'अम्ब्रेला मूवमेंट' चलाने वाले छात्र का नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकन, भड़क उठा चीन
हांगकांग के लोकतंत्र समर्थक छात्र नेता जोशुआ वांग को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया है। इससे चीन भड़क गया है।
हांगकांग, एजेंसी। अमेरिका के एक दर्जन सांसदों ने नोबेल शांति पुरस्कार के लिए हांगकांग के लोकतंत्र समर्थक छात्र नेता जोशुआ वांग को नामांकित किया है। इससे चीन भड़क गया है। अमेरिका के चार डेमोक्रेट और आठ रिपब्लिकन सांसदों ने नोबेल शांति पुरस्कार कमेटी को लिखे अपने पत्र में कहा, 'ऐसे समय में जब बीजिंग ने हांगकांग की स्वायत्तता को कमजोर करने की कोशिश की है, इसके भविष्य को बचाने में लोकतंत्र समर्थकों ने शांतिपूर्ण और सक्रिय भूमिका निभाई है।'
अमेरिकी सांसदों के कदम से नाराज चीन ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह उसके आंतरिक मामलों में दखलअंदाजी है। अमेरिका को दोनों देशों के बीच के बेहतर रिश्ते को बनाए रखने के लिए ऐसा करने से बचना चाहिए।
21 वर्षीय वांग हांगकांग में लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए आंदोलनरत रहे हैं। उन्होंने वषर्ष 2014 में सहयोगी नाथन लॉ (24) और एलेक्स चाओ (27) के साथ मिलकर लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए बड़ा आंदोलन शुरू किया था। इसमें करीब 10 हजार से ज्यादा लोगों ने भाग लिया था। प्रदर्शनकारियों ने खुद को पुलिस के आंसू गैस और काली मिर्च के स्प्रे से बचाने के लिए छाते का इस्तेमाल किया था। 79 दिनों तक चले इस आंदोलन को विश्वभर में तभी से अम्ब्रेला मूवमेंट के नाम से जाना जाता है।
चीन और हांगकांग सरकार ने इस आंदोलन को अवैध करार दिया था। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को कई सालों बाद ऐसे विरोध का सामना करना पड़ा था। अगर वांग नोबेल शांति पुरस्कार जीतते हैं तो वह पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई के बाद यह पुरस्कार पाने वाले दूसरे सबसे कम उम्र के शख्स होंगे। मलाला को 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था। उस समय मलाला की उम्र 17 वर्ष थी। विजेताओं के नाम की घोषणा इसी साल अक्टूबर में की जाएगी।