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दुनिया के 62 देशों के साथ भारत को भी चाहिए जवाब, कहां से आया जानलेवा कोरोना वायरस

जिस कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को मुश्किल में डाला हुआ है वो कहांं से आया। अब इस सवाल का जवाब पाने के लिए भारत ने भी मांग कर डाली है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 19 May 2020 04:46 PM (IST)Updated: Tue, 19 May 2020 04:46 PM (IST)
दुनिया के 62 देशों के साथ भारत को भी चाहिए जवाब, कहां से आया जानलेवा कोरोना वायरस
दुनिया के 62 देशों के साथ भारत को भी चाहिए जवाब, कहां से आया जानलेवा कोरोना वायरस

नई दिल्ली। भारत भी अब कोरोना वायरस के स्रोत का पता लगाने की मांग करने वाले दुनिया के उन 62 देशों की मुहिम का हिस्‍सा बन गया है जो इस बात से पर्दा उठाना चाहते हैं कि आखिर ये जानलेवा वायरस कैसे और कहां से आया। भारत ने भी 62 देशों के साथ मिलकर दुनिया को संकट में डालने वाले कोरोना वायरस के स्रोत की निष्पक्ष, स्वतंत्र और व्यापक जांच की मांग की है। डब्ल्यूएचओ की विश्व स्वास्थ्य सभा (डब्ल्यूएचए) की वार्षिक बैठक के लिए खास मसौदा तैयार किया गया है। भारत ने यूरोपीय देशों व ऑस्ट्रेलिया की मुहिम को समर्थन देते हुए जांच की मांग वाले दस्तावेज पर दस्‍तखत भी कर दिए हैं।

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आपको बता दें कि इसको लेकर कई देशों की सीधी अंगुली चीन की ही तरफ उठी है। इसमें अमेरिका का नाम सबसे आगे है जो कई बार चीन को इसके लिए दोषी ठहरा चुका है। इतना ही नहीं खुद राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप इस वायरस को चीनी वायरस बताकर कह चुके हैं कि इसको चीन ने तैयार किया और वहां से ही ये फैला है। हालांकि अमेरिका समेत कई देशों में हुई रिसर्च में ये बात सामने आई है कि ये वायरस किसी भी तरह से लैब में तैयार नहीं किया या बल्कि पूरी तरह से प्राकृतिक है। ज्‍यादातर रिसर्च में इसका स्रोत चमगादड़ों को बताया गया है। रिसर्च में ये भी सामने आया है कि चमगादड़ों ने कोरोना के सैकड़ों वायरस मौजूद होते हैं जिनका पता पहले लगाया जा चुका है। बहरहाल, इतने देशों के एक साथ आने पर चीन के खेमे में खलबली मचना लाजिमी माना जा रहा है।

आपको बता दें कि भारत ने पहली बार किसी महामारी के मुद्दे पर अंतरराष्‍ट्रीय मंच के समक्ष अपना रुख स्पष्ट किया है। इस वायरस से पूरी दुनिया में जहां 49 लाख से अधिक मरीज संक्रमित हैं वहीं 3.20 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। भारत के इस रूख का संकेत पहले ही मिल भी चुका था। यहां पर आपको ये भी बता देना जरूरी होगा कि जी-20 सम्मेलन में भारत ने डब्ल्यूएचओ में सुधार, पारदर्शिता और जवाबदेही तय करने की बात कही थी। सोमवार को जब डब्ल्यूएचओ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्‍यम से इसकी जब शुरुआत हुई तो दुनियाभर के राजनेताओं ने इसको लेकर अपनी बातें सामने रखीं। सभी इस पर चीन का रुख भी जानना चाहते थे जो अब तक इस वायरस के स्रोत को लेकर खुद को पाक-साफ बताता आया है। चीन का कहना था कि उसने महामारी से जुड़े सभी आंकड़े समय पर उपलब्ध कराए और महामारी पर नियंत्रण और उपचार के अनुभव को साझा किया। चीन ने बेहद चालाकी के साथ कोरोना उत्पत्ति की जांच में एक सीमा के भीतर सहयोग देने की बात कही। साथ ही उसने संस्था को दो अरब डॉलर का अनुदान देने की भी घोषणा की।

इसकी शुरुआत यूएन महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने की थी। उन्‍होंने कोरोना महामारी के प्रकोप को बढ़ने के लिए कहीं न कहीं देशों को ही जिम्‍मेदार ठहराया। उन्‍होंने कहा कि कई देशों ने डब्ल्यूएचओ की सिफारिशों की अनदेखी की, जिसका खामियाजा सभी उठा रहे हैं। कोरोना की उत्पत्ति से जुड़े सवालों पर उन्‍होंने कहा कि वह महामारी को लेकर सामने आई संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी की प्रतिक्रिया के मद्देनजर वह एक स्वतंत्र आकलन शुरू करेंगे। संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी की जनवरी से अप्रैल के बीच महामारी पर प्रतिक्रिया को लेकर एक स्वतंत्र निरीक्षण सलाहकार निकाय ने पहली अंतरिम रिपोर्ट प्रकाशित की। भारत की तरफ से इसमें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने हिस्‍सा लिया था।


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