पाकिस्तान ने जून तक नहीं आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए कार्रवाई नहीं की तो FATF से होगा ब्लैक लिस्ट
आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने का जो दिखावा पाकिस्तान ने पिछले कुछ दिनों में किया है उससे अंतरराष्ट्रीय बिरादरी संतुष्ट नहीं है।
नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने का जो दिखावा पाकिस्तान ने पिछले कुछ दिनों में किया है, उससे अंतरराष्ट्रीय बिरादरी संतुष्ट नहीं है। यही वजह है कि फाइनेंशिएल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को सिर्फ चार महीने की और मोहलत दी है। साथ ही कहा कि पाकिस्तान ने अगर जून, 2020 तक आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए बताए गए काम नहीं किए तो उसे ब्लैक लिस्ट यानी प्रतिबंधित सूची में डाला जा सकता है। अभी पाकिस्तान ग्रे लिस्ट यानी निगरानी सूची में शामिल है और उसे वर्ष 2018 में ही एफएटीएफ ने 27 कार्यों की एक सूची सौंपी थी। आतंकी फंडिंग समेत काले धन का प्रवाह रोकने के लिए पूरे विश्व में एक समान नियम कानून बनाने के लिए गठित एफएटीएफ की पिछले रविवार से पेरिस में बैठक चल रही है और इसका फैसला शुक्रवार को सामने आएगा।
आतंकी फंडिंग रोकने का लक्ष्य चार माह में करना है पूरा
एफएटीएफ की बैठक में हिस्सा ले रहे कूटनीतिक सूत्रों ने बताया कि एफएटीएफ की बैठक में पाकिस्तान को तुर्की के अलावा अन्य किसी भी देश से साफ तौर पर समर्थन नहीं मिला। मोटे तौर पर सदस्य देशों में यह आम राय थी कि आतंकी गतिविधियों तक फंड प्रवाह रोकने का खतरा पाकिस्तान में पूरी तरह से बना हुआ है। पाकिस्तान सरकार के समक्ष जो 27 काम टास्क फोर्स की तरफ से दिए गए थे, उसमें से आधे पर भी ठीक तरह से काम नहीं हुआ है। ऐसे में उसे कहा गया है कि वह जून, 2020 तक बाकी सभी काम पूरा करे। अगर निर्धारित समय सीमा के भीतर ऐसा नहीं होता है तो एफएटीएफ उचित कार्रवाई करेगा। इसके तहत सभी सदस्य देशों का कहा जाएगा कि वह पाकिस्तान के साथ अपने कारोबारी और वित्तीय रिश्तों पर खास ध्यान दे। दूसरे शब्दों में कहें तो एफएटीएफ की तरफ से पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाएगा। तब तक पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में बना रहेगा।
पाक को मिली प्रतिबंधित सूची में डालने की एफएटीएफ की चेतावनी
सूत्रों के मुताबिक पेरिस बैठक से यह भी बात भी सामने आ गई कि एफएटीएफ के बताए निर्देशों के मुताबिक कदम उठाने का जो स्वांग पाकिस्तान सरकार भर रही थी, वे सब खोखले थे। अब पाकिस्तान के पास एफएटीएफ की कार्य योजना को ठोस और तत्काल तरीके से लागू करने के अलावा और कोई चारा नहीं है। पाकिस्तान को जो कदम उठाने होंगे उनमें आतंकियों के लिए मनी लांड्रिंग को पूरी तरह से रोकना, गैर कानूनी तरीके से राशि हस्तांतरित करने की हर तरह की गतिविधियों को रोकना, दूसरे देशों में ब्लैक मनी को भेजना या दूसरे देशों से ब्लैक मनी के प्रवाह को रोकना, आतंकी फंडिंग को रोकने में सरकारी व कानूनी एजेंसियों को मजबूत बनाना और उनकी तरफ से ठोस कदम उठाने जैसे कदम शामिल होंगे। यह भी साबित करना होगा कि उसकी एजेंसियों ने आतंकी फंडिंग को रोकना शुरू कर दिया है। इसके साफ तौर पर उदाहरण देने होंगे। यह भी दिखाना होगा कि अभी तक आतंकी संगठनों को जो मदद मिली थी या फंड मिला था उसे अब जब्त किया जा रहा है।
ब्लैक लिस्ट होने पर पाकिस्तान के सामने होगा भारी आर्थिक संकट
जानकारों की मानें तो पाकिस्तान के एफएटीएफ से ब्लैक लिस्ट होने की स्थिति में उसे भारी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है। विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी कह चुके हैं कि ऐसा होने पर पाकिस्तान पर सालाना 10 अरब डॉलर को बोझ पड़ेगा। दूसरे देशों के लिए पाकिस्तान के साथ कारोबार करना मुश्किल हो जाएगा।