India on Counter Terrorism: संयुक्त राष्ट्र में भारत की दो टूक, कहा- रोके जा रहे हैं आतंकियों पर प्रतिबंध के साक्ष्य आधारित प्रस्ताव
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने मंगलवार को कहा कि विश्व के कुछ सबसे कुख्यात आतंकियों को प्रतिबंधित करने के वास्तविक और साक्ष्य आधारित प्रस्तावों को रोका जा रहा है। दोहरे मानकों से सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध व्यवस्था की विश्वसनीयता निम्नतम स्तर पर पहुंच रही है।
संयुक्त राष्ट्र, एजेंसियां: संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने मंगलवार को कहा कि विश्व के कुछ सबसे कुख्यात आतंकियों को प्रतिबंधित करने के वास्तविक और साक्ष्य आधारित प्रस्तावों को रोका जा रहा है। ऐसे दोहरे मानकों से सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध व्यवस्था की विश्वसनीयता निम्नतम स्तर पर पहुंच रही है। चीन की अध्यक्षता में 'आतंकी कृत्यों के कारण अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को खतरा' विषय पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की बैठक में बोलते हुए रुचिरा ने कहा कि बिना किसी न्यायोचित कारण के प्रतिबंध के प्रस्तावों पर रोक की परंपरा खत्म होनी चाहिए। बता दें कि पाकिस्तान में रह रहे आतंकी अब्दुल रहमान मक्की पर प्रतिबंध के भारत और अमेरिका के संयुक्त प्रस्ताव पर चीन ने जून में रोक लगा दी थी।
भारत को क्राइम सिंडीकेट के आतंकवाद में शामिल होने का पहला अनुभव
रुचिरा ने कहा कि भारत को अपराध समूहों (क्राइम सिंडीकेट) के आतंकवाद में शामिल होने और संयुक्त राष्ट्र द्वारा काली सूची में डाले जाने के बावजूद उनके पड़ोसी देश में राजकीय आतिथ्य हासिल करने का पहला अनुभव है। इस तरह के पाखंड पर सामूहिक रूप से ध्यान देने की जरूरत है, खासकर तब जबकि आतंकवाद का खतरा प्रत्येक देश में बड़ा हो रहा है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद और संगठित अपराध के बीच संबंधों से निपटने की आवश्यकता है। उनका इशारा डी-कंपनी के प्रमुख दाऊद इब्राहिम की ओर था। पाकिस्तान ने अगस्त, 2020 में पहली बार अपनी धरती पर दाऊद की मौजूदगी को स्वीकार किया था।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव की रिपोर्ट पर उठाए सवाल
भारत की स्थायी प्रतिनिधि ने आइएसआइएल पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव की रिपोर्ट से दक्षिण एशिया में कई प्रतिबंधित आतंकी संगठनों की गतिविधियों को बाहर रखने पर ध्यान देने की जरूरत बताई। इसमें ऐसे आतंकी संगठन शामिल हैं जो भारत में बार-बार हमले करते रहे हैं। रुचिरा ने कहा कि सदस्य देशों के इनपुट को चुनिंदा तरीके से हटाना अनुचित है। उन्होंने कहा, 'लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद जैसे यूएनएससी में सूचीबद्ध संगठनों में संबंध और अफगानिस्तान से संचालित हो रहे अन्य आतंकी संगठनों के उकसावे वाले बयान क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए प्रत्यक्ष खतरा हैं।' इस क्रम में उन्होंने अफगानिस्तान में हाल में गुरुद्वारों पर हुए हमलों और वहां आइएसआइएल-के की बढ़ती मौजदूगी का जिक्र किया। रुचिरा ने कहा कि महासचिव की रिपोर्ट में इस तथ्य का उल्लेख भी किया गया है कि आइएसआइएल और अलकायदा से संबंध वाले आतंकी समूह अफ्रीका में मजबूत हो रहे हैं और नागरिकों को निशाना बना रहे हैं। इस पर पूरा ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि इनके दुनिया के अन्य हिस्सों में भी फैलने की आशंका है।
भारत में आतंकवाद के विरुद्ध बैठक के लिए किया आमंत्रित
रुचिरा ने परिषद को बताया कि आतंक-रोधी समिति (सीटीसी) का अध्यक्ष होने के नाते भारत 28 और 29 अक्टूबर को मुंबई और दिल्ली में विशेष सीटीसी सत्र का आयोजन कर रहा है। इसके लिए उन्होंने परिषद के अपने सभी साथी राजनयिकों को आमंत्रित किया। बैठक में आतंकियों द्वारा नई तकनीकों के बढ़ते इस्तेमाल और इससे निपटने के तौर-तरीकों पर विचार-विमर्श होगा। यूएन के एक शीर्ष अधिकारी वीशियांग चेन ने उम्मीद जताई कि इस बैठक से बहुपक्षीय और बहुआयामी आतंक रोधी प्रयासों को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी।