बचपन से ही बहनों से होड़ करती थीं विनेश : महावीर
विनेश ने एशियम गेम्स में इतिहास रच दिया।
अनिल भारद्वाज, गुरुग्राम। बड़े भाई हरविंद्र व बहनें गीता, बबीता, प्रियंका को पहलवानी करते देख पांच वर्ष की आयु में अखाड़े में उतरीं विनेश फोगाट शुरू से ही अखाड़े में लड़ाका रही हैं। विनेश के गुरु व ताऊ पहलवान महावीर फोगाट का कहना है कि बचपन में अपने हम उम्र ममेरे भाई को जोर-अजमाइश में पटकनी देनी वाली विनेश के साथ परिवार उस समय हताशा में डूब गया था जब रियो ओलंपिक में घुटने की चोट लगने से पदक नहीं जीत पाई। अब जकार्ता ने सभी को उत्साह से भर दिया है।
खुशी के पल में विनेश के बचपन की बातें याद करते हुए महावीर कहते हैं कि घर में बड़ी बहनों के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक देखकर विनेश कई बार बहनों से मजाक करने में लगी रहती थी कि उनसे ज्यादा पदक जीतकर दिखाएगी। विनेश 2009 विश्व कैडेट में खेलने गई। उनका किसी प्रतियोगिता के लिए पहली बार देश के बाहर जाना हुआ था और पदक जीतकर वापस आई। उसे अपनी जीतपर खुशी थी और उसके पदक जीतने की चाहत कम नहीं हुई।
महावीर ने कहा कि विनेश का सफर संघर्षों से भरा रहा है, लेकिन इस बेटी ने कभी हार नहीं मानी। जकार्ता में बेटी के स्वर्ण पदक जीतने पर भावुक हुए महावीर ने कहा कि रियो ओलंपिक में चोट लगने के बाद उसने इस डर से सर्जरी कराने से इन्कार कर दिया था कि कहीं वह दोबारा अखाड़े में ना उतर पाए, लेकिन परिवार की जिद्द और डॉक्टर के आश्वासन के बाद सर्जरी के लिए मान गई। आज वह दोबारा उसी लय में आ गई है और स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन कर दिया है।
महावीर ने कहा कि उनके छोटे भाई राजपाल यानी विनेश के पिता का जब स्वर्गवास हुआ था तब विनेश करीब पांच वर्ष की थी। वह पहलवानी करने की जिद्द कर रही थी और मैं दुविधा में था, लेकिन आज हमेशा की तरह तिरंगा और मेरा सिर ऊंचा रखा है और दुनिया के सामने मेरे फैसले को सही ठहरा दिया।