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चीन के राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति से मिलीं विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज

चीन दौरे के तीसरे दिन विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज ने दोनों देशों के बीच भाषाई दीवार को हटाने पर जोर दिया।

By Monika MinalEdited By: Published: Mon, 23 Apr 2018 10:06 AM (IST)Updated: Tue, 24 Apr 2018 12:42 PM (IST)
चीन के राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति से मिलीं विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज
चीन के राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति से मिलीं विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज

बीजिंग (एएनआई)। विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज ने सोमवार को चीन के राष्‍ट्रपति शी चिनफिंग व उपराष्‍ट्रपति वांग किशान से बीजिंग में मुलाकात की। इससे पहले यहां आयोजित एक इवेंट में हिस्‍सा लेते हुए उन्‍होंने दोनों देशों के बीच की भाषायी दीवार को खत्‍म करने पर जोर दिया। बीजिंग में आयोजित ‘भारत-चीन मैत्री में हिंदी का योगदान’ इवेंट के दौरान विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज ने कहा, ‘दो विदेश मंत्री मिलकर हमारे देश के बीच मैत्री को उतना अधिक मजबूत नहीं बना सकते जितना हिंदी भाषा से प्रेम करने वाले चीन के विद्यार्थी।‘

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अपने चार दिवसीय चीन दौरे के तीसरे दिन उन्‍होंने बताया, ‘एक लड़की ने अभी बताया कि उसका सपना भारत घूमना है और उसे यह नहीं पता कि यह सपना कब सच होगा। आपका सपना जल्‍द ही सच होगा। मैंने भारतीय राजदूत से अभी अभी यहां बैठे हिंदी सीखने वाले सभी छात्रों में से 25 को भारत भेजने को कहा है।‘

चीन में भारतीय फिल्‍मों को काफी लोकप्रियता मिल रही है। कल मैं विदेश मंत्री वांग यी से बात कर रही थी, तभी उन्‍होंने दंगल, सीक्रेट सुपरस्‍टार और हिंदी मीडियम को यहां मिलने वाली लोकप्रियता का जिक्र किया। विदेश मंत्री 'भारत-चीन मैत्री में हिंदी का योगदान’ इवेंट में बोल रहीं थीं।

उन्‍होंने कहा, यह हमारे लिए काफी महत्‍वपूर्ण है कि हम एक दूसरे की भाषा को समझें। जिस तरह आज हमारे बीच संबंध मजबूत हो रहे हैं, इसके तहत चीनी छात्रों का हिंदी भाषा जानना और भारतीय छात्रों को मंडारिन सीखना खासा महत्‍वपूर्ण है ताकि जब आप भारत जाए या भारतीय चीन आएं तो उन्‍हें भाषा अवरोधों का सामना न करना पड़े।

शनिवार को चीन पहुंची सुषमा स्वराज 24 अप्रैल को शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) में हिस्सा लेंगी। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण भी एससीओ मीटिंग में हिस्सा लेंगी। जून में किंगदाओ में होने वाली एससीओ समिट की तैयारियों के लिहाज से भी यह बैठक महत्वपूर्ण है। यह मीटिंग इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत और पाकिस्तान के 2017 में एससीओ में शामिल होने के बाद दोनों देशों की मौजूदगी में यह पहली मीटिंग है।


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