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Tokyo Paralympics 2020: पत्नी की लकी हैट के दम पर सिंहराज आधना ने हासिल किया सिल्वर मेडल

मनीष के साथ-साथ पी4 मिक्स्ड 50 मीटर पिस्टल एसएच 1 स्पर्धा का रजत पदक लकी हैट पहने हुए सिंहराज आधना ने अपने नाम किया। रजत पदक जीतने के बाद आधना ने बताया कि यह मेरी पत्नी ने मुझे तोहफे में दी थी और मेरे लिए लकी है।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Sat, 04 Sep 2021 08:53 PM (IST)Updated: Sat, 04 Sep 2021 08:53 PM (IST)
Tokyo Paralympics 2020: पत्नी की लकी हैट के दम पर सिंहराज आधना ने हासिल किया सिल्वर मेडल
मनीष नरवाल और सिंहराज आधना निशाना लगाते हुए (एपी फोटो)

टोक्यो, प्रेट्र। भारतीय पैरा निशानेबाज मनीष नरवाल ने पैरालिंपिक खेलों में विश्व रिकार्ड बनाते हुए भारत की झोली में तीसरा स्वर्ण पदक डाला। मनीष के साथ-साथ पी4 मिक्स्ड 50 मीटर पिस्टल एसएच 1 स्पर्धा का रजत पदक लकी हैट पहने हुए सिंहराज आधना ने अपने नाम किया। जिससे एक ही स्पर्धा में दो पदक भारत के नाम रहे। रजत पदक जीतने के बाद आधना ने बताया कि यह मेरी पत्नी ने मुझे तोहफे में दी थी और मेरे लिए लकी है। इस वर्ग में विश्व रिकार्डधारी 19 वर्षीय नरवाल ने पैरालिंपिक रिकार्ड बनाते हुए 218.2 स्कोर करके अपने पहले ही खेलों में सोने का तमगा जीता।

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परिवार ने बनाया निशानेबाज : हरियाणा के बल्लभगढ़ से आने वाले नरवाल का दायां हाथ जन्म से ही खराब था। इस कारण उनका परिवार 2016 में उन्हें पास की एक निशानेबाजी रेंज में ले गया और वह तुरंत इस खेल की ओर आकíषत हो गए। वह नियमित अभ्यास करते रहे लेकिन उस समय उन्हें पैरालिंपिक खेलों के बारे में नहीं पता था। तभी कोच जयप्रकाश नौटियाल ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्होंने 2017 बैंकाक विश्व कप में पी1 एयर पिस्टल एसएच1 स्पर्धा में व्यक्तिगत वर्ग का स्वर्ण जीता। जिसके बाद मनीष ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा पर और निरंतर आगे बढ़ते चले गए।

आधना ने दूसरे पदक से रचा इतिहास : फरीदाबाद हरियाणा से ही आने वाले निशानेबाज सिंहराज आधना ने पहले ही पी1 पुरुषों की एस मीटर एयर पिस्टल एसएच1 स्पर्धा में कांस्य जीत चुके थे। इसके बाद उन्होंने 216.7 के स्कोर के साथ पी4 मिश्रित 50 मीटर पिस्टल एसएच 1 स्पर्धा का रजत पदक भी हासिल किया। इस तरह एक ही पैरालिंपिक खेलों के एक ही चरण में दो या उससे अधिक पदक जीतने वाले आधना दूसरे खिलाड़ी बन गए हैं। इससे पहले जोगिंदर सिंह बेदी ने 1984 पैरालिंपिक खेलों के एक ही चरण में तीन पदक गोला फेंक, भाला फेंक, चक्का फेंक स्पर्धाओं में जीते थे।

तिरंगा फहराने का सपना पूरा हुआ : आधना के पैर का निचला हिस्सा पोलियो के कारण विकृत हो गया था। उनका मानना है कि अपनी स्पर्धा में भारतीय ध्वज को सबसे ऊंचा फहराते देखने का उनका सपना पूरा हो गया है। आधना ने कहा, च्जब मैंने राष्ट्रगान के साथ अपने झंडे को फहराते देखा तो मुझे बहुत खुशी हुई। मैं अपने कांस्य और रजत पदक के लिए टोक्यो पैरालिंपिक को हमेशा याद रखूंगा। मैंने हमेशा भारत के झंडे को सबसे ऊंचा फहराते हुए देखने का सपना देखा था, वह सपना आज पूरा हो गया है। मुझे सबका आशीर्वाद और प्यार याद रहेगा। मेरे कोचों और सहयोगी कर्मचारियों को बहुत-बहुत धन्यवाद।


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