Move to Jagran APP

बिहार में नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए BJP कर सकती है प्रयोग, जातीय समीकरण के बजाय जनसंपर्क को दे सकती है महत्व

भाजपा ( BJP) के एजेंडे में बिहार का महत्व कितना बढ़ गया है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मात्र एक महीने के भीतर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का दूसरा दौरा बिहार में फिर से होने जा रहा है।

By Jagran NewsEdited By: Shashank MishraPublished: Sat, 01 Oct 2022 10:20 PM (IST)Updated: Sat, 01 Oct 2022 10:20 PM (IST)
बिहार में नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए BJP कर सकती है प्रयोग, जातीय समीकरण के बजाय जनसंपर्क को दे सकती है महत्व
बीजेपी को बिहार में ऐसे चेहरे की तलाश है, जो जातीय समीकरण से पार जाकर जनसंपर्क में हो समर्थ।

नई दिल्ली, अरविंद शर्मा। बिहार में जदयू से अलगाव के बाद अपनी राह तैयार करने में जुटी भाजपा को इसका अहसास तो है कि जातिगत समीकरण को छोड़ा नहीं जा सकता है लेकिन मंथन इस बात पर है कि ऐसे चेहरे की तलाश करनी होगी जो जातियों से परे जाकर भी जनता से संपर्क बना पाए। ऐसे में संभव है कि पार्टी किसी ऐसे चेहरे पर भी दांव लगाने का प्रयोग कर सकती है जो अब तक दूसरी तीसरी पंक्ति में शामिल रहे हों।

loksabha election banner

नीतीश के अतिरिक्त तेजस्वी यादव भी दें रहे बीजेपी को चुनौती

कोई भी फैसला पूरे प्रदेश से आने वाले फीडबैक के बाद ही लिया जाएगा। बिहार में सत्ता का समीकरण बदल जाने के बाद भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती राजद और जदयू की संयुक्त शक्ति से पार पाने की है।

आमतौर पर क्षेत्रीय दलों का मूल आधार जातीयों का गठबंधन होता है। भाजपा से अलग होने के बाद नीतीश कुमार सात दलों की सरकार चला भी रहे हैं, जिसमें कांग्रेस को छोड़कर बाकी दलों की पहचान किसी न किसी जाति या समूह से जुड़ी है।

Video: Amit Shah ने Gujarat के मेलडी माता जी मंदिर में की पूजा अर्चना। Shardiya Navratri

ऐसे में भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश में जातीय समीकरण को भी नजरअंदाज नहीं किया जा रहा। इतना जरूर देखा जा रहा कि प्रदेश की कमान जिसे दी जाए वह जनसंपर्क में भी दक्ष हो, क्योंकि उसके सामने लालू-नीतीश के अतिरिक्त तेजस्वी यादव की संवाद शैली भी बड़ी चुनौती बनकर आने वाली है।

प्रदेश प्रभारी विनोद तावड़े भी कर सकते है दौरा

महागठबंधन के उक्त तीनों बड़े नेता संवाद कला में पारंगत हैं। भाजपा के एजेंडे में बिहार का महत्व कितना बढ़ गया है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मात्र एक महीने के भीतर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का दूसरा दौरा होने जा रहा है। अभी 23-24 सितंबर को उन्होंने सीमांचल का दौरा किया था। अब 11 अक्टूबर को जेपी जयंती पर छपरा जिले के गांव सिताब दियारा जाने का कार्यक्रम है।

उन्होंने प्रदेश पदाधिकारियों को लोकसभा की कम से कम 35 सीटों पर जीतने का लक्ष्य दिया है। बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं, जिनमें से 22 पर एनडीए का कब्जा है। पिछले चुनाव में जदयू एवं लोजपा के साथ गठबंधन में लड़ते हुए भाजपा ने 39 सीटें जीती थीं। इस बार पुराने प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती है।

उससे पहले प्रदेश प्रभारी विनोद तावड़े भी संभवत: 5 अक्टूबर से बिहार के दौरे पर जाएंगे और छह छह जिलों का समूह बनाकर दौरा करेंगे। छह महीने की मांगी कार्ययोजना भाजपा ने बिहार के पार्टी पदाधिकारियों से अगले छह महीने की कार्ययोजना मांगी है कि नीतीश और तेजस्वी की जोड़ी से कैसे मुकाबले किया जाए। हालांकि नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश से इसका कोई संबंध नहीं है।

सिर्फ संकेत माना जा सकता है कि शीर्ष नेतृत्व मिशन-35 में अपने स्तर से कोई कसर नहीं रहने देना चाहता। माना जा रहा है कि इसी कार्ययोजना के अनुसार दिल्ली की ओर से भी प्रदेश भाजपा के नए नेतृत्व को एक रोडमैप दिया जा सकता है।

ये भी पढ़े: Video: भारत IT का तो दूसरी तरह पाकिस्‍तान अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद का विशेषज्ञ है, विदेश मंत्री एस. जयशंकर का तंज

नेहरू को बंटवारे का पितामह बताने पर कांग्रेस ने भाजपा को फटकारा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.