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जानें, आखिर क्यों उ.कोरिया से बिना शर्त बातचीत के लिए अमेरिका है तैयार

अमेरिका विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने कहा, अमेरिका उ. कोरिया संग परमाणु निरस्त्रीकरण के मसले पर बिना पूर्व शर्त के सीधी वार्ता को तैयार है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 14 Dec 2017 11:34 AM (IST)Updated: Thu, 14 Dec 2017 04:40 PM (IST)
जानें, आखिर क्यों उ.कोरिया से बिना शर्त बातचीत के लिए अमेरिका है तैयार
जानें, आखिर क्यों उ.कोरिया से बिना शर्त बातचीत के लिए अमेरिका है तैयार

वाशिंगटन (प्रेट्र/रायटर)। अमेरिका ने उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम पर नरमी दिखाई है। विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने कहा, अमेरिका उ. कोरिया संग परमाणु निरस्त्रीकरण के मसले पर बिना पूर्व शर्त के सीधी वार्ता को तैयार है। टिलरसन का यह बयान ऐसे समय आया है जब उ.कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने अपने देश को दुनिया का सबसे शक्तिशाली परमाणु संपन्न देश बनाने का प्रण लिया है। उ.कोरिया ने दो हफ्ते पूर्व ही अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया था। इसके बाद किम जोंग उन ने दावा किया था कि अब पूरा अमेरिका उसकी मिसाइलों की जद में आ गया है। हालांकि टिलरसन का यह ताजा बयान उनकी पूर्व की टिप्पणियों के उलट है जिसमें उन्होंने कहा था कि अमेरिका प्योंगयांग से वार्ता नहीं करेगा। वार्ता होगी, जब वहां का शासन परमाणु निरस्त्रीकरण को तैयार होगा। 

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वाशिंगटन में मंगलवार को अटलांटिक काउंसिल फोरम के कार्यक्रम में टिलरसन ने कहा, ‘हम उ.कोरिया के साथ किसी भी समय बिना किसी पूर्व शर्त के वार्ता को तैयार हैं।’ अमेरिकी विदेश मंत्री यह प्रस्ताव राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उन चेतावनियों के विपरीत है जिसमें उन्होंने कहा था कि वार्त की राह विफल हो गई है, टिलरसन समय बर्बाद कर रहे हैं। हालांकि टिलरसन के इस बयान के बाद ह्वाइट हाउस ने कहा,उत्तर कोरिया पर राष्ट्रपति के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है।

गुआम है किम की आंखों की किरकिरी

मसले की जड़

उत्तर कोरिया ने 28 जुलाई को अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (आइसीबीएम) ह्वासोंग-14 का परीक्षण किया। उसके मुताबिक यह मिसाइल 3,700 किमी की ऊंचाई तक उड़ान भरकर एक हजार किमी की दूरी तक गई। यह अमेरिका के कुछ हिस्सों तक वार करने में सक्षम है। उल्लेखनीय है कि इस परीक्षण समेत उसका हर परीक्षण अमेरिका को नागवार गुजरता रहा है।

अमेरिकी मोर्चेबंदी और उत्तर कोरिया

उत्तर कोरिया के आसपास अमेरिका ने कई सैन्य ठिकाने बना रखे हैं। आपात स्थिति में यहां से पलक झपकते ही दुश्मन को बर्बाद किया जा सकेगा।

जापान

यहां करीब 40 हजार अमेरिकी सैनिक हैं। साथ ही बी-1 बमवर्षक विमान भी मौजूद हैं। जापान में ही अमेरिकी नौसेना का सबसे बड़ा समुद्री बेड़ा सेवेंथ फ्लीट भी है। इसमें 70 पोत व पनडुब्बी, 140 विमान और करीब 20 हजार नौसैनिक हैं।

दक्षिण कोरिया 

35 हजार सैनिक हैं। तीन सौ से अधिक युद्धक टैंक और बख्तरबंद वाहन। थाड भी तैनाती प्रक्रिया में है।

-थाईलैंड, फिलीपींस और सिंगापुर में अमेरिका अपनी वायुसेना और नौसेना का इस्तेमाल करता है।

