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PV Sindhu Interview: मुझे मंदिर जाना बहुत पसंद है, भगवान के आशीर्वाद से जीती हूं पदक

PV Sindhu Interview टोक्यो ओलिंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू ने दैनिक जागरण को दिए इंटरव्यू में कहा है कि उन्हें मंदिर जाना बहुत पसंद है। भगवान के आशीर्वाद से ही मैं पदक जीती हूं।

By Vikash GaurEdited By: Published: Thu, 12 Aug 2021 06:30 AM (IST)Updated: Thu, 12 Aug 2021 04:58 PM (IST)
PV Sindhu Interview: मुझे मंदिर जाना बहुत पसंद है, भगवान के आशीर्वाद से जीती हूं पदक
Pv Sindhu ने दैनिक जागरण को Interview दिया है (फोटो एएफपी)

टोक्यो ओलिंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू इन दिनों अपने घर पर आराम कर रही हैं। वह ओलिंपिक में दो पदक जीतने वाली दूसरी खिलाड़ी हैं और 15 अगस्त को दिल्ली आने की तैयारी कर रही हैं। उन्होंने कहा कि मुझे मंदिर जाना पसंद है और जब मौका मिलता है तो मैं ऐसा करती हूं। पीवी सिंधू से अभिषेक त्रिपाठी ने खास बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश-

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-विश्व चैंपियनशिप में पांच पदक, एशियन गेम्स, कामनवेल्थ गेम्स और अब ओलिंपिक में दो पदक। अब तक सिंधू ने क्या पाया है और आगे का लक्ष्य क्या है?

-विश्व चैंपियनशिप से पदक लेकर आना, वो भी पांच बार मायने रखता है। एशियन गेम्स में, कामनवेल्थ गेम्स में और ओलिंपिक में दूसरी बार पदक लेकर आना मेरे लिए गर्व की बात है। मैं बहुत खुश हूं क्योंकि हर साल हर समय मैं अपने खेल में निखार लाती गई और अपने खेल में बहुत सीखी हूं। हार-जीत तो लगी रहती है। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हम कुछ न कुछ सीखते रहते हैं और यह बहुत महत्वपूर्ण है। अभी मैं आराम कर रही हूं और इस पल का आनंद ले रही हूं। इसके बाद टूर्नामेंट शुरू होने वाले हैं और उसके लिए तैयारी करना है। अभी बहुत टूर्नामेंट है और अगले साल एशियन गेम्स व कामनवेल्थ गेम्स हैं तो उसके लिए तैयारी करनी हैं।

- आपसे पदक की उम्मीद थी और आपने वो किया भी। भारतीय पुरुष ने 41 साल बार पदक जीता। महिला हाकी टीम का अच्छा प्रदर्शन रहा और नीरज चोपड़ा ने इतिहास रच दिया। एक भारतीय एथलीट होने पर कितन गर्व हो रहा है?

-मैं सभी एथलीटों का धन्यवाद करती हूं जो पदक लेकर आए हैं और जो भी अच्छा खेले थे। हाकी खिलाड़ी खासकर कई वर्षो के बाद पुरुष टीम कांस्य पदक लेकर आए थे। मैं महिला टीम को भी बधाई देती हूं, वे सेमीफाइनल तक पहुंचे थे। उन्होंने बहुत मेहनत भी की थी लेकिन हार-जीत तो होती रहती है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि हमें अपना 100 प्रतिशत देना है। मुझे विश्वास है कि वो लोग जान लगाकर खेले थे, लेकिन बस पदक से चूक गए। सब एथलीट ने बहुत अच्छा खेला था। पदक जीतना और हारना, ये होता रहता है। गोल्फ में भी अदिति अशोक चौथे स्थान पर रही थी। वह उनका दिन नहीं था। मुझे लगता है कि अपने देश का प्रतिनिधित्व करना ही बड़ी बात है इसलिए मैं प्रत्येक खिलाड़ी को बधाई देता हूं। नीरज ने तो माहौल ही बदल दिया।

-इस समय आपके घर में क्या माहौल है। मम्मी का मेन्यू ही घर में चल रहा है क्या? आप पूजा के लिए भी खूब मंदिर जा रही हैं?

-मैं बाहर जा रही हूं। जो मन कर रहा है वह खाना खा रही हूं। मम्मी घर पर बहुत खाना बनाती हैं। परिवार के साथ समय व्यतीत कर रही हूं। मैं कभी-कभी मंदिर भी जाती हूं। अभी मैं मंदिर भी गई थी और पूजा भी की।

-अभी एक पुराना वीडियो भी वायरल भी हुआ जिसमें आप साड़ी पहनकर पूजा करने के लिए जा रही हैं। एक अलग सिंधू नजर आ रही है? दुर्गा मंदिर भी गई थीं आप। क्या कोई मन्नत मांगी थी?

-मैं अक्सर मंदिर जाती रहती हूं। तिरुपति जाना मुझे पसंद है। अभी जो वीडियो वायरल हुआ था वह केरल के मंदिर का था। मैं सभी भगवान में विश्वास रखती हूं और सभी भगवान की पूजा करती हूं। भगवान का आशीर्वाद तो हमेशा रहना चाहिए। मैं पदक लेकर आई हूं तो मैं बहुत खुश हूं। मुझे जब भी मौका मिलता है मंदिर जाती हूं।

-जैसे क्रिकेटर के कुछ खास बल्ले होते हैं, नीरज का भी एक खास भाला है, वैसे क्या आपका भी कोई पसंदीदा रैकेट है?

-हमारा खेल कुछ अलग रहता है। हम साथ में छह-सात रैकेट लेकर जाते हैं। खेलते समय वह स्टि्रंग चला (तार टूटना) जाता है कभी-कभी, तो दूसरा रैकेट लेकर खेलना पड़ता है। ऐसे में कोई खास रैकेट तो नही है लेकिन पदक जीतने के बाद मैं हमेशा वह रैकेट रख लेती हूं।

-अब तो आपके पास रैकेट का भंडार लग गया होगा क्योंकि आपने बहुत पदक जीते हैं?

-जी आप सही कह रहे हैं (जोर से हंसते हुए)।

-घर में किस तरह का माहौल रहता है। मम्मी कहती हैं कि इतना समय मुझसे दूर रहती हो, अभी यहीं रहो या ये खाओ, या फिर गेम पर बात होती है?

- ऐसा कुछ नहीं है। बहुत दिन के बाद वापस आई थी। कोरोना के समय में मम्मी-पापा बहुत चिंतित थे और बोल रहे थे कि अपना ध्यान रखो। शारीरिक दूरी का ध्यान रखो क्योंकि पता नहीं था कि कोविड कैसे आएगा और क्या होगा। किसी को भी पता नहीं है। भारत से टोक्यो जाना और वहां खेलना। वो थोड़े से चिंतित थे लेकिन पदक लाने के बाद खुश थे सभी लोग और इसका जश्न भी मनाया था।

-मैंने आपका ओलिंपिक में क्वार्टर फाइनल और सेमीफाइनल देखा। क्वार्टर फाइनल में एक अलग तरह की सिंधू नजर आ रही थी, लेकिन सेमीफाइनल में ताई जी यिंग के सामने अलग सिंधू थी। आपसे स्मैश नहीं लग रहे थे?

-ताई बहुत ही अच्छी खिलाड़ी हैं। मैं उनके खिलाफ तैयार थी। हम दोनों एक-दूसरे के खिलाफ हमेशा से 100 प्रतिशत देते हैं। ओलिंपिक से पहले हम दोनों शीर्ष फार्म में थे। पहला गेम बहुत अच्छा था। 18-18 से बराबरी पर था और शायद उसका शटल नेट से लगकर मेरी तरफ गिर गया। वह किस्मत वाली थी। मैंने सोचा कि शायद मैं पहला गेम जीतती तो दूसरा गेम बहुत अलग होता, लेकिन बस वह उनका दिन था। मैंने भी 100 प्रतिशत कोशिश की थी लेकिन वह मेरा दिन नहीं था। 18-18 की बराबरी पर अगर मैं दो अंक ले लेती तो कुछ अलग होता।

- सेमीफाइनल में कुछ ऐसा हो रहा था कि आप शाट मार रही थी तो शटल या तो कोर्ट से बाहर जा रही थे या शटल नेट से लगने के बाद आपकी तरफ गिर रही थी जिससे ताई को अंक मिल रहे थे?

- पहले गेम की तुलना में दूसरे गेम में नुकसान ज्यादा था। मैच भी थोड़ा तेज था। शटल कोर्ट से बाहर जा रही थी। पहला गेम जीत लेती तो दूसरा गेम अलग हो जाता है। मैंने बहुत नियंत्रण किया था। हां, लेकिन उस दौरान बेजां गलतियां ज्यादा हो रही थीं।

- रियो ओलिंपिक के फाइनल में कैरोलिना मारिन के साथ भी आपके साथ कुछ ऐसा हुआ था। बड़े मुकाबलों में क्या कुछ ज्यादा दबाव रहता है आप पर?

-ऐसा कुछ नहीं रहता। विश्व के टाप-10 खिलाड़ी उच्च स्तर के होते हैं। ओलिंपिक में सब लोग शीर्ष फार्म में रहते हैं और अपना 100 प्रतिशत देते हैं। बहुत कुछ इस बात पर तय होता है कि उस दिन कौन अच्छा खेलते हैं और कौन नहीं। ऐसा कुछ नहीं है कि एक खिलाड़ी अच्छा खेलता है और एक पर दबाव रहता है। दबाव तो हर किसी पर रहता है।

- 15 अगस्त आने वाला है और प्रधानमंत्री मोदी जी से मिलना भी है आप लोगों को। आपकी आइसक्रीम की इतनी चर्चा हो गई कि जैसे कुछ खास आइसक्रीम होगी?

- मोदी जी ने ओलिंपिक से जाने से पहले प्रत्येक खिलाड़ी का बहुत हौसला बढ़ाया था और मैं इसके लिए उनका आभार प्रकट करती हूं। उन्होंने मेरे माता-पिता से भी बात की थी। मुझे बोला भी था कि पदक लेकर आने के बाद आइसक्रीम खाएंगे। पदक आने के बाद भी उन्होंने फोन करके बधाई दी थी। खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी बधाई दी थी। 15 अगस्त को मोदी जी से मिलने के लिए हम दिल्ली जाएंगे। उम्मीद है कि हम आइसक्रीम खाएंगे।

- आपके कोच पार्क की भी काफी तारीफ हो रही है। इनके साथ कैसे मेलजोल कैसा है और आपके गेम पर इसका कितना असर पड़ा है?

- मैं पार्क के साथ एक साल से ज्यादा समय से अभ्यास कर रही हूं। वह बहुत उत्साह बढ़ाते हैं। उन्होंने हिंदी में यह सीखा था कि आराम से। जब मैं खेलती हूं और अंक जा रहे होते हैं तो वो बोलते हैं कि आराम से, रिलेक्स। ऐसा बोलते रहते हैं। उन्होंने मेरे साथ बहुत मेहनत की थी। उनका भी एक सपना था कि ओलिंपिक से पदक लेकर आना है और वह सपना भी पूरा हुआ। मैं उनका आभार व्यक्त करती हूं। कोरोना के समय में उन्होंने मेरा गेम में काफी सुधार किया था। स्किल और तकनीक के ऊपर बहुत काम किया था। मैं उनका धन्यवाद करती हूं। खुशी कि बात है कि हम दोनों ने मेहनत करके देश के लिए पदक लेकर आए।

- पार्क का और आपके पूर्व कोच पुलेला गोपीचंद का क्या स्टाइल है। उनके स्टाइल में क्या अंतर है। आपको इनके स्टाइल में क्या आरामदायक बनाता है। इनके प्लस प्वाइंट क्या है?

- हर कोच और खिलाड़ी की अलग-अलग स्किल और तकनीक रहती है। हर कोच अलग सोचता है। यह अच्छा है कि अलग-अलग तरह के कोचों से अलग-अलग तरह की स्किल और तकनीक सीखने को मिलती है। जब से मैंने बैडमिंटन शुरू किया था तब पहले दिन से अभी तक बहुत कोच थे। मूल्यो भी था, किम भी थे। अब पार्क हैं। तो बहुत कोच थे। मैं हर कोच का धन्यवाद करती हूं कि मैं उनसे कुछ न कुछ सीखी जरूर हूं। तकनीक, स्किल, मानसिक और शारीरिक रूप से बहुत कुछ सीखा था।

- आपके ओलिंपिक में दो पदक और सुशील कुमार के भी ओलिंपिक में दो पदक तो आपके पास भारत की इकलौती खिलाड़ी बनने का मौका है जो ओलिंपिक में तीन पदक जीत सकती है तो 2024 पेरिस ओलिंपिक को लेकर क्या योजना है?

- मैं बहुत मेहनत करूंगी और उम्मीद है कि मैं पेरिस में भी पदक लेकर आऊंगी। उससे पहले भी मुझे बहुत टूर्नामेंट में खेलना है। अक्टूबर से कुछ टूर्नामेंट शुरू होने वाले हैं। अगले साल कामनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स हैं, उसमें भी अच्छा करूंगी।


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