फिट हूं लेकिन दोबारा चोटिल होने के डर से नहीं खेल रहा : नीरज चोपड़ा
नीरज ने कहा कि कंधे की सर्जरी के बाद मैंने फिटनेस के लिए साइक्लिंग के साथ अभ्यास शुरू कर दी है लेकिन अभी थ्रो करना शुरू नहीं किया।
विकास शर्मा, चंडीगढ़। कंधे की चोट से पूरी तरह से उबर चुका हूं लेकिन दोबारा चोटिल न हो जाउं, इस डर से अभी किसी प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले रहा हूं। यह कहना है अर्जुन अवॉर्डी और कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक विजेता भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा का। नीरज ने कहा कि कंधे की सर्जरी के बाद मैंने फिटनेस के लिए साइक्लिंग के साथ अभ्यास शुरू कर दी है लेकिन अभी थ्रो करना शुरू नहीं किया। जल्द डॉक्टर की सलाह के बाद इसका भी अभ्यास शुरू कर दूंगा। दो-चार महीने के अभ्यास के बाद मैं अपनी लय पकड़ लूंगा और ओलंपिक तक पूरी तरह से फिट हो जाऊंगा। उन्होंने कहा कि इस चोट की वजह से मैं पिछले एक साल से खेल से दूर हूं और कई बड़ी प्रतियोगिताओं में हिस्सा नहीं ले सका। दरअसल मैं नहीं चाहता कि जल्दबाजी में दोबारा चोटिल हो जाउं। मेरी नजर ओलंपिक पर है। उम्मीद है कि इस साल के अंत में होने वाले ओपन राष्ट्रीय खेल में हिस्सा लूंगा।
डीएवी कॉलेज में क्रिकेट अकादमी का शुभारंभ
नीरज 10 दिन पहले ही पटियाला आए हैं। वह डीएवी कॉलेज के पूर्व छात्र हैं और यहां क्रिकेट अकादमी का शुभारंभ करने पहुंचे थे। नीरज ने कहा कि दूसरे खिलाडि़यों के विश्व रिकॉर्ड को देखकर मैं अभ्यास नहीं करता, सिर्फ अच्छा थ्रो करने का प्रयास करता हूं। रिकॉर्ड सिर्फ एक बार बनता है लेकिन अलग-अलग प्रतियोगिता में आपका प्रदर्शन काफी मायने रखता है। पहले राष्ट्रीय रिकॉर्ड 75 मीटर के आसपास था लेकिन आज देश में ही कई ऐसे भाला फेंक एथलीट हैं जो 80 मीटर तक थ्रो करते हैं। खेल का स्तर लगातार बढ़ रहा है। मौजूदा समय में जर्मनी के एथलीट अच्छा थ्रो कर रहे हैं लेकिन जर्मनी के बाद दूसरे नंबर पर भारत है।
रोहित और साहिल भी कर रहे हैं शानदार प्रदर्शन
नीरज ने बताया कि देश के युवा भाला फेंक एथलीट इस खेल में काफी बेहतर कर रहे हैं। तकरीबन चार-पांच ऐसे खिलाड़ी हैं। मौजूदा समय में जूनियर खिलाड़ी रोहित और साहिल काफी अच्छा कर रहे हैं। ये दोनों किसी भी विदेशी खिलाड़ी को टक्कर देने में सक्षम हैं। अगले साल जूनियर विश्व चैंपियनशिप होनी है, उम्मीद है कि ये दोनों खिलाड़ी इस प्रतियोगिता में जरूर पदक जीतेंगे। जैसे-जैसे हमारे खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीतेंगे, वैसे-वैसे खेल का स्तर अपने आप ऊपर उठता जाएगा।