जीवन में जरूरी है व्रत
वफाई के दो तरीके हैं, आजमा के देख ले, बनजा प्रभु का और प्रभु को अपना कर देख ले। जीवन में कोई न कोई व्रत होना चाहिए। व्रत से स्वास्थ्य तो ठीक होता ही है, साथ ही संकल्प भी पूरे होते हैं। संत श्री आसाराम बापू ने रविवार को अजमेरी गेट रामलीला मैदान में ये प्रवचन व्यक्त किए।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। वफाई के दो तरीके हैं, आजमा के देख ले, बनजा प्रभु का और प्रभु को अपना कर देख ले। जीवन में कोई न कोई व्रत होना चाहिए। व्रत से स्वास्थ्य तो ठीक होता ही है, साथ ही संकल्प भी पूरे होते हैं। संत श्री आसाराम बापू ने रविवार को अजमेरी गेट रामलीला मैदान में ये प्रवचन व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि ऋग्वेद के अनुसार जो व्यक्ति प्रति माह पूनम का व्रत करता है, उसमे संकल्प सिद्धि का सामर्थ्य आ जाता है। इस व्रत के साथ सत्संग और संत के दर्शन हो तो आध्यात्मिक उन्नति सहज ही होने लगती है। भगवान को अपना और अपने को भगवान का माने। सुख-दुख, लाभ-हानि, बचपन, जवानी और बुढ़ापा आते हैं और जाते हैं।
इन सबको जानने वाला कभी नहीं जाता, वही आत्मा-परमात्मा है। वही भगवान है। भगवान न ही दूर हैं, न दुर्लभ हैं और बाद में मिलेंगे ऐसा भी नहीं है। अपने को कभी बीमार न मानो, बीमारी आती है और चली जाती है। दुख भी आकर चला जाता है।
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