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सैन्य विद्रोह के बाद पहली बार म्यांमार पहुंचे विदेश सचिव श्रृंगला, सीमा सुरक्षा पर करेंगे अहम वार्ता

ड़ोसी देश म्यांमार पहुंचे विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला की गुरुवार को वहां की मौजूदा सैन्य सरकार के प्रतिनिधियों के साथ भारत-म्यांमार सीमा को लेकर अहम वार्ता होगी। भारत ने यहां के लोगों के लिए सौंपी 10 लाख कोरोना वैक्सीन।

By TaniskEdited By: Published: Wed, 22 Dec 2021 09:34 PM (IST)Updated: Wed, 22 Dec 2021 09:34 PM (IST)
सैन्य विद्रोह के बाद पहली बार म्यांमार पहुंचे विदेश सचिव श्रृंगला, सीमा सुरक्षा पर करेंगे अहम वार्ता
सीमा सुरक्षा पर म्यांमार के साथ अहम वार्ता करेंगे श्रृंगला ।

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। पड़ोसी देश म्यांमार पहुंचे विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला की गुरुवार को वहां की मौजूदा सैन्य सरकार के प्रतिनिधियों के साथ भारत-म्यांमार सीमा को लेकर अहम वार्ता होगी। म्यांमार में आन सान सू की लोकतांत्रिक सरकार को सत्ता से सैन्य विद्रोह के जरिये हटाए जाने के बाद दोनों देशों के बीच सीमा पर सहयोग बढ़ाने को लेकर चल रही बातचीत टूट गई थी, लेकिन अब दोनों देशों के बीच सहमति बनती दिख रही है। जानकारों का कहना है कि पूर्वी क्षेत्र की सीमा को सुरक्षित रखने में म्यांमार की जरूरत को देखते हुए ही भारत सरकार ने वहां की सरकार से संपर्क फिर से सामान्य करने का फैसला किया है। म्यांमार में सत्ता परिवर्तन के बाद पहली बार भारत का कोई सरकारी दल वहां की यात्रा पर गया है।

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यात्रा के पहले दिन विदेश सचिव ने म्यांमार की जनता के लिए 10 लाख भारत निर्मित कोरोना वैक्सीन देकर द्विपक्षीय रिश्तों को काफी गर्माहट दे दी है। श्रृंगला ने वैक्सीन की यह खेप वहां की रेडक्रास सोसायटी को दी है। इसका एक हिस्सा दोनों देशों की सीमाओं पर रहने वाले लोगों को भी लगाया जाएगा। इससे कोरोना महामारी के विस्तार पर लगाम लगाने में काफी मदद मिलेगी। म्यांमार से सटे पूर्वोत्तर राज्यों के सीमा क्षेत्रों में कोरोना की स्थिति गंभीर बनी हुई है। म्यांमार उन देशों में शामिल है जहां बहुत ही कम आबादी को वैक्सीन लगी है। वहां ज्यादा लोगों को वैक्सीन उपलब्ध कराने से भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र भी ज्यादा सुरक्षित होगा।

क्या होगा सबसे अहम मुद्दा

दो दिवसीय यात्रा पर म्यांमार पहुंचे श्रृंगला गुरुवार को सरकारी प्रतिनिधियों के साथ ही राजनीतिक दलों व सिविल सोसायटी के लोगों से भी वार्ता करेंगे। सूत्रों के मुताबिक, द्विपक्षीय वार्ता में निश्चित तौर पर वहां की राजनीतिक स्थिति को उठाया जाएगा, लेकिन भारत के लिए अभी सबसे अहम मुद्दा म्यांमार के साथ लगती 1,600 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा को सुरक्षित करना है। इस सीमा के कई हिस्से अभी भी खुले हुए हैं।

भारत व म्यांमार के सहयोग से आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई

भारत के लिए इस सीमा की अहमियत दो वजहों से है। एक तो कुछ पूर्वोत्तर राज्यों में सक्रिय आतंकी संगठनों पर रोक लगाने के लिए भारतीय सैन्य बलों को इस क्षेत्र में म्यांमार की जरूरत होती है। नवंबर, 2021 में मणिपुर के चूड़ाचंदपुर में असम रायफल्स के काफिले पर हुए हमले में पांच लोगों की जानें गई थीं। इस हमले में जिन आतंकी संगठनों का हाथ है, उनके सदस्यों के म्यांमार में छिपे होने की संभावना है। पूर्व में भारत व म्यांमार के सहयोग से आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई हुई भी है। भारत इस सहयोग को और मजबूत करने के पक्ष में है।

म्यांमार के साथ सीमा पर सहयोग स्थापित करना बहुत जरूरी

दूसरा भारत-म्यांमार सीमा एक हिस्सा चीन के साथ जुड़ा हुआ है। चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में सैन्य विवाद होने के बाद म्यांमार के साथ सीमा पर सहयोग स्थापित करना और जरूरी हो गया है। खास तौर पर तब जबकि म्यांमार की मौजूदा सरकार को चीन की तरफ से पूरा समर्थन मिल रहा है। इसके अलावा मादक द्रव्यों की तस्करी और नकली नोटों की आवाजाही रोकने के लिए भी भारत को म्यांमार के सुरक्षा बलों की मदद चाहिए। भारत को पूर्व में खुफिया जानकारी मिलती रही है कि पाकिस्तान में भारतीय नोटों को छापकर उन्हें थाईलैंड के रास्ते म्यांमार भेजा जाता है। फिर वहां से पूर्वोत्तर राज्यों में नकली भारतीय नोटों को खपाया जाता है। गुरुवार को इन सभी मुद्दों पर बातचीत होने की संभावना है।


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