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विश्व चैंपिनयशिप में गोल्ड मेडल जीतना मेरा अगला लक्ष्य : बजरंग पूनिया

बजरंग का अगला लक्ष्य विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतना है।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Mon, 20 Aug 2018 06:52 PM (IST)Updated: Mon, 20 Aug 2018 06:52 PM (IST)
विश्व चैंपिनयशिप में गोल्ड मेडल जीतना मेरा अगला लक्ष्य : बजरंग पूनिया
विश्व चैंपिनयशिप में गोल्ड मेडल जीतना मेरा अगला लक्ष्य : बजरंग पूनिया

एशियन गेम्स 2018 में अपना पहला स्वर्ण पदक जीतने वाले 65 किग्रा वर्ग के पहलवान बजरंग पूनिया का अगला लक्ष्य विश्व चैंपियनशिप है। जिस एशियन गेम्स में कुश्ती में पदक जीतना मुश्किल माना जाता है उसमें भारत के पहलवान ने ओलंपिक में शीर्ष पर रहने पाले देश उज्बेकिस्तान, तजाकिस्तान, मंगोलिया व जापान के पहलवानों को हराकर स्वर्ण पदक जीता है। जकार्ता की कामयाबी और अन्य मुद्दों को लेकर बजरंग पूनिया से अनिल भारद्वाज की खास बातचीत हुई, पेश हैं मुख्य अंश :

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- जकार्ता के बाद अब आगे का लक्ष्य क्या टोक्यो ओलंपिक है?

- अक्टूबर में हंगरी में विश्व चैंपियनशिप होनी है। मेरा पहला लक्ष्य उसमें अपना पहला स्वर्ण पदक जीतना है। इसमें विश्व का हर देश भाग लेगा। इस लक्ष्य के अलावा मैं कुछ नहीं सोच रहा। हां, टोक्यो लक्ष्य है और उसके लिए बेहतर तैयारी के लिए मेरे पास समय है।

- आपने उज्बेकिस्तान, तजाकिस्तान, मंगोलिया व जापान के पहलवानों को हराया। यह सब ओलंपिक में शीर्ष पर रहते हैं। यह कैसे संभव हुआ?

- मैंने जकार्ता की तैयारी करने के लिए कोई भी मुकाबला नहीं छोड़ा और भारतीय कुश्ती महासंघ ने तैयारी कराने में बड़ा सहयोग किया। जकार्ता जाने से पहले तुर्की में खेले गए यासर दोगु अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट और जॉर्जिया में खेले गए तिब्लिसी ग्रां प्रि चैंपियनशिप में मैंने स्वर्ण पदक जीते। इनमें विश्व भर के पहलवान शामिल थे। इसका जकार्ता में लाभ मिला और मैंने प्री-क्वार्टर फाइनल में उज्बेकिस्तान पहलवान को 13-3 से हराया और क्वार्टर फाइनल में तजाकिस्तानी को 12-2 व सेमीफाइनल में मंगोलियाई को 10-0 हराकर फाइनल में स्थान बनाया। फाइनल में जापान के पहलवान को 10-8 से हराने में कामयाब रहा।

-क्या आपको पहले से विश्वास था कि बड़े अंतर से पहलवानों को हराओगे?

- जीतने का विश्वास था, लेकिन पहला मुकाबला मैंने 13-3 से उज्बेकिस्तानी पहलवान से जीता, तो हौसला सातवें आसमान पर चला गया।

- 2018 एशियन चैंपियनशिप में आपने कांस्य पदक जीता। फिर कुछ माह बाद इतना बदलाव कैसे संभव हुआ?

- मेरे पहले प्रशिक्षक द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता रामफल सिंह मान थे और उन्होंने हमेशा यही सिखाया था कि बदलाव करने के लिए ज्यादा समय नहीं चाहिए। मेरे बड़े भाई ओलंपिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त उसी पर अमल कराने में मेरी तैयारी कराते हैं।

- आपने अपना पदक स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी को समर्पित किया है?

- हां, मेरा यह पदक अटल जी को समर्पित है। भारत लौटने के बाद मैं उन्हें श्रद्धांजलि दूंगा।


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