2024 ओलिंपिक की मुक्केबाजी में हम कांस्य पदक से आगे बढ़ेंगे : नीरज गोयत
आमिर खान के साथ मेरी फाइट 101 प्रतिशत होगी बशर्ते कोई अच्छा स्पांसर इस फाइट के लिए पैसा लगाए क्योंकि यह बहुत ज्यादा पैसों की फाइट होने वाली है। बाकी भारतीयों की तरह मुझे भी इस फाइट का इंतजार है।
भारत के स्टार मुक्केबाज नीरज गोयत और थाईलैंड के रचाता खाओपिमाइ के बीच दो जुलाई को बैंकाक में होने वाली फाइट सुर्खियां बटोर रही है। इस हाई वोल्टेज मुकाबले व अन्य पहलुओं को लेकर नीरज गोयत ने विशाल श्रेष्ठ से खास बातचीत की। पेश है उसके प्रमुख अंश :
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प्रश्न : बैंकाक में रचाता खाओपिमाइ के साथ आपका बड़ा मुकाबला है। ऐसी फाइट के लिए किस तरह से शारीरिक और मानसिक तैयारियां करते हैं?
उत्तर : खाओपिमाइ मेरी तुलना में युवा है। मुझसे सात-आठ साल छोटा है। उसका रिकार्ड भी बहुत अच्छा है। उसने अब तक 11 फाइट जीती है और सिर्फ एक हारी है। थाईलैंड के मुक्केबाज से उसी के देश में वहीं के दर्शकों के बीच मुकाबला है। मैं इस फाइट के लिए कड़ी तैयारी कर रहा हूं। मेरी फिटनेस जितनी अच्छी होगी, फाइट के समय मेरा दिमाग उतना ही अच्छी तरह से काम करेगा।
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प्रश्न : पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश मुक्केबाज आमिर खान के साथ आपकी फाइट का सबको बेसब्री से इंतजार है। दो बार यह मुकाबला टल चुका है। यह फाइट कब देखने को मिलेगी?
उत्तर : आमिर खान के साथ मेरी फाइट 101 प्रतिशत होगी, बशर्ते कोई अच्छा स्पांसर इस फाइट के लिए पैसा लगाए क्योंकि यह बहुत ज्यादा पैसों की फाइट होने वाली है। बाकी भारतीयों की तरह मुझे भी इस फाइट का इंतजार है।
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प्रश्न : आगे और कौन-कौन से मुकाबलों में हिस्सा लेने वाले हैं?
उत्तर : मेरा खाओपिमाइ के खिलाफ मुकाबला जीतकर अपनी वल्र्ड रैंकिंग और अच्छी करने का इरादा है ताकि वल्र्ड टाइटल के लिए फाइट कर सकूं।
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प्रश्न : भारतीय मुक्केबाजों ने कई अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट जीते हैं लेकिन ओलंपिक में अब तक रजत पदक से आगे नहीं बढ़ पाए। कहां चूक रहे हैं हम?
उत्तर : अब तक हमारे तीन मुक्केबाजों मेरी काम, विजेंदर सिंह और लवलीन बोरगेहेन ने ओलंपिक में कांस्य पदक जीते हैं। हम बेशक इससे आगे भी बढ़ेंगे। अच्छे खिलाड़ी आ रहे हैं। अब अच्छी सुविधाएं भी मौजूद हैं। हमारे मुख्य कोच नरेंद्र राणा भी अच्छे हैं। उम्मीद हैं कि 2024 ओलंपिक में हम कांस्य पदक से आगे बढ़ेंगे।
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प्रश्न : भारत में मुक्केबाजी को आगे ले जाने के लिए क्या करने की जरुरत है?
उत्तर : हमें बाहर ज्यादा टूर्नामेंट न खेलकर बाहर के मुक्केबाजों को भारत में ट्रेनिंग कैंप के लिए बुलाना चाहिए। यहां ज्यादा से ज्यादा कांपिटिशन कराने चाहिए। भारत में राष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंट बहुत कम हो रहे हैं। साल में सिर्फ एक राष्ट्रीय चैंपियनशिप होती है। राष्ट्रीय स्तर के कम से कम छह टूर्नामेंट होने चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा प्रतिभाएं उभरकर आएं और ओलंपिक की अच्छी तैयारी हो सके।
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प्रश्न : मेरी काम पर बायोपिक बन चुकी है। आपने मुक्केबाजी पर आधारित फिल्म 'तूफान' और 'मुक्केबाज' में खुद भी काम किया है। भारत जैसे क्रिकेट प्रेमी देश में मुक्केबाजी पर बनीं फिल्में इसकी लोकप्रियता बढ़ाने में कितनी मददगार साबित हो रही हैं?
उत्तर : पुराने समय से ही हिंदी फिल्मों में थोड़ी-बहुत मुक्केबाजी दिखाई जाती रही है। इसकी वजह से ही भारत में मुक्केबाजी का थोड़ा-बहुत नाम है। इसमें बेशक फिल्मों का बड़ा योगदान तो है ही, लेकिन मेरा मानना है कि भारतीय मुक्केबाजी को आगे ले जाने के लिए ज्यादा से ज्यादा टूर्नामेंटों का आयोजन और उनकी अच्छा मीडिया कवरेज होना चाहिए।
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प्रश्न : यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को वापस लाने में आपकी भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
उत्तर : यूक्रेन में फंसे 250-300 छात्रों से मेरी बात हुई थी। उनमें से करीब 50-60 ने वहां मेरे दोस्त की यूनीवर्सिटी में बने शेल्टर में शरण ली थी। शेल्टर से जो लोग भारत लौट आए थे, वे मेरी टीम में जुड़ गए थे और इस काम में मेरा हाथ बंटा रहे थे।
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प्रश्न : आप आम आदमी पार्टी से जुड़कर राजनीति में कदम रख चुके हैं। आगे क्या विधानसभा या लोकसभा चुनाव लडऩे का भी इरादा है?
उत्तर : मैंने अब तक इस बारे में सोचा नहीं है। देश को आगे ले जाने के उद्देश्य से राजनीति में कदम रखा है।