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अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों के हटने से ज्यादा पाक के रुख से भारत को चिंता

अफगानिस्तान को लेकर भारत की चिंता है कि पाकिस्तान समर्थित तालिबान इस हालात का फायदा उठा कर वहां अस्थिरता कायम करने की न कोशिश करे।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 22 Dec 2018 08:54 PM (IST)Updated: Sun, 23 Dec 2018 12:48 AM (IST)
अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों के हटने से ज्यादा पाक के रुख से भारत को चिंता
अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों के हटने से ज्यादा पाक के रुख से भारत को चिंता

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अफगानिस्तान में हालात अब किस करवट बैठेगा इसको लेकर भारत में चिंता तो है लेकिन ज्यादा बड़ी चिंता यह है कि पाकिस्तान समर्थित तालिबान इस हालात का फायदा उठा कर वहां अस्थिरता कायम करने की न कोशिश करे।

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पाकिस्तान सरकार ने जिस तरह से अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी का स्वागत किया है, उससे भारत का यह शक और मजबूत हुआ है। पिछले सात वर्षों में अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की संख्या एक लाख से घट कर 15 हजार हो गई है। अब ट्रंप प्रशासन ने इसे घटा कर 8 हजार करने का फैसला किया है।

भारत सरकार ने अभी तक ट्रंप प्रशासन के इस फैसले पर सार्वजनिक तौर पर कुछ नहीं कहा है लेकिन विदेश मंत्रालय पूरे हालात पर पैनी नजर बनाये हुए है। भारत इस हालात की उम्मीद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के साथ से ही कर रहा था।

यही वजह है कि भारत ने शुरुआती तौर पर विरोध जताने के बाद आखिरकार तालिबान से हो रही शांति वार्ता में भी शामिल होने का फैसला किया है। लेकिन यह अफगानिस्तान में शांति बहाली में लगे दूसरे राष्ट्रों के रुख पर निर्भर करेगा।

खास तौर पर पाकिस्तान के रवैये पर भारत की नजर रहेगी। अगर पूर्व की तरह दूसरे राष्ट्र अफगानिस्तान में इस बार भी शांति बहाली में असफल होते हैं तो यह पूरे क्षेत्र के लिए बेहद घातक साबित होगा। वैसे भी अभी अफगानिस्तान में भारत का दांव पहले से काफी ज्यादा है।

प्रसिद्ध रणनीतिक विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी का कहना है कि ट्रंप के इस फैसले का सीमित असर होगा। क्योंकि यह तय है कि अमेरिका पूरी तरह से वहां से सैनिक हटाने नहीं जा रहा है। वर्ष 2012 के समझौते के मुताबिक अमेरिका ने वादा किया है कि वह वहां स्थानी सैनिक अड्डा रखेगा।

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हो सकता है कि तालिबान वहां हमला करो और भागो की नीति अख्यितार कर रखे लेकिन उनकी तरफ से किसी बड़े शहर पर कब्जा जमाने की कोशिश होने की संभावना नहीं है क्योंकि इसके बाद अमेरिका वहां हमला कर सकता है। साथ ही यह भी तय है कि मौजूदा अफगानिस्तान सरकार बरकरार रहेगी।

वैसे भी वर्ष 2012 तक वहां एक लाख अमेरिकी सैनिक थे जो अब घट कर 15 हजार रह गये हैं उससे कुछ खास असर नहीं पड़ा है। निर्णायक असर तभी दिखेगा जब पाकिस्तान में छिपे तालिबान के ठिकाने पर अमेरिका बमबारी करे।

सनद रहे कि अफगानिस्तान में पूर्व में भी पाकिस्तान समर्थित तालिबान का शासन रहा था जिसने भारत के हितों पर काफी असर पड़ा था। तालिबान ने भारत के सहयोग से बने हर इमारत को तबाह कर दिया था। अभी भारत वहां तीन अरब डॉलर की मदद से कई बड़ी परियोजनाओं को लागू कर चुका है।

जबकि तीन अरब डॉलर की परियोजनाएं विभिन्न चरणों में है। अफगानिस्तान के 35 राज्यों में भारत की तरफ से 550 परियोजनाएं चलाई जा रही है जो वहां के आम जनता के जीवन स्तर में भारी बदलाव ला रही है। वैश्विक मंच से अफगानिस्तान व भारत लगातार एक स्वर में बोलते हैं। दोनो देश साथ मिल कर पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का खुला विरोध भी करते हैं। ऐसे में अगर पाक समर्थित तालिबान का दबदबा बढ़ता है तो यह भारत के हितों को नुकसान पहुंचा सकता है।


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