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भारत-अमेरिका ने रूस पर साधा निशाना, कहा, हिंद-प्रशांत पहल का मकसद किसी को अलग-थलग करना नहीं

हिंद-प्रशांत पहल का मकसद क्षेत्र में चीन के दबदबे को रोकने वाला बताने के लिए अमेरिका और भारत ने गुरुवार को रूस पर निशाना साधा।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 16 Jan 2020 11:57 PM (IST)Updated: Thu, 16 Jan 2020 11:57 PM (IST)
भारत-अमेरिका ने रूस पर साधा निशाना, कहा, हिंद-प्रशांत पहल का मकसद किसी को अलग-थलग करना नहीं
भारत-अमेरिका ने रूस पर साधा निशाना, कहा, हिंद-प्रशांत पहल का मकसद किसी को अलग-थलग करना नहीं

नई दिल्ली, प्रेट्र। हिंद-प्रशांत पहल का मकसद क्षेत्र में चीन के दबदबे को रोकने वाला बताने के लिए अमेरिका और भारत ने गुरुवार को रूस पर निशाना साधा। दोनों देशों ने साफ कहा कि इस अवधारणा का मकसद किसी देश को अलग-थलग करना नहीं बल्कि यह 'सिद्धांत आधारित सोच' है।

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हिंद प्रशांत एक वैश्विक साझा क्षेत्र

रायसीना डायलॉग में अपने भाषण में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने बुधवार को अमेरिका नीत हिंद-प्रशांत पहल की पुरजोर निंदा करते हुए कहा था कि इसका मकसद मौजूदा क्षेत्रीय ढांचों को नुकसान पहुंचाना है। इस आलोचना के जवाब में अमेरिकी उपराष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मैथ्यू पॉटिंगर ने कहा कि यह उन देशों का समुदाय है जो कानून के शासन का सम्मान करता है, समुद्री क्षेत्र तथा आसमान में परिवहन की आजादी का समर्थन करता है।

वहीं, भारतीय विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा कि वह पॉटिंगर के दृष्टिकोण से सहमत हैं कि हिंद-प्रशांत एक सैद्धांतिक सोच है और एशिया-प्रशांत औपनिवेशिक अवधारणा है। उन्होंने कहा, 'सदियों से भारत का चीन और दक्षिण पूर्व एशिया से संपर्क रहा है। यह संपर्क औपनिवेशिक काल में टूट गया था.. (आज) वैश्विक साझा क्षेत्र बेहद अहम हैं और हिंद प्रशांत एक वैश्विक साझा क्षेत्र है।'

यह कोई हिंद प्रशांत एक वैश्विक साझा क्षेत्र

पॉटिंगर ने हिंद-प्रशांत के बारे में आगे कहा, यह कोई समूह या सैन्य गठबंधन नहीं है। यह उन देशों का समुदाय है जो खुले व्यापार और खुली सोच को बढ़ावा देता है और इस सबके ऊपर हर देश की संप्रभुता का बचाव करता है। इसीलिए यह खुला और स्वतंत्र है। यह किसी देश को अलग नहीं करता, बल्कि हर राष्ट्र से उन सिद्धांतों का सम्मान और उन्हें प्रोत्साहित करने को कहता है जो हम साझा रूप से रखते हैं।' रूस के चीन और ईरान के साथ संभावित गठजोड़ की धारणाओं पर पॉटिंगर ने हैरानी जताते हुए कहा कि ये तीनों देश किस तरह की बातचीत करेंगे।


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