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सहारा-बीसीसीआई में सुलह के आसार

भारतीय क्रिकेट बोर्ड [बीसीसीआई] के आला अधिकारी और नाराज सहारा समूह के अधिकारी मतभेद दूर करने के लिए रविवार को यहां बैठक करेंगे। सहारा ने मतभेदों के कारण कुछ दिन पहले टीम इंडिया के प्रायोजन से हाथ खींच लिए थे जबकि आईपीएल की टीम पुणे वारियर्स का मालिकाना हक भी छोड़ दिया था।

By Edited By: Published: Sat, 11 Feb 2012 07:15 PM (IST)Updated: Sat, 11 Feb 2012 07:15 PM (IST)
सहारा-बीसीसीआई में सुलह के आसार

मुंबई। भारतीय क्रिकेट बोर्ड [बीसीसीआई] के आला अधिकारी और नाराज सहारा समूह के अधिकारी मतभेद दूर करने के लिए रविवार को यहां बैठक करेंगे। सहारा ने मतभेदों के कारण कुछ दिन पहले टीम इंडिया के प्रायोजन से हाथ खींच लिए थे जबकि आईपीएल की टीम पुणे वारियर्स का मालिकाना हक भी छोड़ दिया था।

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सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय बीसीसीआई अध्यक्ष एन श्रीनिवासन और आईपीएल अध्यक्ष राजीव शुक्ला से मुलाकात करेंगे जिससे की मतभेदों को सुलझाया जा सके। इस बीच संकेत मिले हैं कि दोनों पक्ष इस मुद्दे का हल निकालना चाहते हैं जिससे कि पुणे वारियर्स की आईपीएल में वापसी हो सके। बीसीसीआई के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक दोनों पक्ष शुरुआत में दिखाए अडि़यल रवैए को छोड़ने को तैयार हैं। बीसीसीआई के एक सीनियर अधिकारी ने कहा, एक दशक से अधिक समय की सफल साझेदारी के बाद सहारा और बीसीसीआई एक दूसरे के लिए दरवाजे बंद नहीं करना चाहेंगे। दोनों पक्षों ने बैठकर मतभेदों का हल निकालने का फैसला किया है जो सही दिशा में उठाया गया कदम है।

दोनों पक्षों के बीच मतभेद का कारण सहारा का युवराज सिंह का विकल्प मांगना था जो अमेरिका में फेफड़े के घातक ट्यूमर का इलाज करा रहे हैं। फ्रेंचाइजी चाहती थी कि युवराज का 18 लाख डालर का वेतन उनके 16 लाख डालर की नीलामी राशि में शामिल हो जाए। नीलामी के लिए टीम के पास शुरुआत में 20 लाख डालर थे लेकिन उसने चार लाख डालर सौरव गांगुली को अपने साथ बरकरार रखने पर खर्च कर दिए। बीसीसीआई ने सहारा के आग्रह को मानने से इनकार कर दिया और गांगुली को युवराज का विकल्प भी नहीं माना जिससे कि टीम 20 लाख डालर की पूरी नीलामी राशि के साथ उतर सके। नीलामी के खत्म होने के बाद यह देखना रोचक होगा कि दोनों पक्ष किस सौहार्दपूर्ण समझौते पर पहुंचते हैं।

भारत के दो शीर्ष खिलाडि़यों रविंद्र जडेजा और आर विनय कुमार को नीलामी में क्रमश: चेन्नई सुपर किंग्स और रायल चैलेंजर्स बेंगलूर ने खरीद लिया है और पुणे वारियर्स के पास अब अधिक विकल्प नहीं बचे हैं। दोनों पक्षों के बीच एक यह समझौता भी हो सकता है कि पुणे वारियर्स को इस सत्र में चार की जगह पांच विदेशी खिलाडि़यों को उतारने की स्वीकृति मिले। इससे पहले पिछले साल चैंपियंस लीग में मुंबई इंडियंस को चोटों की समस्या के कारण पांच विदेशी खिलाडि़यों को उतारने की स्वीकृति मिली थी। सहारा के पास एक बड़ा फायदा यह होगा कि वह नीलामी के बचे हुए खिलाडि़यों में से किसी को भी उनके आधार मूल्य पर खरीद सकता है। राय और श्रीनिवासन की बैठक के दौरान हालांकि भारतीय क्रिकेट टीम का प्रायोजन भी मुद्दा होगा।

सहारा 11 साल से अधिक समय तक टीम इंडिया का प्रायोजक रहा लेकिन उसने यह कहते हुए बोर्ड से नाता तोड़ दिया कि खिलाडि़यों और आईपीएल मैचों की संख्या से संबंधित उसकी वास्तविक शिकायतों पर भी जरूरी विचार नहीं किया गया। समूह ने बेंगलूर में खिलाडि़यों की नीलामी से कुछ घंटों पहले यह फैसला किया था। एक जुलाई 2010 से 31 दिसंबर 2013 के लिए हुए अनुबंध के तहत सहारा को बीसीसीआई को प्रत्येक टेस्ट, वनडे और टी-20 अंतरराष्ट्रीय मुकाबले के लिए तीन करोड़ 34 लाख रुपये का भुगतान करना था। इस करारा को 532 करोड़ का माना जा रहा था। सहारा पिछले साल पुणे वारियर्स को 1702 करोड़ रुपये में खरीदकर आईपीएल से जुड़ा था और यह इस टी-20 टूर्नामेंट की सबसे महंगी टीम थी। कोई हल नहीं निकलने पर बीसीसीआई को लगभग 2000 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। बोर्ड हालांकि इस नुकसान की भरपाई के लिए नया प्रायोजक ढूंढ सकता है।

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