पाकिस्तान: चुनाव प्रचार के अंतिम दिन सियासी दलों ने झोंकी ताकत, बुधवार को मतदान
पाकिस्तान की संसद नेशनल असेंबली और चार प्रांतों की विधानसभाओं के लिए बुधवार को मतदान होगा।
इस्लामाबाद, आइएएनएस/प्रेट्र। पाकिस्तान में चुनाव प्रचार का शोरगुल सोमवार रात को थम गया। अखबारों और टीवी चैनलों पर प्रचार सामग्री दिखाए जाने पर भी रोक लगा दी गई है। प्रचार के अंतिम दिन पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और इमरान खान की पार्टियों समेत सभी दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों ने वोटरों को लुभाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। पाकिस्तान की संसद नेशनल असेंबली और चार प्रांतों की विधानसभाओं के लिए बुधवार को मतदान होगा।
पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, शरीफ के भाई और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष शाहबाज शरीफ ने सोमवार को पंजाब प्रांत के डेरा गाजी खान और रावलपिंडी में चुनावी सभाएं कीं। पंजाब पीएमएल-एन का गढ़ माना जाता है। चुनाव में पीएमएल-एन की जीत पर शाहबाज के प्रधानमंत्री बनने की संभावनाएं जताई गई हैं क्योंकि नवाज शरीफ भ्रष्टाचार मामले में दस साल की सजा काट रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उनके चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध भी लगा रखा है। शाहबाज के बेटे हमजा ने लाहौर में पार्टी उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार किया। इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआइ) ने भी प्रचार के अंतिम दिन पूरी ताकत लगा दी। इमरान ने आखिरी दिन लाहौर में जमकर प्रचार किया। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो ने सिंध प्रांत में कई रैलियों को संबोधित किया।
सत्ता का रास्ता पंजाब से
पाकिस्तान की सत्ता का रास्ता पंजाब प्रांत से होकर जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रांत से जिस पार्टी को सबसे ज्यादा सीटें मिलेगी, पाकिस्तान की सत्ता पर वही काबिज होगी। संसद की 272 सीटों में से 141 अकेले पंजाब में हैं। यह पाकिस्तान का सबसे बड़ी आबादी वाला प्रांत है। 2013 के चुनाव में पीएमएल-एन को यहां बड़ी जीत मिली थी, जबकि पीटीआइ के खाते में महज दो सीटें आई थीं। इस बार पीएमएल-एन को पीटीआइ से कड़ी टक्कर मिल रही है।
125 ट्रांसजेंडरों की भी चुनाव में लगी ड्यूटी
पाकिस्तान में मतदान प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए करीब 125 ट्रांसजेंडरों की भी ड्यूटी लगाई गई है। वे बुधवार को मतदान केंद्रों पर वोटिंग के दौरान बतौर पर्यवेक्षक कार्यरत रहेंगे।
कराची के अस्पतालों में स्टाफ की कमी
कराची शहर के चिकित्सा कर्मचारियों की भी चुनाव में ड्यूटी लगा दी गई है। इसके चलते शहर के अस्पतालों में स्टाफ की कमी पड़ गई है। डॉन अखबार के अनुसार, 500 डॉक्टरों और 300 नर्सो समेत 1500 से ज्यादा कर्मचारियों को चुनाव में तैनात किया गया है।