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Tokyo Paralympics 2020: दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी निशानेबाज अवनि लेखरा

Tokyo Paralympics 2020 अवनि ने कहा जब मैंने स्वर्ण पदक जीता तो मैं सिर्फ स्वर्ण पदक से ही संतुष्ट नहीं थी मैं उस अंतिम शाट को बेहतर करना चाहती थी इसलिए यह कांस्य पदक निश्चित रूप से संतोषजनक नहीं है।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Fri, 03 Sep 2021 07:23 PM (IST)Updated: Fri, 03 Sep 2021 07:23 PM (IST)
Tokyo Paralympics 2020: दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी निशानेबाज अवनि लेखरा
अवनि लेखरा ने टोक्यो पैरालिंपिक में दो मेडल जीते (एपी फोटो)

जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। टोक्यो पैरालिंपिक में पदक पर कब्जा जमाने के लिए भारत के कुल 54 पैरा एथलीट स्पर्धा कर रहे हैं, लेकिन अवनि ने जो इन खेलों में किया वह आज तक भारत के लिए कोई भी महिला खिलाड़ी नहीं कर सकी। उन्होंने शुक्रवार को 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन एसएच-1 स्पर्धा में कांस्य पदक हासिल करते हुए देश को दोहरी खुशी दिलाई। इस तरह पैरालिंपिक के एक ही चरण में दो पदक जीतने वाली अवनि पहली भारतीय खिलाड़ी बन गईं हैं और अब उनके जैसी महिला खिलाड़ी भारत में कोई दूसरी नहीं है। हालांकि इसके बाद भी अवनि अपने प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं हैं और उनका मानना है कि वह मौजूदा खेलों में इससे बेहतर प्रदर्शन कर सकती थीं लेकिन दबाव के चलते ऐसा नहीं कर सकी।

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राजस्थान की 19 वर्षीय लेखरा 10 मीटर एयर राइफल स्टैडिंग एसएच-1 स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली भी पहली भारतीय महिला बनी थीं। यह भारत का निशानेबाजी में भी पहला ही पदक था। अवनि ने कहा, 'जब मैंने स्वर्ण पदक जीता तो मैं सिर्फ स्वर्ण पदक से ही संतुष्ट नहीं थी, मैं उस अंतिम शाट को बेहतर करना चाहती थी इसलिए यह कांस्य पदक निश्चित रूप से संतोषजनक नहीं है। फाइनल्स का आपके ऊपर यही असर होता है, आप दबाव में नर्वस हो जाते हो। मैं जश्न नहीं मना रही क्योंकि मेरा ध्यान अगले मैच पर लगा है। मेरा लक्ष्य अपनी अगली स्पर्धा में भी शत प्रतिशत देने का है।'

अभिनव बिंद्रा की तरह बनना चाहती हैं अवनि : वर्ष 2012 में एक कार दुर्घटना के कारण रीढ़ की हड्डी गंवाने वाली अवनि ने ओलिंपिक स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा की प्रशंसा दोहराते हुए कहा कि वह हमेशा उनकी तरह बनना चाहती थीं। लेखरा ने कहा, 'जब मैंने अभिनव बिंद्रा सर की आत्मकथा पढ़ी थी तो मुझे इससे प्रेरणा मिली थी क्योंकि उन्होंने अपना शत प्रतिशत देकर भारत के लिए पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीता था। मैं हमेशा उनकी (बिंद्रा की) तरह बनना चाहती थी और हमेशा अपने देश का नाम रोशन करना चाहती थी। मैं खुश हूं कि मैं देश के लिए एक और पदक जीत सकी और मैं अभी तक इस पर विश्वास नहीं कर पा रही हूं।'


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