कामचलाऊ भाले से किया अभ्यास और अब नीरज ने गोल्ड जीतकर रच दिया इतिहास
पांच साल पहले नीरज के पास अभ्यास के लिए भाला भी नहीं था पर उन्होंने हौसला नहीं खोया।
पानीपत, विजय गाहल्याण। कॉमनवेल्थ गेम्स में भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीतने वाले एकमात्र भारतीय एथलीट नीरज चोपड़ा कभी एक अदद भाले के लिए तरसते थे लेकिन ये उनकी मेहनत का ही फल है कि आज की तारीख में वह इस खेल के चैंपियन हैं।
पांच साल पहले नीरज के पास अभ्यास के लिए भाला भी नहीं था पर उन्होंने हौसला नहीं खोया। पिता सतीश कुमार और चाचा भीम सिंह से सात हजार रुपये लेकर काम चलाऊ भाला खरीदा और हर दिन आठ घंटे तक अभ्यास किया। इसी के बूते अंडर-16, अंडर-18 और अंडर-20 की मीट में राष्ट्रीय रिकॉर्ड बना डाला। इसके बाद भारतीय कैंप में चयन हुआ। इसके बाद उन्हें डेढ़ लाख रुपये वाले भाले से अभ्यास करने का मौका मिला। इसके बाद उन्होंने पोलैंड में अंडर-20 वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में विश्व रिकॉर्ड बनाया।
नीरज का कहना है कि विदेशी खिलाड़ियों से हम किसी भी तरह से कम नहीं हैं, कमी है तो हार के समय बिखर जाना और लक्ष्य से जी चुराना। भाला फेंक मंहगा खेल है। सरकार, संस्थाओं और सामाजिक संगठनों को खिलाड़ियों का सहयोग करना होगा। नीरज ने बताया कि पंचकूला के एथलेटिक्स कोच नसीम अहमद ने उनकी तकनीक में सुधार कराया है।
रिकॉर्ड के बादशाह हैं नीरज
नीरज के नाम अंडर-20 में विश्व रिकॉर्ड व राष्ट्रीय रिकॉर्ड। 2016 में साउथ एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक के साथ-साथ राष्ट्रीय रिकॉर्ड। इसके साथ ही साथ 2014 में अंडर-18 नेशनल यूथ एथलेटिक्स चैंपियनशिप में राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी नीरज के नाम है।