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एफटीए पर हस्‍ताक्षर के बाद मालदीव में चीन का विरोध जोरों पर

मालदीव ने चीन के साथ मुक्त व्यापार क्षेत्र (एफटीए) समझौते पर हस्ताक्षर कर दिया है जिसके बाद वहां चीन का विरोध हो रहा है।

By Monika MinalEdited By: Published: Tue, 19 Dec 2017 10:33 AM (IST)Updated: Tue, 19 Dec 2017 10:49 AM (IST)
एफटीए पर हस्‍ताक्षर के बाद मालदीव में चीन का विरोध जोरों पर
एफटीए पर हस्‍ताक्षर के बाद मालदीव में चीन का विरोध जोरों पर

हांग कांग (एएनआई)। चीन दौरे के दौरान मालदीव के राष्‍ट्रपति अब्‍दुल्‍ला यामीन ने जल्‍दबाजी दिखाते हुए संवैधानिक व कानूनी मानदंडों को दरकिनार कर चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर कर दिया जिसके बाद मालदीव में चीन विरोधी लहर शुरू है।

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चीन ने मालदीव के साथ संबंध का फायदा उठाकर भारत को शिकस्त देने की कोशिश की है। दरअसल मालदीव ने चीन के साथ मुक्त व्यापार क्षेत्र (एफटीए) समझौते पर हस्ताक्षर किए है। एक साल पहले उसने भारत के साथ यह समझौता करने की बात कही थी।

मालदीव की संसद ने 1,000 पन्नों के एफटीए समझौते पर मात्र 30 मिनट में सत्ताधारी दल के 30 सदस्यों की मौजूदगी में मुहर लगा दी, जबकि संसद में कुल 85 सदस्य हैं। विपक्षी सदस्यों ने एफटीए पर वोटिंग का बहिष्कार किया। उनका आरोप था कि यह समझौता जल्दबाजी में हुआ।

उल्लेखनीय है कि हिंद महासागर में चीन की मौजूदगी और प्रभाव इस समझौते के बाद बढ़ जाएगा। जहां भारत चीन के प्रभाव को कम करना चाहता है। इस समझौते के तहत दोनों देश ज्यादातर सामान पर शून्य फीसदी आयात शुल्क पर अपने यहां आयात करेंगे। 

मालदीव सरकार के सूत्रों का कहना है कि एफटीए पर हस्‍ताक्षर के लिए चीन की ओर से दबाव डाला जा रहा था1 चीन ने माले और हुलहुमाले द्वीप को जोड़ने वाले एक पुल के लिए 10 करोड़ डॉलर की मदद की पेशकश की है।

एफटीए के जरिए चीन में मछली व इसके प्रोटक्‍ट, अंडे, सोयाबीन, मक्‍खन, नारियल आदि शून्‍य कर के साथ मालदीव्‍स की पहुंच हो जाएगी। इसके बदले में मालदीव की ओर से चीन को इसके निर्माण, पर्यटन, शिक्षा, बीमा, पारंपरिक दवाइयां आदि सेवाएं दी जाएंगी। अब्‍दुल्‍ला यामिन सरकार द्वारा एफटीए व इस तरह के कई और फैसले लिए गए जो चीन के पक्ष में हैं। इससे देश में चीन विरोधी माहौल है।

यह भी पढ़ें: मालदीव के राष्ट्रपति ने संसद में गंवाया बहुमत

 


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