समझिए, आखिर कौनसा खेल है कुराश और क्या होते हैं इसके नियम
मौजूदा एशियन गेम्स में भारत को इस खेल में 2 मेडल भी मिले हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। एशियन गेम्स 2018 में कई ऐसे खेलों को शामिल किया गया है, जिनके बारे में शायद आप ज्यादा वाकिफ ना हो। इनमें से एक ऐसा ही खेल है कुराश। जी इस नाम का भी खेल है और काफी प्रचलित भी है।
मौजूदा एशियन गेम्स में भारत को इस खेल में 2 मेडल भी मिले हैं। 52 किलोग्राम भारवर्ग में स्पर्धा में पिंकी बालहारा ने सिल्वर पदक हासिल किया तो 52 किलोग्राम वेट कैटेगिरी में मालाप्रभा ने भी कांस्य पदक अपने नाम किया। अब आपको बताते हैं कि आखिर कुराश खेल होता क्या है और इसे कैसे खेला जाता है।
दरअसल कुराश कुछ हद तक पहलवानी की तरह ही है। दोनों में बस इतना फर्क है कि दोनों के नियम थोड़े अलग है। लेकिन अगर आप इस खेल को देखेंगे तो ये बिल्कुल आपको कुश्ती जैसी ही लगेगी। कुराश रेसलिंग के लिए उपयोग होने वाली तुर्की टर्म है।
कुराश उज़्बेकिस्तान की पारंपरिक मार्शल आर्ट की शैली है। अगर कुराश को आसान शब्दों में समझे तो यह कुश्ती का वह रूप है जिसमें शरीर के निचले भाग का उपयोग नहीं किया जा सकता। इस खेल में कमर के नीचे के हिस्से को ना तो पकड़ा जाता है और ना ही हिट या उस पर किट मारी जा सकती है।
इस खेल में ना तो आर्मवॉक्स किया जाता है और ना ही चोकिंग तकनीक का उपयोग किया जाता है। कुराश को खेल का दर्जा मिले ज्यादा समय नहीं हुआ है, साल 1980 में ही इसे खेल माना गया। अगर इस खेल के नियम की बात करें तो इस खिलाड़ी को अपने विरोधी को ग्रांउड पर गिराना होता है।
अगर वह खिलाड़ी अपने विरोधी को मजबूत तरीके से थ्रो करता है तो उसे खलोल कहा जाता है और वह उस बाउट का विजेता बन जाता है। इस खेल में पुरुष का मुकाबला 4 मिनट और महिलाओं का 3 मिनट का होता है। यदि खिलाड़ी विरोधी को उसे की तरफ गिरा देता है तो उसे योनबोश पॉइंट दिया जाता है। 2 योनबोश को एक खलोल माना जाता है। मुकाबलें में सबसे छोटे अंक को चाला कहा जाता है।