लक्ष्य बनाकर खुद पर दबाव नहीं बनाना चाहता : नीरज चोपड़ा
एशियन गेम्स में नीरज चोपड़ा से भारत को बड़ी उम्मीद है।
स्वर्णिम उम्मीदें :
भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा एशियन गेम्स 2018 में भारतीय दल के ध्वज वाहक होंगे। उन्हें इन खेलों में स्वर्ण पदक के लिए भारत की सबसे बड़ी उम्मीदों में से एक माना जा रहा है। 20 साल के नीरज ने कम उम्र में ही बड़ी सफलताएं हासिल की हैं। 2016 में उन्होंने अपना पहला साउथ एशियन गेम्स खेलते हुए स्वर्ण पदक जीता। अगली साल उन्होंने एशियन चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पर कब्जा जमाया और इस साल गोल्ड कोस्ट में अपना पहला कॉमनवेल्थ गेम्स खेलते हुए एक बार फिर स्वर्ण पदक अपने नाम किया। वह कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय भाला फेंक एथलीट हैं। एशियन गेम्स में उनके प्रदर्शन की संभावना और अन्य मुद्दों पर नीरज चोपड़ा से उमेश राजपूत ने खास बातचीत की। पेश है मुख्य अंश :
- एशियन गेम्स के लिए आपकी तैयारी कैसी चल रही है?
- मैं इस समय फिनलैंड में हूं और यहीं पर ही मैं तैयारी कर रहा हूं। मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहा हूं। मेरी तैयारी अच्छी चल रही है।
- भाला फेंक में ताकत और दिमाग दोनों की जरूरत पड़ती है। ऐसे में आपकी डाइट कैसी रहती है और एकाग्रता बनाए रखने के लिए क्या करते हैं?
- यह बात बिलकुल सही है कि भाला फेंक में ताकत और दिमाग दोनों की बहुत जरूरत होती है और हर खिलाड़ी का इस पर पूरा ध्यान होता है। हम अपनी डाइट का पूरा ध्यान रखते हैं। हम राष्ट्रीय कैंप में हों या कहीं और, हमें जरूरत के हिसाब से डाइट मिलती है। रही बात एकाग्रता की तो उसके लिए हम लगातार अभ्यास करते हैं और जरूरत पड़ने पर योग और मेडिटेशन भी करते हैं।
- यह आपका पहला एशियन गेम्स है। अपने लिए क्या लक्ष्य निर्धारित किया है?
- काफी अच्छा लग रहा है कि मैं अपने पहले एशियन गेम्स में भाग लेने जा रहा हूं। मैंने कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया है। मैं अपनी तरफ से पूरा दमखम लगा दूंगा, लेकिन लक्ष्य निर्धारित करके अपने ऊपर कोई दबाव नहीं बनाना चाहता हूं। मैंने काफी अभ्यास किया है और मैं अपना सौ प्रतिशत देना चाहता हूं।
- सभी आपसे एक और स्वर्ण की उम्मीद कर रहे हैं?
- अपने देश के लोग जब उम्मीद करते हैं तो काफी अच्छा लगता है। इस बात का कोई दवाब नहीं है। वे भी जानते हैं कि हम भी अपनी तरफ से अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश करेंगे।
- इस साल आपने दोहा डायमंड लीग में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था, लेकिन पदक से चूक गए और चौथे स्थान पर रहे। इसकी क्या वजह थी?
-डायमंड लीग ओलंपिक स्तर की प्रतिस्पर्धा है। हमारे देश में इसे थोड़ा कम करके आंकते हैं, लेकिन इसमें ओलंपिक और विश्व चैंपियनशिप जैसी कड़ी चुनौती मिलती है। मेरी तरफ से इसमें कोई कमी नहीं रही। मैंने नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया। जो पहले तीन स्थान पर रहे उन्होंने 90 मीटर से ज्यादा दूरी पर भाला फेंका। मैंने भी 87 मीटर से ज्यादा दूरी पर भाला फेंका। इसलिए मैं यह नहीं मानता कि मैं पदक से चूक गया, बल्कि मैं यह सोचता हूं कि मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।
-खेलों में भाला फेंक को चुनने की कोई खास वजह थी?
-मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं भाला फेंक या खेल में आगे जाऊंगा। हमारे घर में कोई खिलाड़ी नहीं था। मैं तो बस फिटनेस के लिए मैदान पर गया था। वहां कुछ सीनियर थे जो भाला फेंक का अभ्यास कर रहे थे। उन्हें देखकर मैंने भी भाला फेंकना शुरू कर दिया। वहां से मेरी शुरुआत हुई। उसके बाद मैंने इसमें मेहनत करनी शुरू कर दी और सब ठीक होता चला गया तो यह मेरे जीवन का हिस्सा बन गया।
-इतनी कम उम्र में आपके काफी प्रशंसक हो गए हैं। अपने प्रशंसकों से क्या कहना चाहेंगे?
- एक खिलाड़ी को आगे ले जाने में उसके प्रशंसकों का बहुत बड़ा योगदान होता है। प्रशंसकों का खिलाडि़यों में काफी विश्वास होता है और वे हमें हौसला देते हैं। वे जब कहते हैं कि हमें आप पर गर्व है तो हम भी उत्साहित होते हैं और हमारे अंदर भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि आप हम पर ऐसे ही विश्वास बनाए रखें और हमारा हौसला बढ़ाते रहें।