खाड़ी देशों में भारत ने खोला मोर्चा, अनाज बाजार में पाकिस्तान को देगा मात
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने कुछ दिन पहले कहा था कि जिस तरह से हम अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए खाड़ी के देशों पर निर्भर हैं वैसे ही ये देश अपनी खाद्य सुरक्षा के लिए भारत पर निर्भर होना चाहते हैं।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अभी तक भारत और पाकिस्तान के बीच तनावग्रस्त रिश्ते की झलक सिर्फ कूटनीति और सीमा पर दिखाई देती रही है, लेकिन अब कारोबार की दुनिया में भी यह दिखाई देगी। इसकी वजह यह है कि भारत ने पाकिस्तान के पारंपरिक खाद्यान्न बाजार पर नजर गड़ा दी है। अभी तक खाड़ी के देश खाद्य आपूर्ति के लिए पाकिस्तान पर बहुत ज्यादा निर्भर थे, लेकिन भारत ने इन देशों के बाजार में खाद्यान्नों के निर्यात को बढ़ाने की शुरुआत कर दी है। कुछ देशों के साथ तेल के बदले अनाज की बात हो रही है तो कुछ देशों को उनकी मांग के मुताबिक, अनाज उत्पादन कर देने की बात हो रही है।
इस क्रम में ओमान में भारत और पाकिस्तान के बासमती चावल निर्यातकों के बीच एक जंग शुरू हो चुकी है। ओमान में पाकिस्तान की बासमती चावल की सबसे ज्यादा मांग होती है। अमूमन पाकिस्तान ओमान को हर वर्ष 1.8 लाख टन बासमती चावल का निर्यात करता है, जबकि भारत से ओमान सिर्फ 20 हजार टन चावल खरीदता था। लेकिन इस वर्ष से यह बाजी पलटने लगेगी। दो दिन पहले समाप्त हुए इंड्स फूड एक्सपो में ओमान की सरकारी अनाज भंडारण कंपनी ने भारतीय कंपनियों को 50 हजार टन चावल खरीदने का आर्डर दिया है। इसकी आपूर्ति इसी वर्ष हो जानी है।
इसी तरह से सऊदी अरब ने भारत से सोयाबीन और मछलियों के लिए चारा खरीदने का एक बड़ा सौदा किया है। कतर सरकार ने संकेत दिया है कि वह खाद्य प्रसंस्कृत उत्पादों में भारतीय आपूर्तिकर्ताओं पर भरोसा करने को तैयार है। ट्रेड प्रोमोशनल काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मोहित सिंगला का कहना है कि खाड़ी देशों के अनाज बाजार में पाकिस्तान से हम बहुत जल्द आगे निकल जाएंगे। ओमान, कतर जैसे देश पहले भी भारत से अनाज आयात करते रहे हैं, लेकिन इरान, इराक जैसे देश भी हमारे नए खरीददार बन रहे हैं। इन देशो में अपार संभावनाओं को देखते हुए भारत ने वहां अनाज निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विशेष केंद्र खोलने का फैसला किया है।
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने कुछ दिन पहले कहा था कि जिस तरह से हम अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए खाड़ी के देशों पर निर्भर हैं वैसे ही ये देश अपनी खाद्य सुरक्षा के लिए भारत पर निर्भर होना चाहते हैं। संयुक्त अरब अमीरात के साथ भारत की बढ़ती मित्रता को देखते हुए दोनो देशों के बीच 'तेल के बदले अनाज' पर विचार हो रहा है। इसके तहत भारत में यूएई की मांग के मुताबिक, खेती की जाएगी और फिर यहां से इनका निर्यात किया जाएगा। यूएई अभी 100 अरब डॉ़लर के खाद्य उत्पाद बाहर से आयात करता है, जिसके अगले एक दशक में बढ़ कर 400 अरब डॉलर हो जाने के आसार हैं। भारत ही नहीं बल्कि, चीन, ब्राजील, आस्ट्रेलिया समेत कई देशों की नजर इस खाद्य बाजार पर है।