WHO की फंडिंग रोकने पर फिर अमेरिका और चीन आए आमने सामने, जानें क्या है पूरा मामला
अमेरिका द्वारा WHO की फंडिंग रोके जाने से नाराज चीन ने अमेरिका को जमकर खरीखोटी सुनाई है।
बीजिंग। एक तरफ जहां पूरी दुनिया कोरोना संकट से जूझ रही है वहीं दूसरी तरफ अमेरिका वैश्विक संस्थानों का कोष रोककर समस्या खड़ी कर रहा है। चीन ने इसको लेकर चिंता जताई है कि अमेरिका के विश्व स्वास्थ्य संगठन का कोष रोकने पर अपनी मुहर लगा दी। ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक अलावा चीन ने अमेरिका से अपील भी की है कि वह इस संकट के समय वह अपने दायित्वों को पूरा करे। चीन की तरफ से कहा गया है कि अमेरिका के निर्णय से डब्ल्यूएचओ की क्षमत में कमी आएगी जो इस समय घातक हो सकती है। इस कदम के साथ इस संस्था द्वारा चलाए जा रहे इस महामारी के खिलाफ अभियान में अंतरराष्ट्रीय सहयोग कम होगा।
आपको बता दें कि अमेरिका ने ये कदम इसलिए उठाया है क्योंकि डब्ल्यूएचओ की तरफ से कोरोना वायरस से लड़ने को लेकर चीन की तारीफ की गई थी। इसको लेकर ट्रंप ने नाराजगी जताई थी। उन्होंने कहा था कि इस संस्था को सबसे अधिक पैसा अमेरिका से ही मिलता है। इसके बाद भी वो चीन के गुणगान गा रहे हैं। इतना ही नहीं मंगलवार को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जिनेवा स्थित निकाय पर जीवन रक्षक कदमों को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया था।
अमेरिका के इस कदम से पूरी दुनिया चिंतित है। अमेरिका ने डब्ल्यूएचओ पर चीन की तरफ झुकाव रखने और उन्हें कोरोना वायरस की गलत जानकारी देने का भी आरोप लगाया है। आपको बता दें कि चीन और अमेरिका के बीच कुछ दिन पहले भी इस वायरस की सृजन को लेकर काफी तीखी बयानबाजी हो चुकी है। अमेरिका ने जहां इसको चीनी वायरस बताया था वहीं चीन ने आरोप लगाया था कि ये अमेरिका ने बनाया और वुहान में इसको छोड़ दिया था। चीन की तरफ से कहा गया था आज पूरी दुनिया जिस संकट से जूझ रही है वह दरअसल अमेरिका की देन है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने आरोप लगाया कि डब्ल्यूएचओ दुनियाभर में जारी कोरोना महामारी को लेकर चीन केंद्रित हो गया है। उन्होंने कहा कि हम डब्ल्यूएचओ को दी जानी धनराशि को रोकने जा रहे हैं। व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान ट्रंप ने इस बात की जानकारी दी थी। उन्होंने ये भी कहा कि संगठन को सबसे ज्यादा फंड अमेरिका ही देता है। इसके बाद भी संगठन ने अब तक जो कदम उठाए वो गलत थे। उन्होंने कहा कि संगठन लगातार हमारी आलोचना कर रहा है। इतना ही नहीं, जब यात्राओं पर रोक लगाई गई तब भी संगठन के महानिदेशक ने इस कदम की निंदा की थी ऐसा लगता है कि वे चीन केंद्रित हो गए हैं।
गौरतलब है कि दुनिया की इन दो बड़ी शक्तियों के बीच कई बातों को लेकर वर्षों से मतभेद हैं। ट्रंप के सत्ता में आने के बाद कई बार इन दोनों में टकराव हुआ है। बात चाहे अमेरिका में जारी वन चाइना पॉलिसी को खत्म करने की हो या दोनों के बीच व्यापार की या दक्षिण चीन सागर की, सभी में दोनों की एक दूसरे के प्रति कटुता साफतौर पर दिखाई दी है।