योगेश्वर दत्त ने बताया इस खिलाड़ी की वजह से छोड़ी कुश्ती
योगेश्वर ने कहा कि बजरंग को 2020 टोक्यो ओलंपिक के लिए तैयार करने पर मेरा ध्यान है।
गोहाना (सोनीपत), पीटीआइ। योगेश्वर दत्त ने कहा कि मैट से संन्यास लेने का फैसला मुश्किल नहीं था, क्योंकि उनके पास बजरंग पूनिया जैसा शिष्य है और उन्हें लगता है कि वह ओलंपिक स्वर्ण जीतने वाला भारत का पहला पहलवान बन सकता है। केडी जाधव और सुशील कुमार के बाद योगेश्वर ओलंपिक पदक (2012 लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक) जीतने वाले तीसरे भारतीय पहलवान हैं। योगेश्वर ने अपने सफल करियर में 2014 में कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीते थे।
हरियाणा के इस पहलवान ने शुक्रवार को अपना 35वां जन्मदिन मनाया। उन्होंने कहा कि वह बजरंग को 2020 टोक्यो ओलंपिक के लिए तैयार करने पर ध्यान लगाए हैं। योगेश्वर ने कहा, ‘यह महत्वपूर्ण है कि बजरंग ओलंपिक पदक के लिए तैयार रहे। वह अच्छा है, लेकिन और भी बेहतर कर सकता है। मैं 2020 में भाग नहीं ले सकता, इसलिए बेहतर यही है कि हम बजरंग की मदद करें। वह टोक्यो में स्वर्ण पदक के लिए प्रबल दावेदारों में एक होगा। मेरा करियर अच्छा रहा। मैंने चार ओलंपिक में भाग लिया। हमारे पहलवानों में बजरंग अच्छा कर रहा है और इससे भी बेहतर हो सकता है। इसलिए उसे मौका और सहयोग देना अहम है।’
योगेश्वर 65 किग्रा भार वर्ग में चुनौती पेश करते थे जिसमें बजरंग एक मजबूत दावेदार के रूप में उभरे हैं। योगेश्वर से पूछा गया कि कुश्ती छोड़ना क्या उनके लिए आसान फैसला था, तो उन्होंने कहा, ‘अगर बजरंग नहीं होता तो मैं संन्यास नहीं लेता। मैं और स्पर्धाओं में भाग लेता और शायद एक वजन वर्ग ऊपर हो जाता। लेकिन, मुझे लगा कि यह सही फैसला है। वह अभी 24 साल का है। जूनियर स्तर से उसने अपार प्रतिभा दिखाई। मैं चाहता हूं कि अब भारत के लोग बजरंग में योगेश्वर को देखें। मैं नहीं चाहता कि बजरंग इससे प्रभावित हो।