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हांगकांग पर आफत में है चीन की जान, लंबा चला तो उठाना होगा शी चिनफिंग को नुकसान

हांगकांग एक बार फिर प्रदर्शन की आग में सुलगता दिखाई दे रहा है। इसके साथ ही चीन की इसको लेकर परेशानी भी बढ़ रही है। वैश्विक मंच पर भी ये मुद्दा उछल रहा है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Tue, 02 Jun 2020 11:32 AM (IST)Updated: Wed, 03 Jun 2020 08:29 AM (IST)
हांगकांग पर आफत में है चीन की जान, लंबा चला तो उठाना होगा शी चिनफिंग को नुकसान
हांगकांग पर आफत में है चीन की जान, लंबा चला तो उठाना होगा शी चिनफिंग को नुकसान

नई दिल्‍ली (जेएनएन)। हांगकांग के मुद्दे पर चीन की जान आफत में पड़ी है। पांच माह के बाद ये मुद्दा एक बार फिर से वैश्विक बनता जा रहा है, जिसकी वजह से चीन तिलमिलाया हुआ है। अमेरिका के साथ लगातार चीन का विवाद चल रहा है और अब इसमें एक बार फिर ये मुद्दा आग में घी का काम करता दिखाई दे रहा है। अमेरिका ने चीन को लेकर जो पिछले दिनों बेहद कठोर फैसले लिए है हांगकांग विवाद उसकी एक कड़ी मालूम पड़ रहा है। एक तरफ जहां चीन हांगकांग के मुद्दे से ध्‍यान भटकाने की पूरी कोशिश में लगा है वहीं अमेरिका लगातार उसके इस घाव को कुरेद कर उसका जख्‍म ताजा बनाए रखना चाहता है। ये एक ऐसा मुद्दा है जिसने बीते वर्ष से ही चीन को परेशान कर रखा है। इस विषय पर जानकारों की राय भी बेहद मायने रखती है। इसी मुद्दे पर दैनिक जागरण ने जेएनयू के सेंटर फॉर चाइनीज एंड साउथ एशियन स्‍टडीज के प्रोफेसर बीआर दीपक से बात की।

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इस अहम बातचीत के दौरान प्रोफेसर दीपक ने कहा कि चीन और हांगकांग के बीच का टकराव लंबा चलेगा और ये भविष्‍य में चीन के लिए कई तरह की मुश्किलें भी खड़ी करेगा। उनके मुताबिक इसकी वजह ये है कि हांगकांग में होने वाले प्रदर्शनों में अब आजादी की जो मांग उठाई जा रही है उसको चीन किसी भी सूरत से बर्दाश्‍त नहीं कर सकता है। यही वजह है कि ये समस्‍या जल्‍द नहीं सुलझने वाली है। इसके अलावा जिस तरह से दूसरे देशों में हांगकांग के प्रदर्शनों को लेकर आवाजें उठ रही हैं उसमें चीन की परेशानी और अधिक बढ़ जाएगी। उनके मुताबिक चीन लगातार हांगकांग में अपने नियमों को लागू करने की कोशिश कर रहा है, जिसकी वजह से वहां के लोगों में चीन की और हांगकांग की सरकार से टकराव बढ़ता जा रहा है।

प्रोफेसर दीपक के मुताबिक ब्रिटेन और चीन के बीच हांगकांग को सौंपने के दौरान जो समझौता हुआ था उसका एक गवाह संयुक्‍त राष्‍ट्र भी है। समझौते के मुताबिक उस वक्‍त चीन ने हांगकांग को स्‍वायत्‍त क्षेत्र मानते हुए उसको अपने कानून लागू करने की इजाजत दी थी। चीन का मानना है कि समझौते में शामिल अनुच्‍छेद 23 को हांगकांग अब तक पूरा नहीं कर सका है। इस बीच चीन ने अपने सुरक्षा कानून को वहां के लिए पास किया लेकिन उसको हांगकांग में लागू करने में उसको सफलता हासिल नहीं हो सकी। 2003 और 2014 में भी इसके विरोध में हांगकांग में प्रदर्शन हुए थे। इसकी वजह ये थी कि हांगकांग के लोग मानते हैं कि इन कानूनों के लागू करने के बाद चीन का दबाव उनके ऊपर बढ़ जाएगा। लेकिन अब जबकि हांगकांग में ऐसी सरकार है जो चीन समर्थक है तो वहां की जनता उसके भी खिलाफ है। इसलिए रहरह कर हांगकांग में लगातार हिंसक प्रदर्शन दिखाई दे रहे हैं।

वे ये भी मानते है कि इन प्रदर्शनों के पीछे कहीं न कहीं अमेरिका और ब्रिटेन भी है। अमेरिका में लगातार हांगकांग को एक मुद्दा बनाया जा रहा है। ये सब कुछ ऐसे समय में हो रहा है जब इसी वर्ष अमेरिका में राष्‍ट्रपति चुनाव होने हैं। ऐसे में सत्‍ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही के लिए ये एक बड़ा मुद्दा है। उनके मुताबिक अमेरिका और चीन के बीच बीते कुछ समय से लगातार कई चीजों को लेकर विवाद बना हुआ है। इसमें अब हांगकांग के साथ ताजा विवाद कोराना वायरस की उत्‍पत्ति का भी है। इससे पहले ट्रेड वार, दक्षिण चीन सागर, ताइवान समेत कई ऐसे मुद्दे हैं जो लगातार दोनों देशों के बीच तीखी बयानबाजी की बड़ी वजह रहे हैं। ऐसे में हांगकांग का मामला भी जल्‍द सुलझने की उम्‍मीद न के ही बराबर है। इसका नुकसान भी चीन को उठाना होगा। उनके मुताबिक हांगकांग के मुद्दे की वजह से चीन की साख वैश्विक स्‍तर पर कम जरूर होगी और टकराव के और विकल्‍प भी खुल जाएंगे।

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