-हवाई द्वीप पर 40 हजार से अधिक सैनिक, दो सौ समुद्री जहाज और एक हजार विमान तैनात।

-कोरियाई प्रायद्वीप पर अमेरिका का कैरियर स्ट्राइक ग्रुप वन भी तैनात है। इसमें यूएसएस कार्ल विंसन व यूएसएस रोनाल्ड रीगन के अलावा कई युद्धपोत, विध्वंसक जहाज है।

गुआम में है अमेरिकी थाड

प्रशांत महासागर में स्थित अमेरिका प्रशासित द्वीप गुआम में अत्याधुनिक एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम थाड सक्रिय है। यह दुश्मनों की मिसाइलों को हवा में ही मार गिराने में सक्षम है।

इस साल 23 मिसाइलों के परीक्षणों से बढ़ा तनाव

उत्तर कोरिया ने मिसाइल कार्यक्रम तेज कर दिया है। वह फरवरी से अब तक 23 मिसाइलों का परीक्षण कर चुका है। सितंबर में छठी बार परमाणु परीक्षण किया और इसे हाइड्रोजन बम का टेस्ट बताया था।

किम ने ली देश को शक्तिशाली ताकत बनाने की शपथ

उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने अपने देश को दुनिया की सबसे शक्तिशाली परमाणु ताकत बनाने की शपथ ली है। यहां की सरकारी न्यूज एजेंसी केसीएनए के अनुसार, हालिया मिसाइल परीक्षण को सफल बनाने वाले कर्मचारियों से किम ने कहा कि उनका देश विजेता की तरह आगे बढ़ेगा और विश्व में सबसे शक्तिशाली परमाणु और सैन्य ताकत बनेगा।


किम की हेकड़ी निकालने को ट्रंप के पास ये भी हैं विकल्प

ब्रिटेन के क्राइसिस रिसर्च इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर मार्क आल्मंड ने एक आकलन करके बताया है कि अमेरिका उत्तर कोरिया को सबक सिखाने के लिए कौन-कौन से कदम उठा सकता है। उन्होंने रिपोर्ट में कहा है कि अमेरिका दुनिया के कई देशों के जरिये दबाब बना कर उत्तर कोरिया को घुटने टेकने के लए विवश कर सकता है। इससे बात नहीं बनी तो वह उत्तर कोरिया पर सीमित हवाई हमले कर सकता है। दक्षिण कोरिया, जापान और गुआम में एयर बेस हैं। कोरियाई प्रायद्वीप पर अमेरिका के परमाणु ऊर्जा संचालित युद्धपोत भी तैनात हैं। इनमें ब्रिटिश वायुसेना के पास मौजूद कुल लड़ाकू विमानों से अधिक लड़ाकू विमान तैनात हैं। उत्तर कोरिया भी हवाई हमलों से बचने के लिए परमाणु मिसाइलों का स्थान बदलता रहता है। उसकी ठोस ईंधन संचालित मिसाइलें अधिक तेजी से वार करती हैं। इन रणनीतियों के जरिये वह हवाई हमलों का सामना कर सकता है।

1950 में जमीनी युद्ध में उ.कोरिया को दी थी मात

1950 में उत्तर कोरिया के पास समुद्री क्षेत्रों की रक्षा के पर्याप्त साधन नहीं थे। तब अमेरिका ने इसी रास्ते हमला किया और विजय पाई। अब उत्तर कोरिया के पास भले ही कम हथियार और तकनीक हो लेकिन सैन्य क्षमता अधिक है। उ.कोरिया के पास 60 परमाणु बम हैं। जमीनी हमले के समय वह परमाणु व जैविक बमों से हमला कर सकता है। इससे पड़ोसी देशों को भी नुकसान होगा। चीन भी दक्षिण कोरिया में अमेरिका द्वारा थाड लगाने का विरोध कर रहा है। उसे आशंका है कि अमेरिका के किसी भी हमले का निशाना चीन हो सकता है। इसलिए अमेरिकी हमले के वक्त चीन भी इसमें शामिल हो सकता है और इससे तृतीय विश्व युद्ध की संभावनाएं बढ़ेंगी।

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