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Pooja Rani Boxer Profile: 2016 ओलंपिक क्वालीफाई करने से चूक गई थीं पूजा रानी

Pooja Rani profile मिडिलवेट कैटेगरी में देश को अब तक अलग-अलग प्रतिस्पर्धाओं में कई पदक दिला चुकीं पूजा रानी बोहरा की निगाहें ओलंपिक में पदक हासिल करने पर होंगी। इसके लिए उन्होंने जमकर तैयारी भी की हुआ है।

By Vikash GaurEdited By: Published: Mon, 19 Jul 2021 01:38 PM (IST)Updated: Mon, 19 Jul 2021 01:38 PM (IST)
Pooja Rani Boxer Profile: 2016 ओलंपिक क्वालीफाई करने से चूक गई थीं पूजा रानी
Pooja Rani इस बार ओलंपिक खेलने वाली हैं

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। पूजा रानी बॉक्सिंग के गढ़ कहे जाने वाले हरियाणा के भिवानी से ताल्लुक रखती हैं। टोक्यो ओलंपिक में वे बॉक्सिंग के खेल में देश का प्रतिनिधित्व करने वाली हैं। अब तक देश को कई प्रतियोगिताओं में पदक दिलाने वाली पूजा रानी की निगाहें देश के लिए सबसे बड़ा पदक जीतने पर होंगी। मिडलवेट कैटगरी यानी 75 किलोग्राम भार वर्ग में पूजा रानी ओलंपिक रिंग में उतरने के लिए तैयार हैं।

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30 वर्षीय पूजा रानी के पास 2016 में हुए रियो ओलंपिक खेलों में भी देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका था, लेकिन ये बॉक्सर मई 2016 में हुई वुमेंस वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप के दूसरे राउंड में हारकर टूर्नामेंट से बाहर हो गई थी और ओलंपिक के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाई थी। हालांकि, अब उनके पास विश्व पटल पर अपना नाम रोशन करने का मौका है और पहली बार ओलंपिक में अपने हाथों का जादू दिखाने का मौका है।

हरियाणा राज्य के भिवानी जिले के निमरीवाली गांव की रहने वाली पूजा रानी को अपने शहर में हवा सिंह बॉक्सिंग अकादमी में शामिल होने का साहस खोजने में एक साल लग गया था। ये बात पूजा ने अपने पिता को नहीं बताई थी, क्योंकि पिता को ये स्वीकार नहीं होता। यहां तक कि खेल के दिनों में उन्होंने अपनी चोटें भी पिता से छिपाई, क्योंकि वे खेल के बारे में जान जाते तो उन्हें खेलने की अनुमति नहीं देते। यहां तक कि जब चोट लगती और घाव हो जाता तो वे अपने दोस्त के घर पर रुकती, जब तक कि घाव थोड़ा बहुत ठीक नहीं हो जाता था।

पूजा को लगभग छह महीने तक पेशेवर प्रतिस्पर्धा की अनुमति देने के लिए अपने पिता की खेल के प्रति नापसंदगी के खिलाफ लड़ना पड़ा। एक इंटरव्यू में पूजा रानी ने बताया था कि उनके पिता उन्हें बताते थे कि 'अच्छे बच्चे बॉक्सिंग नहीं खेलते', लेकिन जब उनके पिता को उनकी मुक्केबाजी की महत्वाकांक्षाओं के बारे में पता चला, तो उन्होंने उनकी क्लास बंद करा दीं। उनके कोच संजय कुमार श्योराण को उनके परिवार से उसे प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति देने के लिए विनती करनी पड़ी। जैसे-तैसे पूजा रानी के पिता ने उनका खेलना स्वीकार किया, जिसमें 6 महीने लग गए थे।

17 फरवरी 1991 को भिवानी में जन्मीं पूजा रानी बोरा 2014 एशियन गेम्स में 75 किलोग्राम भार वर्ग में कांस्य पदक जीत चुकी हैं। इसके अलावा उन्होंने 2016 के साउथ एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल हासिल किया हुआ। वह 2012 में सिल्वर और 2015 में एशियन चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीत चुकी हैं। वहीं, 2014 में ग्लास्गो में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भी पूजा रानी ने देश का प्रतिनिधित्व किया है, लेकिन वे सफल नहीं हो सकीं।


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