नेपाल के मैदानी इलाकों में भारत, पहाड़ी इलाकों में चीन के सहयाेग से चलेगी रेलगाड़ी Gorakhpur News
भारत और चीन के सहयोग से नेपाल में शीघ्र ही ट्रेन दौड़ेगी। दोनों देश के सहयोग से रेलगाड़ी अब कुछ ही वर्षों में नेपाल के अलग-अलग क्षेत्रों में चलेगी।
गोरखपुर/महराजगंज। भारत और चीन के सहयोग से नेपाल में शीघ्र ही ट्रेन दौड़ेगी। दोनों देश के सहयोग से रेलगाड़ी अब कुछ ही वर्षों में नेपाल के अलग-अलग क्षेत्रों में चलेगी। चीन नेपाल के पहाड़ी इलाकों में अपनी रेलगाड़ी दौड़ाएगा तो भारतीय के सहयोग से रेल नेपाल के मैदानी इलाकों में छुक-छुक करेगी। यह जानकारी नेपाल के रेल विभाग के महानिदेशक बलराम मिश्र ने सोमवार को काठमांडू में पत्रकारों को दी। उन्होंने कहा कि चीन के साथ रेलवे का विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (डीपीआर) तैयार है। 8-10 अक्टूबर तक चीन के विदेश मंत्री वांग यी नेपाल के दौरे पर आएंगे। जिसमें भारत-चीन परिवहन योजनाओं पर अहम वार्ता होगी।
चीन के साथ इन रेलमार्गों के निर्माण पर होगी वार्ता
चीन के ल्हासा-शिगात्से रेलमार्ग से नेपाल को जोड़ा जाएगा। शिगात्से से नेपाल के रुसुंग सीमा की दूरी करीब 547 किलोमीटर है। यहां रेल लाइन बिछाने का काम जारी है। फिर रुसुंग से नेपाल के केरुंग तक रेल लाइन बिछाई जाएगी। फिर केरूंग से 140 किलोमीटर दूर स्थित काठमांडू के लिए रेल लाइन बिछाने का काम शुरू होगा। वर्ष 2020 तक चीन-नेपाल सरहद तक रेल लाइन बिछ जाने की कार्ययोजना बनाई गई है। इसके बाद वर्ष 2022 तक चीन की रेल काठमांडू पहुंच जाएगी। पहाड़ी इलाकों में प्रस्तावित इस रेल मार्ग के करीब 94 फीसद भाग पर पुल व सुरंगें होंगी।
भारत के सहयोग से यहां दाैड़ेगी ट्रेन
नेपाल रेल विभाग के अनुसार भारतीय रेल जयनगर से नेपाल में प्रवेश कर जनकपुर व कुर्था तक करीब 35 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। इसके बाद इसका 52 किलोमीटर दूर तक विस्तार करने की योजना है। इस मार्ग की पटरी ब्राड गेज की होगी। रेलवे परियोजना की लागत 84 करोड़ 65 लाख रुपये है। जिसका 20 फीसद भुगतान नेपाल ने भारत को कर दिया है। वर्ष 2020 तक इस रेल रूट के शुरु हो जाने की संभावना जताई जा रही है।