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करतारपुर गलियारे से नहीं घुस पाएंगे देश के दुश्मन, बनेगा नए किस्‍म का सुरक्षा नेटवर्क

करतारपुर गलियारा बनाने के फैसले के साथ ही सरकार इसकी सुरक्षा के बेहतरीन इंतजाम करने में जुट गई है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 23 Nov 2018 08:43 PM (IST)Updated: Fri, 23 Nov 2018 08:43 PM (IST)
करतारपुर गलियारे से नहीं घुस पाएंगे देश के दुश्मन, बनेगा नए किस्‍म का सुरक्षा नेटवर्क
करतारपुर गलियारे से नहीं घुस पाएंगे देश के दुश्मन, बनेगा नए किस्‍म का सुरक्षा नेटवर्क

 नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। करतारपुर गलियारा बनाने के फैसले के साथ ही सरकार इसकी सुरक्षा के बेहतरीन इंतजाम करने में जुट गई है। बुधवार को कैबिनेट की बैठक में जब इस गलियारे को लेकर चर्चा हुई है तो इसके सुरक्षा से जुड़े मुद्दे भी उठे। हाल ही में पंजाब में हुए बम हमले और इसके पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ की भूमिका होने के संदेह का मामला भी चर्चा के दौरान उठा। बहरहाल, अभी यह फैसला किया गया है कि संबंधित सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों के बीच बिल्कुल नए किस्म का नेटवर्क बनाया जाए तो इस पूरे कॉरिडोर को फुल-प्रूफ सुरक्षा दे सके।

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 विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक यह भारत व पाकिस्तान की सीमा पर अपनी तरह का पहला स्थान होगा जहां चौबीसों घंटे और सालों भर आना जाना लगा रहेगा। साल के कुछ समय लाखों लोगों की भीड़ यहां एकत्रित हो सकती है और हो सकता है कि एक-एक दिन में हजारों की तादाद में लोग भारत से पाकिस्तान में जाएं और वहां से भारत में आये।

ऐसे में करतारपुर कॉरिडोर को लेकर हमारी सुरक्षा दो तरह की होनी चाहिए। एक तो वहां आने वाले यात्रियों की जान-माल की रक्षा हो सके और सीमा पार करने वाले धार्मिक यात्रियों की आड़ में पाकिस्तान की तरफ से देश में सौहार्द बिगाड़ने वाली कोई साजिश न रची जाए। शुक्रवार को भी भारत ने अपने उच्चायोग के अधिकारियों के साथ हुए दु‌र्व्यवहार पर जताये गये ऐतराज में इस बात का जिक्र किया है कि अभी भी तीर्थ यात्रा पर पाकिस्तान जाने वाले यात्रियों को भड़काने और भारत के खिलाफ साजिश रचने का काम किया जाता है।

भारत की इस चिंता की मुख्य वजह यह है कि 80 के दशक में जब पंजाब में खालिस्तान समर्थक आतंकवाद को बढ़ाने में पाकिस्तान ने अहम भूमिका निभाई थी और इसकी शुरुआत उसने पाकिस्तान जाने वाले धार्मिक यात्रियों को भड़काने के साथ की थी।

यही नहीं हाल ही में लंदन में खालिस्तान समर्थक मोर्चा निकालने में भी पाकिस्तानी एजेंसी आइएसआइ की भूमिका सामने आई है। वर्ष 2015 में थाइलैंड में खालिस्तान टाइगर फोर्स के मुखिया जगतार सिंह तारा को गिरफ्तारी के बाद भी यह बात सामने आई थी कि किस तरह से पाकिस्तान की यह कुख्यात एजेंसी ने अपने खालिस्तान सेल को बंद नहीं किया है बल्कि उसे नए सिरे से जिंदा करने की मंशा रखता है।

भारतीय पक्ष की चिंता को हाल ही में पंजाब में हुई आतंकी घटना से जोड़कर देखा जा सकता है। एक धार्मिक समारोह में बम विस्फोट के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री तक ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी की भूमिका पर संदेह जताया है। माना जा रहा है कि सिखों व निरंकारी समुदाय के बीच तनाव का फायदा उठा कर पाकिस्तान वहां फिर से अस्थिरता फैलाने का ख्वाब देख रहा है।

वैसे भी पूर्व में पंजाब से पाकिस्तान में धार्मिक यात्रा पर जाने वालों को वहां खालिस्तान के नाम पर भड़काने की कई घटनाएं सामने आई है। इस पर भारत की तरफ से आधिकारिक तौर पर विरोध भी जताया गया है। करतारपुर साहिब में बनने वाले कॉरिडोर में इन सब तथ्यों को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा इंतजाम किये जाएंगे।


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