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PM मोदी की चीन को नसीहत, एक-दूसरे के हितों का ख्याल रखें दोनों देश

शांगरी-ला डायलॉग के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि जब भारत और चीन भरोसे और विश्वास के साथ मिलकर काम करेंगे तो एशिया और दुनिया का भविष्य बेहतर होगा।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Sat, 02 Jun 2018 07:30 AM (IST)Updated: Sat, 02 Jun 2018 08:17 AM (IST)
PM मोदी की चीन को नसीहत, एक-दूसरे के हितों का ख्याल रखें दोनों देश
PM मोदी की चीन को नसीहत, एक-दूसरे के हितों का ख्याल रखें दोनों देश

सिंगापुर (प्रेट्र)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब भारत और चीन भरोसे और विश्वास के साथ मिलकर काम करेंगे तो एशिया और दुनिया का भविष्य बेहतर होगा। दोनों देशों को एक-दूसरे के हितों को लेकर संवेदनशील होना होगा। एक महीने से ज्यादा समय पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग के साथ अनौपचारिक शिखर वार्ता के बाद प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को शांगरी-ला डायलॉग में यह टिप्पणी की।

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शांगरी-ला डायलॉग में संबोधन करने वाले पहले प्रधानमंत्री

शांगरी-ला डायलॉग में संबोधन करने वाले मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। मोदी ने कहा, 'अप्रैल में राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ दो दिनों की अनौपचारिक वार्ता ने हमारी आपसी समझदारी के लिए सीमेंट का काम किया। इससे दोनों देशों के बीच मजबूत और स्थिर रिश्ता बनता है। यह वैश्विक शांति और प्रगति के लिए भी महत्वपूर्ण है।' प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और चीन ने सीमा पर शांति सुनिश्चित करने में परिपक्वता और बुद्धिमानी दिखाई है। विश्व में सर्वाधिक आबादी वाले दोनों देशों के बीच सहयोग का विस्तार हो रहा है।

पीएम मोदी के संबोधन की बड़ी बातें

- अपने संबोधन मोदी ने कहा कि 'एशिया की प्रतिद्वंद्विता' क्षेत्र को पीछे धकेल देगी, जबकि सहयोग इसे वर्तमान सदी में सही आकार देगा। उन्होंने कहा कि नेतृत्व करने वाली शक्तियों के बीच प्रतिस्पर्धा सामान्य है। लेकिन प्रतिस्पर्धा को कभी भी टकराव और मतभेद का रूप नहीं लेने दिया जाना चाहिए।

- हिंद-प्रशांत का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वार्ता के माध्यम से क्षेत्र के लिए एक साझा नियम आधारित व्यवस्था तैयार की जानी चाहिए।

- प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का संगठन आसियान आने वाले समय में हिंद-प्रशांत क्षेत्र के केंद्र में होगा। उन्होंने कहा कि आसियान देशों के साथ भारत के संबंध के ऐतिहासिक वर्ष के मौके पर यहां पहुंचकर उन्हें बेहद खुशी हो रही है।

- उन्होंने कहा कि परियोजनाएं निश्चित रूप से व्यापार को प्रोत्साहित करें न कि रणनीतिक प्रतिस्पर्धा। इस सिद्धांत पर हम किसी के साथ भी काम करने के लिए तैयार हैं।

- आतंकवाद और कट्टरता जैसी बड़ी वैश्विक चुनौतियों के बारे में उन्होंने कहा कि परस्पर आश्रित समृद्धि और विफलताओं की दुनिया में कोई भी देश अपने दम पर खुद को न तो आकार दे सकता है और न ही सुरक्षित रह सकता है।

कायम रहेगा भारत का विकास दर

भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश का सालाना विकास दर 7.5 से आठ फीसद पर बनाए रखेगा। इसके साथ ही क्षेत्रीय और वैश्विक जुड़ाव भी बढ़ेगा। देश के 80 करोड़ युवा जानते हैं कि उनका भविष्य केवल भारत की अर्थव्यवस्था के आकार से सुरक्षित नहीं रहेगा, बल्कि वैश्विक संपर्क की गहराई भी उनके लिए आवश्यक है।

संरक्षण की दीवार के पीछे नहीं तलाशें समाधान

संरक्षणवाद के खिलाफ मजबूत संदेश देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संरक्षण की दीवार के पीछे समाधान की तलाश नहीं की जानी चाहिए। भारत एक खुली और स्थायी अंतरराष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था के पक्ष में खड़ा है। उन्होंने कहा कि वस्तु एवं सेवा क्षेत्र में संरक्षणवाद बढ़ रहा है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत एक नियम आधारित, खुला, संतुलित और स्थिर व्यापार वातावरण का समर्थन करेगा।


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