‘बेरोजगार’ राजपूत और किसान के बेटे चौधरी ने निशानेबाजी में भारत को दिलाए पदक
सौरव चौधरी मेरठ के कलिना गांव में एक किसान के बेटे और 11वीं के छात्र हैं। घर पर वह अपने पिता की खेती बाड़ी में मदद करते हें।
जकार्ता, जेएनएन। 16 साल के सौरभ चौधरी आज 10 मीटर एयर पिस्टल में विश्व और ओलंपिक चैम्पियनों को पछाड़ते हुए पीला तमगा जीतने के साथ ही एशियाई खेलों के इतिहास में स्वर्ण पदक जीतने वाले भारत के पांचवें निशानेबाज बन गए।
राजपूत ने भी दिलाया सिल्वर मेडल
अनुभवी संजीव राजपूत ने इसके बाद 50 मीटर 3 पोजीशन में रजत पदक जीतकर भारतीयों के लिये निशानेबाजी में दिन खास बनाया। एक अन्य भारतीय 29 वर्षीय अभिषेक वर्मा ने 10 मीटर एयर पिस्टल में 219.3 के स्कोर के साथ कांस्य पदक जीता। चौधरी ने 240.7 का स्कोर बनाया।
सौरभ ने विश्व चैम्पियन को दी मात
पहली बार सीनियर स्तर पर खेल रहे चौधरी ने बेहद परिपक्वता और संयम का परिचय देते हुए 2010 के विश्व चैम्पियन तोमोयुकी मत्सुदा को 24 शाट के फाइनल में हराया ।
जापान के 42 बरस के मत्सुदा ने 239.7 का स्कोर करके रजत पदक जीता। उन्होंने 23वें शाट पर 8.9 स्कोर किया जबकि चौधरी ने खेलों का रिकार्ड बनाते हुए आखिरी दो शाट में 10.2 और 10.4 स्कोर किया।
राजपूत को अब नौकरी मिलने की उम्मीद
सौरभ के कुछ देर बाद 37 वर्षीय राजपूत स्वर्ण पदक जीतने की स्थिति में दिख रहे थे लेकिन स्टैडिंग सीरीज में उनका प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा। वह हालांकि अंतिम क्षणों में वापसी करके रजत पदक जीतने में सफल रहे।
राजपूत के खिलाफ बलात्कार का मामला चल रहा है। वह अभी बेरोजगार हैं। भारतीय खेल प्राधिकरण ने पिछले साल उन्हें सहायक कोच पद से हटा दिया था। राजपूत ने कहा, ‘‘मुझे अब नौकरी मिलने की उम्मीद है। मैंने आखिर में 8.4 अंक बनाये जिससे मैं स्वर्ण पदक से चूक गया। प्रतिस्पर्धा, मौसम और हवादार परिस्थितियां सभी काफी मुश्किल थी।’’
राजपूत ने 452.7 अंक बनाकर रजत पदक हासिल किया। चीन के हुई जिचेंग ने 453.3 अंक लेकर स्वर्ण और जापान के तकायुी मात्सुमोतो ने 441.4 अंक बनाकर कांस्य पदक जीता।
दिग्गज़ों के साथ शामिल हुआ चौधरी का नाम
आज का दिन हालांकि युवा चौधरी के नाम रहा जिन्होंने कुछ महीने पहले जर्मनी में जूनियर विश्व कप में रिकार्ड के साथ स्वर्ण पदक जीता था। एशियाई खेलों में उनसे पहले जसपाल राणा, रणधीर सिंह, जीतू राय और रंजन सोढी स्वर्ण जीत चुके हैं ।
तीन साल पहले निशानेबाजी में उतरे चौधरी ने कहा ,‘‘मुझे कोई दबाव महसूस नहीं हुआ।’’ क्वालीफिकेशन में भी उन्हें दबाव महसूस नहीं हुआ था और उन्होंने 586 स्कोर किया था। ओलंपिक और विश्व चैम्पियन कोरिया के जिन जिंगोह दूसरे और वर्मा छठे स्थान पर रहे थे।
मेरठ के कलिना गांव में एक किसान के बेटे और 11वीं के छात्र चौधरी ने बागपत के पास बेनोली में अमित शेरोन अकादमी में निशानेबाजी के गुर सीखे। घर पर वह अपने पिता की खेती बाड़ी में मदद करते हें। उन्होंने कहा ,‘‘मुझे खेती पसंद है। हमें अभ्यास से ज्यादा छुट्टी नहीं मिलती लेकिन जब भी मैं गांव जाता हूं तो अपने पिता की मदद करता हूं।’’
अभिषेक वर्मा ने जीता कांस्य पदक
रोहतक के वर्मा ने भी तीन साल पहले ही निशानेबाजी शुरू की। उन्होंने कहा,‘‘शुरूआत में मैं नर्वस था लेकिन फिर संयम रखकर खेला। यह मेरा पहला अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट है और पदक जीतकर अच्छा लग रहा है।’’ पांचवीं सीरीज में उन्होंने 10.7 का स्कोर करके खुद को पदक की दौड़ में बनाये रखा। इससे पहले वह मनु भाकर के साथ मिश्रित टीम स्पर्धा में फाइनल के लिये क्वालीफाई नहीं कर सके थे ।
उन्होंने कहा ,‘‘मनु और मैं मिश्रित टीम फाइनल के लिये क्वालीफाई नहीं कर सके थे लेकिन हम निराश नहीं थे । हमने उससे काफी कुछ सीखा ।’’
मिश्रित ट्रैप स्पर्धा में श्रेयासी सिंह और लक्ष्य क्वालीफाई करने में तो सफल रहे लेकिन फाइनल में उन्हें छठे स्थान से संतोष करना पड़ा। श्रेयासी ने इस साल के शुरू में गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में ट्रैप स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीता था।
क्रिकेट की खबरों के लिए यहां क्लिक करें