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Tokyo Paralympics 2020: 18 साल की उम्र में पैरालिंपिक पदक जीतने वाले सबसे युवा खिलाड़ी बने प्रवीण कुमार

Tokyo Paralympics 2020 टोक्यो में अपने प्रदर्शन के बारे में प्रवीण ने कहा जब मैंने अपने दूसरे प्रयास में 1.97 मीटर की ऊंचाई को पार किया तो मेरा आत्मविश्वास थोड़ा कम था लेकिन 2.01 मीटर ऊंची कूद लगाने के बाद मैंने आत्मविश्वास हासिल कर लिया।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Fri, 03 Sep 2021 07:29 PM (IST)Updated: Fri, 03 Sep 2021 07:29 PM (IST)
Tokyo Paralympics 2020: 18 साल की उम्र में पैरालिंपिक पदक जीतने वाले सबसे युवा खिलाड़ी बने प्रवीण कुमार
प्रवीण कुमार ने टोक्यो पैरालिंपिक में सिल्वर मेडल जीता (एपी फोटो)

नई दिल्ली, जेएनएन। जन्म से ही एक पैर छोटा होने के बावजूद 18 वर्षीय पैरालिंपिक रजत पदक विजेता प्रवीण कुमार ने खेल के मैदान से कभी भी अपने कदम हटने नहीं दिए। शुरुआत में वालीबाल और उसके बाद ऊंची कूद में अपना हाथ आजमाते हुए प्रवीण ने इतिहास रच दिया है। गौतमबुद्ध नगर में जेवर के पास एक गांव में रहने वाले गरीब किसान के बेटे प्रवीण ने 2.07 मीटर का नया एशियाई रिकार्ड बनाते हुए पैरालिंपिक की पुरुषों की ऊंची कूद टी-64 स्पर्धा का रजत पदक हासिल किया।

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प्रवीण ने पदक जीतने के बाद कहा, 'मेरा स्कूली जीवन ज्यादातर खेल के बारे में था। उस वक्त हालांकि मुझे नहीं पता था कि मैं एक दिन इस मुकाम पर पहुंचूंगा। मैं शुरू में स्कूल में वालीबाल खेल रहा था, लेकिन फिर धीरे-धीरे पैरा एथलेटिक्स के बारे में पता चला और ऊंची कूद में भाग लेने लगा। मुझे पैरालिंपिक और इसमें भाग लेने के बारे में गूगल पर खोज करने के बाद पता चला।'

प्रवीण ने इस स्तर पर पहुंचने का श्रेय अपने कोच को देते हुए कहा, 'मैंने एक जिला स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लिया जहां मैं अशोक सैनी सर से मिला, उन्होंने मुझे सत्यपाल सर (उनके वर्तमान कोच) का फोन नंबर दिया।' दिल्ली में मोतीलाल नेहरू कालेज में कला विभाग के दूसरे वर्ष के छात्र प्रवीण ने कहा, 'साल 2018 में मैंने (सत्यपाल) सर से संपर्क किया और फिर उन्हें पता चला कि मैं किस वर्ग में प्रतिस्पर्धा करूंगा। उन्होंने मेरी प्रतिभा को पहचाना और कहा कि वह मुझे प्रशिक्षण देंगे।'

टोक्यो में अपने प्रदर्शन के बारे में प्रवीण ने कहा, 'जब मैंने अपने दूसरे प्रयास में 1.97 मीटर की ऊंचाई को पार किया तो मेरा आत्मविश्वास थोड़ा कम था, लेकिन 2.01 मीटर ऊंची कूद लगाने के बाद मैंने आत्मविश्वास हासिल कर लिया। मैंने खुद से कहा कि मैं अपना सर्वश्रेष्ठ दूंगा।'

प्रवीण के छोटे कद से चिंतित थे कोच

प्रवीण के कोच सत्यपाल का मानना है कि उन्हें शुरू में प्रवीण के छोटे कद (पांच फुट पांच इंच) को लेकर थोड़ी चिंता थी लेकिन उन्होंने पाया कि प्रवीण के दाहिने पैर की मांसपेशियां बहुत मजबूत हैं। सत्यपाल ने कहा, 'उसके बायें पैर में विकार है लेकिन उनके दाहिने पैर की मांसपेशियां बहुत मजबूत हैं इसलिए, उनके छोटे कद के बावजूद मैंने उन्हें प्रशिक्षण देने के लिए हामी भरी थी। ऊंची कूद में लंबाई (एथलीट की) बहुत महत्वपूर्ण है। वह 2018 में अपने पिता के साथ मेरे पास आया और मुझे उसकी प्रतिभा का पता चला। वह बहुत गरीब परिवार से है लेकिन बहुत ईमानदार और समर्पित है।' सत्यपाल ने बताया कि प्रवीण अगले साल चीन में होने वाले एशियाई पैरा खेलों में निश्चित तौर पर स्वर्ण पदक के दावेदार होंगे लेकिन हमारा लक्ष्य 2024 पेरिस पैरालिंपिक में विश्व रिकार्ड के साथ स्वर्ण पदक जीतना है।


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