कार्रवाई चाहता है एफएटीएफ 

एफएटीएफ के प्रेसिडेंट मा‌र्क्स प्लेयर का कहना है कि दिए गए 34 नियमों में से 30 को पाकिस्तान ने लागू किया। मनी लांड्रिंग रोकने के लिए उसने अपने बैंकिंग नियमों में बदलाव किये हैं और गैर सरकारी संगठनों की तरफ से आतंकी संगठनों को दिए जाने वाले चंदों आदि पर भी रोक लगाई है लेकिन अभी और कदम उठाए जाने बाकी हैं। 

दिखनी भी चाहिए कार्रवाई 

एफएटीएफ का कहना है कि पाकिस्तान को अब यह बताना होगा कि उसने यूएन की तरफ से नामित आतंकियों और आतंकी संगठनों के खिलाफ प्रतिबंधों को लागू करने के लिए ठोस कार्रवाई कर रहा है। साथ ही पाकिस्तान को यह भी बताना होगा कि वह दूसरे देशों के साथ मिल कर आतंकी संगठनों व आतंकियों को मिलने वाले फंडिंग पर रोक लगा रहा है और अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को सहयोग कर रहा है। बहरहाल अब यह साफ है कि पाकिस्तान अब एफएटीएफ की प्रतिबंधित सूची (ग्रे लिस्ट) में बना रहेगा। 

संकेत साफ- आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाए पाक

प्रो. हर्ष वी पंत कहते हैं कि पाकिस्‍तान को निगरानी सूची से बाहर आने के लिए कम से कम छह महीने तक का इंतजार करना होगा क्‍योंकि एफएटीएफ की अगली बैठक अब अप्रैल 2022 में होगी। गनीमत है कि एफएटीएफ ने पाक को ब्‍लैक लिस्‍ट नहीं किया है। जाहिर है कि पाकिस्‍तान को आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए एक मौका और दिया गया है। संकेत साफ है कि इमरान को आतंकियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई करनी ही होगी। यदि पाकिस्‍तान की कथनी और करनी में फर्क दिखा तो उसे काली सूची में भी डाला जा सकता है।


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