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आइओए कोषाध्यक्ष ने कहा- नरेंद्र बत्रा के फैसले संविधान के खिलाफ

आइओए के कोषाध्यक्ष आनंदेश्वर पांडे ने हाल में उठाए अध्यक्ष नरेंद्र बत्रा के कदमों को आइओए संविधान का उल्लंघन करार दिया

By Sanjay SavernEdited By: Published: Thu, 28 May 2020 07:59 PM (IST)Updated: Thu, 28 May 2020 07:59 PM (IST)
आइओए कोषाध्यक्ष ने कहा- नरेंद्र बत्रा के फैसले संविधान के खिलाफ
आइओए कोषाध्यक्ष ने कहा- नरेंद्र बत्रा के फैसले संविधान के खिलाफ

जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। भारतीय ओलंपिक संघ (आइओए) के कोषाध्यक्ष आनंदेश्वर पांडे ने हाल में उठाए अध्यक्ष नरेंद्र बत्रा के कदमों को आइओए संविधान का उल्लंघन करार दिया और देश में खेल की सर्वोच्च संस्था की कार्यकारी परिषद की जून में बैठक बुलाने की मांग की।

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आइओए महासचिव राजीव मेहता ने नैतिक आयोग को भंग करने के बत्रा के फैसले को अवैध करार दिया था जिसके कुछ दिन बाद पांडे ने भी इस कदम की आलोचना की है। मेहता ने कहा था कि आइओए की आम सभ ने नैतिक आयोग की 2017-2021 के कार्यकाल के लिए नियुक्ति को स्वीकृति दी है और बत्रा उसे दो साल पहले भंग नहीं कर सकते।

बत्रा, मेहता और खेल संस्था के अन्य सदस्यों को लिखे पत्र में पांडे ने कहा, 'आइओए के साथ उनके 40 साल के जुड़ाव के दौरान उन्होंने संविधान, भरोसे और सद्भावना का इस तरह का उल्लंघन नहीं देखा। मैं यहां उठाए गए कदमों की अच्छाई या बुराई के बारे में बात नहीं कर रहा। मैं ऐसा सिर्फ कार्यकारी परिषद की बैठक में करूंगा जिसे बिना किसी विलंब के जून में बुलाया जाना चाहिए। पिछले कुछ दिनों में बत्रा ने विभन्न समितियों और आयोग कई नियुक्तियां की हैं लेकिन पांडे ने कहा कि कार्यकारी परिषद की स्वीकृति मिलने पर ही ये प्रभावी होंगी।

उन्होंने कहा, 'मुझे आपको सूचित करना है कि अध्यक्ष के विभिन्न पत्र सिर्फ प्रस्ताव हैं जिन पर कार्यकारी परिषद को विचार करना है। कार्यकारी परिषद की बैठक से पहले नई समिति/आयोग की कोई भी कार्रवाई आइओए संविधान का उल्लंघन होगी।' बत्रा ने हाल में आइओए सदस्यों के वाíषक अनुदान और मान्यता फीस की निगरानी करने वाली समिति, पूर्वोत्तर समिति, प्रायोजन, मार्केटिंग और प्रसारण जैसी समितियों का पुनर्गठन किया था।

वहीं, बत्रा ने कहा, 'मुझे 18.3 नियम में कोई जिक्र नहीं मिला कि अध्यक्ष को किसी समिति/आयोग को गठित करने में महासचिव से सलाह लेनी ही पड़ेगी या उसका इसमें शामिल होना जरूरी होगा। आम सालाना बैठक (एजीएम) या आम सभा को संविधान की सीमाओं के अंदर काम करना होता है और यह संविधान के अंतर्गत बाध्य है और अगर किसी भी समय एजीएम या कार्यकारी समिति संविधान का उल्लंघन करती है तो संविधान निश्चित रूप से प्रभावी होगा। यह अच्छी तरह पता है जिसके पास नियुक्ति का अधिकार है, उसके बाद हटाने का भी अधिकार है।'

बत्रा ने खन्ना से स्पष्टीकरण मांगा

आइओए के अध्यक्ष नरेंद्र बत्रा ने टोक्यो ओलंपिक खेलों के लिए होटल बुकिंग में देरी के कारण हुए नुकसान के लिए गुरुवार को वित्त समिति के अध्यक्ष अनिल खन्ना से स्पष्टीकरण मांगा। इस विलंब के कारण बजट में लगभग 73 लाख रुपये का इजाफा हुआ। आइओए के वरिष्ठ उपाध्यक्ष खन्ना को लिखे पत्र में बत्रा ने बताया कि किस तरह उनकी ओर से 15 दोहरे कमरों की बुकिंग में स्वीकृति में विलंब के कारण देश में खेल की सर्वोच्च संस्था के खर्चो पर असर पड़ा।


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