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खेल मंत्री रिजिजू ने पहलवान बजरंग पूनिया को दिया खेल रत्न पुरस्कार

भारतीय खेल प्राधिकरण के मुख्यालय में गुरुवार को बजरंग को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया। खेल मंत्री किरन रिजिजू ने उन्हें यह सम्मान देकर सम्मानित किया।

By Viplove KumarEdited By: Published: Thu, 28 Nov 2019 09:21 PM (IST)Updated: Thu, 28 Nov 2019 09:20 PM (IST)
खेल मंत्री रिजिजू ने पहलवान बजरंग पूनिया को दिया खेल रत्न पुरस्कार
खेल मंत्री रिजिजू ने पहलवान बजरंग पूनिया को दिया खेल रत्न पुरस्कार

नई दिल्ली, जेएनएन। भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया को यहां भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के मुख्यालय में गुरुवार को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया। खेल मंत्री किरन रिजिजू ने उन्हें यह सम्मान देकर सम्मानित किया।

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यह पुरस्कार खेल के क्षेत्र में दिया जाने वाला भारत का सर्वोच्च सम्मान है। 25 साल के पूनिया को कुश्ती में लगातार अच्छे प्रदर्शन के लिए यह पुरस्कार दिया गया।एशियन गेम्स के स्वर्ण पदक विजेता बजरंग विश्व चैंपियनशिप की तैयारियों के चलते 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों इस पुरस्कार को ग्रहण नहीं कर पाए थे। अब रिजिजू से बजरंग ने यह पुरस्कार ग्रहण किया।

इसके साथ ही उन्हें 32 लाख 72 हजार रुपये का नगद पुरस्कार भी दिया गया। इसके अलावा भारत के ट्रैक एवं फील्ड के एथलीट मुहम्मद अनस और गोला फेंक एथलीट तेजिंदर पाल सिंह तूर को अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया जबकि एथलेटिक्स कोच मोहिंदर सिंह ढिल्लो ने द्रोणाचार्य पुरस्कार ग्रहण किया।

इस मौके पर रिजिजू ने कहा, 'मैं आप सभी पुरस्कार ग्रहण करने वालों को बधाई देता हूं। आप सभी लोग अपना पूरा समय देश की सेवा करने में दे रहे हैं।'

उन्होंने कहा, यह सही है कि मैंने पिछले वर्ष पुरस्कार का दावा किया था लेकिन मैंने अपने दावे के मुताबिक प्रशिक्षण पर ध्यान दिया। देश का नाम रोशन करने के लिए संघर्ष किया। मेरे गुरु व बड़े भाई योगेश्वर दत्त ने कहा था कि सिर्फ पदक जीतने पर ध्यान रखो। देश के लिए पदक जीतने से बड़ा कोई पुरस्कार नहीं होता।

आगे उन्होंने कहा, राष्ट्रीय खेल दिवस पर मैं पुरस्कार ग्रहण नहीं कर पाया था। उन दिनों में विश्व चैंपियनशिप की तैयारी के लिए रूस में था और पुरस्कार लेने नहीं आ सका। अगस्त में घोषणा हो चुकी थी लेकिन अब पुरस्कार ग्रहण किया है तो खुशी व तमन्ना पूरी हुई। इसके लिए लंबा संघर्ष व मेहनत की है। क्योंकि यह पुरस्कार तभी मिलता है जब आप देश के लिए बड़े पदक जीत पाते हो। 


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