भारतीय जिम्नास्टों की टोक्यो ओलंपिक तैयारियों पर पड़ेगा असर
अगस्त में तुर्की में हुई एफआइजी विश्व चैलेंज कप के दौरान रिंग स्पर्धा में पात्रा चौथे स्थान पर रहे थे।
नई दिल्ली, जेएनएन। नई दिल्ली, प्रेट्र : शीर्ष जिम्नास्ट राकेश पात्रा का मानना है कि अगले महीने होने वाली कलात्मक जिम्नास्टिक विश्व चैंपियनशिप में भारतीय जिम्नास्ट हिस्सा नहीं लेते हैं तो इसका असर 2020 टोक्यो ओलंपिक की तैयारियों पर पड़ेगा। 48वीं कलात्मक जिम्नास्टिक विश्व चैंपियनशिप 25 अक्टूबर से तीन नवंबर तक दोहा में होगी।
जिम्नास्टिक फेडरेशन और इंडिया (जीएफआइ) के अमान्य करार होने के बाद राष्ट्रीय खेल संहिता के तहत खेल मंत्रालय ने उसे निलंबित कर दिया था और अब खेल मंत्रालय ने टीम को विश्व चैंपियनशिप में भेजने से इन्कार कर दिया।
अगस्त में तुर्की में हुई एफआइजी विश्व चैलेंज कप के दौरान रिंग स्पर्धा में पात्रा चौथे स्थान पर रहे थे। उन्होंने कहा, 'टोक्यो ओलंपिक क्वालीफाई करने के लिए अगले साल क्वालीफाइंग टूर्नामेंट होना है और यदि यह विवाद रहा तो इसका असर हमें मिलने वाले मौकों पर पड़ेगा और इससे विश्व में भारत की छवि पर भी असर पड़ेगा।
पात्रा के अलावा, जिम्नास्टिक टीम के अन्य सदस्यों में शामिल इस साल मेलबर्न में हुई विश्व कप जिम्नास्टिक में महिलाओं की वाल्ट स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने वाली अरुणा बुद्धा रेड्डी, 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स और इंचियोन एशियन गेम्स में पदक जीतने वाले आशीष कुमार और दीपा करमाकर के कोच बिश्वेश्वर नंदी चाहते हैं कि टीम विश्व चैंपियनशिप में खेलने जाए।
नंदी ने कहा, 'हम 25 सितंबर से पहले नई दिल्ली में ट्रेनिंग करेंगे। हम उनके फैसले का इंतजार कर रहे हैं। टोक्यो ओलंपिक को ध्यान में रखते हुए यह महत्वपूर्ण टूर्नामेंट है। देखते हैं कि खेल मंत्रालय क्या फैसला करता है।' टूर्नामेंट के आयोजकों को जिम्नास्टों के नाम भेजने की तारीख 25 सितंबर है।