यूडब्ल्यूडब्ल्यू भी मानती है निर्णय पक्षपातपूर्ण रहा : बजरंग पूनिया
बजरंग पूनिया ने कहा कि युनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) कमेटी ने मेरे साथ हुए धोखे को लेकर खेद जताया।
कजाखिस्तान विश्व कुश्ती चैंपियनशिप कई मायने में यादगार रहेगी। इसे देश के लोग दो तरह से याद रखेंगे। पहला यहां भारतीय पहलवानों के उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए और दूसरा पहलवान बजरंग पूनिया के प्रति निर्णायक मंडल का पक्षपातपूर्ण रवैया। कुश्ती की इस सबसे बड़ी प्रतियोगिता में निर्णायक मंडल के विवादित निर्णय को लेकर बजरंग पूनिया से दैनिक जागरण के अनिल भारद्वाज ने खास बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश ..
- आप विश्व चैंपियनशिप में गलत निर्णय के शिकार हुए। इसमें कितनी सच्चाई है?
-- देखिए, जिन्हें कुश्ती का थोड़ा भी ज्ञान है वह इस बात को भलीभांति जानते होंगे कि मुकाबले के दौरान सही निर्णय नहीं हुआ। आप यह जानकार हैरान होंगे कि मैं अगले दिन अन्य पहलवानों के मुकाबले देखने स्टेडियम में गया तो बड़ी संख्या में कजाखिस्तान के लोगों ने मुझसे कहा कि आपके साथ धोखा हुआ है। यहां तक युनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) कमेटी ने मेरे साथ हुए इस धोखे को लेकर खेद जताया।
-पदक जीतने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। आपके साथ कजाखिस्तान में जो अन्याय हुआ उसके बाद स्वयं को कांस्य पदक मुकाबले के लिए कैसे तैयार किया?
-- मैंने अंतरराष्ट्रीय स्तर के कई मुकाबले लड़े हैं जिनमें जीत-हार दोनों का स्वाद मैंने चखा है। मैं हार से कभी निराश नहीं हुआ, लेकिन कजाखिस्तान में निर्णायक मंडल का निर्णय मुझे अखर रहा है। यदि मैं लड़कर हारता तो दुख नहीं होता, लेकिन मेरे साथ धोखा हुआ। मैं जब भी इसके बारे में सोचता हूं तो काफी मायूसी होती है। मैं कांस्य पदक मुकाबले के लिए तैयार नहीं था और मुकाबला छोड़ रहा था। मैं यह सोच कर परेशान था कि इतनी बड़ी प्रतियोगिता में कैसे एक खिलाड़ी के साथ धोखा हो सकता है। मेरे प्रशिक्षकों ने मुझे देश के लिए कांस्य पदक जीतने को प्रेरित किया। जब मैं स्टेडियम पहुंचा तो हजारों कजाखिस्तान के दर्शकों ने जोरदार तालियां बजाकर मेरा स्वागत किया। यह देखकर मेरा उत्साह बढ़ा। वहां पता चला कि लोग सच्चाई जानते हैं।
-ऐसा क्या हुआ था जो विवाद का कारण बना?
-- मुकाबले के दौरान मैंने दाव लगाया। मैं उस समय एक्शन में था। ऐसे में अगर एक्शन करने वाला पहलवान नीचे गिरता है तो दोनों को दो-दो अंक दिए जाते हैं, लेकिन कजाखिस्तानी पहलवान को चार अंक दे दिए गए, जबकि वहां पर दोनों को दो-दो अंक मिलने चाहिए थे। अगर मुझे दो अंक नहीं देने थे तो उसे दो ही अंक देने चाहिए थे। मुकाबले में नियमों की अनदेखी हुई। मेरे प्रशिक्षक ने नियमों के हिसाब से विरोध जताया, लेकिन उस पर गौर नहीं किया गया।
-आपको टोक्यो का टिकट मिला है। क्या कजाखिस्तान की घटना टोक्यो की तैयारी पर असर डालेगी?
--नहीं, ऐसा नहीं है। यह बुरा दिन था जो बीत गया। मेरे सामने टोक्यो ओलंपिक है। यहां देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना मेरा सबसे बड़ा लक्ष्य है। इसे लेकर मैं ठोस तैयारी करूंगा।