थाई बॉक्सिंग वर्ल्ड चैंपियन टिकेश्वरी ने कभी मनचलों को सिखाया था ऐसा सबक
रायपुर की रहने वाली टिकेश्वरी को देखकर कोई नहीं कह सकता कि यह लड़की आत्मरक्षा में इस कदर माहिर है कि एक-दो नहीं बल्कि कई लड़कों को अकेले ही सबक सिखा सकती है।
रायपुर ब्यूरो, छत्तीसगढ़। दो साल पहले की बात है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के स्कूल से छात्रा टिकेश्वरी अपने घर लौट रही थी। साइकिल से घर जा रही छात्रा को तीन मनचलों ने रास्ते में रोका। उन्हें लगा ये नाजुक सी लड़की उनका क्या बिगाड़ पाएगी, लेकिन पलक झपकते ही दांव पलट गया और टिकेश्वरी ने तीनों मवालियों को सड़क पर दौड़ा-दौड़ा कर पीटा था। 16 साल की इस लड़की की बहादुरी के खूब चर्चे भी हुए थे। अब इसी लड़की ने थाई बॉक्सिंग चैंपियनशिप में बतौर खिलाड़ी देश के लिए गोल्ड मैडल जीता है।
आत्मरक्षा में माहिर, लड़कियों के लिए बनीं रोल मॉडल
तीन फरवरी को गोवा में आयोजित थाई बॉक्सिंग वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल मुकाबले में टिकेश्वरी ने भारत की ही सुनीता को 3-0 से हराकर 44 किलो वजन वर्ग में वर्ल्ड टाइटल अपने नाम किया। टिकेश्वरी की कहानी संघर्ष और जीत के कई छोटे-छोटे किस्सों से बनी है।
रायपुर की रहने वाली टिकेश्वरी को देखकर कोई नहीं कह सकता कि यह लड़की आत्मरक्षा में इस कदर माहिर है कि एक-दो नहीं बल्कि कई लड़कों को अकेले ही सबक सिखा सकती है। दो साल पहले जो घटना टिकेश्वरी के साथ हुई थी, उस पर मीडिया में भी उनकी इस हिम्मत को सराहा गया था। उस समय टिकेश्वरी लड़कियों के लिए रोल मॉडल के रूप में उभरी थीं। बचपन से ही खेलों में रूचि रखने वाली टिकेश्वरी क्रिकेट और मार्सल आर्ट की भी अच्छी खिलाड़ी हैं। टिकेश्वरी के बुलंद इरादों की बदौलत अब वह खेल के क्षेत्र में देश-विदेश में अपना नाम रोशन कर रही हैं।
मां करती हैं मजदूरी, संघर्षों से लिख रही सफलता की कहानी
टिकेश्वरी की इस सफलता में उनकी मां की भूमिका सबसे बड़ी है। इसके बाद टिकेश्वरी की लगन और कोच की मेहनत ने उन्हें एक बेहतरीन खिलाड़ी के रूप में उभारा है। 4 बहनों में सबसे बड़ी टिकेश्वरी की मां नीरा साहू आरा मिल में मजदूर करती हैं। टिकेश्वरी के पिता सुरेश साहू का कुछ वर्ष पूर्व निधन हो चुका है। टिकेश्वरी ने कोच अनिस मेमन के मार्गदर्शन में कराते, म्यू थाई, योग व थाई बॉक्सिंग का प्रशिक्षण लिया है। वे राज्य स्तरीय व राष्ट्रीय शालेय क्रीड़ा प्रतियोगिता सहित मार्शल आर्ट की विभिन्न् ओपन प्रतियोगिता में हिस्सा ले चुकी हैं।
दूसरों को भी दे रहीं खेलों का प्रशिक्षण ट्रेनिंग
अक्सर लोग इस बात की शिकायत करते हैं कि पारिवारिक में आर्थिक कमजोरी की वजह से वे कोई मुकाम हासिल नहीं कर पाए, लेकिन टिकेश्वरी ने अभावों से लड़ना सीखा और अब देश में खेल के क्षेत्र में अपना नाम रोशन कर रही हैं। रायपुर के दुर्गा कॉलेज में स्नातक प्रथम वर्ष में अध्ययनरत टिकेश्वरी यहां श्री गुजराती स्कूल देवेंद्र नगर रायपुर में खेल प्रशिक्षक के तौर पर भी काम करती हैं। टिकेश्वरी का कहना है कि मैं जीवन की चुनौतियों को खेल की तरह देखती हूं। खेल के मैदान में जो संघर्ष दिखता है, उसी तरह जीवन में भी कई चुनौतियां आती हैं। इनका मुकाबला खेल भावना मन में रखकर करती हूं और आगे बढ़ने के लिए रास्ते बनते जाते हैं।