संजीता चानू पर लगे डोपिंग के आरोप हुए खारिज, अब मांग रही हैं मुआवजा
कॉमनवेल्थ गेम्स की स्वर्ण पदक विजेता इस खिलाड़ी ने माफी मांगने और मुआवजा देने की मांग की।
नई दिल्ली, प्रेट्र। अंतरराष्ट्रीय भारोत्तोलन महासंघ (आइडब्ल्यूएफ) ने भारतीय भारोत्तोलक के संजीता चानू के खिलाफ लगाए गए डोपिंग के आरोपों को उनके नमूनों में एकरूपता नहीं पाए जाने के कारण खारिज कर दिया जिसके बाद कॉमनवेल्थ गेम्स की स्वर्ण पदक विजेता इस खिलाड़ी ने माफी मांगने और मुआवजा देने की मांग की।
आइडब्ल्यूएफ ने विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) की सिफारिशों के आधार पर यह फैसला किया। यह 26 वर्षीय भारोत्तोलक शुरू से ही खुद को निर्दोष बता रही थी। उन्हें आइडब्ल्यूएफ के कानूनी सलाहकार लिला सागी के हस्ताक्षर वाले ई मेल के जरिये अंतिम फैसले से अवगत करा दिया गया है। चानू ने कहा, 'मैं बहुत खुश हूं कि आखिर में मुझे आधिकारिक तौर पर डोपिंग के आरोपों से मुक्त कर दिया गया है। लेकिन इस बीच मैंने जो मौके गंवाए उनका क्या होगा।
उन्होंने कहा कि मैं जिस मानसिक पीड़ा से गुजरी हूं उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा। हर स्तर पर की गई गलतियों की जिम्मेदारी कौन लेगा। आप एक खिलाड़ी को अंतिम फैसला आए बिना वर्षो तक निलंबित कर देते हो और एक दिन आप मेल भेजकर कहते हो कि आपको आरोपों से मुक्त किया जाता है। क्या यह किसी तरह का मजाक है। क्या आइडब्ल्यूएफ खिलाड़ी के करियर की परवाह नहीं करता। क्या मेरे ओलंपिक के अवसरों को खत्म करना आइडब्ल्यूएफ का इरादा था। आइडब्ल्यूएफ को माफी मांगनी होगी। इसके लिए जिम्मेदार निकाय या संगठन या व्यक्ति को सजा मिलनी चाहिए। मैं आइडब्ल्यूएफ से मुआवजे की मांग के लिए अपील करूंगी।'
आपको बता दें कि संजीता चानू मणिपुर से संबंध रखती हैं और उन्होंने वो दो बार कॉमनवेल्थ चैंपियन बनी थीं। 2014 ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने भारत के लिए गोल्ड जीता था जबकि इसके बाद साल 2018 गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में भी उन्हें गोल्ड मेडल मिला था। 53 किलोग्राम भारवर्ग के इस प्रतियोगिता में उन्होंने कुल 92 किलो वजन लिफ्ट किया था। इसके बाद साल 2018 में ही उन्हें डोपिंग के आरोप में 30 मई को IWF ने सस्पेंड कर दिया था।