घर में ही मनु भाकर ने बनाई शूटिंग रेंज, ओलंपिक मेडल के लिए जमकर कर रही हैं अभ्यास
दमदार निशानेबाज मनु भाकर ने अपने घर पर ही छोटी सी शूटिंग रेंज बना ली है जिससे कि वे लगातार प्रैक्टिस कर सकें।
नई दिल्ली, जेएनएन। कोरोना वायरस संक्रमण के कारण देश में लागू हुए लॉकडाउन ने खिलाडि़यों की जीवन शैली को बदल दिया है। मैदान में दौड़ने वाले खिलाड़ी छत पर टहलने को मजबूर हो गए हैं। टोक्यो ओलंपिक का आयोजन अगले वर्ष तक टलने से वह दुखी हैं, तो अगले वर्ष ओलंपिक के मुकाबलों के लिए घर पर ही कड़ी मेहनत भी कर रही हैं। इन तमाम मुद्दों को लेकर देश की स्टार शूटर मनु भाकर से अनिल भारद्वाज ने बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश-
-ओलंपिक एक वर्ष के लिए टल गया। एक खिलाड़ी होने के नाते कितना फायदा या नुकसान होगा?
-ओलंपिक आयोजन अगले वर्ष तक टलने का थोड़ा दुख है। लंबे समय से ओलंपिक का सपना था और उसी को देखकर कड़ी मेहनत की गई थी। हम पदक के करीब थे। अच्छा होता आयोजन अपने समय पर होता क्योंकि अभी तैयारी अच्छी और पदक जीतने की स्थिति बेहतर थी लेकिन दुनिया पर संकट को देखते हुए ऐसा निर्णय लिया गया है। अब अगले वर्ष तक अपने को पदक जीतने वाले खिलाडि़यों की लाइन में रखने का बड़ा चैलेंज होगा। फिर से शुरूआत करनी होगी। अभी हाल में सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि प्रशिक्षण सेंटर में नहीं जा पा रहे हैं।
-अब प्रशिक्षण व खेल की लय को बरकरार रखना कितना का बड़ा चैलेंज है?
-हर रोज चैलेंज से गुजरना पड़ रहा है। अभी हाल में घर पर छोटी शूटिंग रेंज बनाई हुई है उसमें हर रोज प्रशिक्षण करती हूं। इसी में हर रोज तीन-चार घंटे प्रशिक्षण कर अपनी लय बरकरार रखने की कोशिश में लगी हूं। यह सही है कि प्रशिक्षण सेंटर की कमी महसूस हो रही है। यह हर खिलाड़ी के लिए मुश्किल का दौर है।
-फिटनेस के लिए क्या कर रही हैं?
-मैं फिटनेस व मानसिक शांति के लिए हर रोज सुबह छत पर टहलती हूं और उसके बाद योगा के साथ सूर्य नमस्कार और मेडिटेशन करती हूं। मुझे लगता है ऐसे हालात में इससे बेहतर कोई उपाए नहीं है।
-मुख्यमंत्री राहत कोश में मदद देने के का फैसला दिमाग में कैसे आया?
-मेरे माता-पिता ने यही सिखाया है कि दुख में हमें एक होकर समस्या से लड़ना चाहिए। हर किसी को आगे आना चाहिए। अगर आज हम मिलकर कोरोना वायरस से लड़ेंगे, तो लाखों लोगों की जान बचाने के साथ भारत को सुरक्षित कर पाएंगे। वायरस से लड़ने के लिए सरकार तक सीमित नहीं रहना चाहिए। इसके लिए हर भारतीय को आगे आना होगा।
-आपकी हमेशा एक शिकायत रही है कि घर वालों के साथ रहने का समय नहीं मिलता। क्या लॉकडान ने वह मौका दे दिया?
-हंसते हुए.. पढ़ाई, खेल और राष्ट्रीय शिविर। यही कारण है कि परिवार के साथ रहने का समय कम ही मिलता है। अब ऐसा समय आया कि घर में रही रहना होगा। घर वालों के साथ रहकर खुशी मिली है लेकिन चिंतित हूं उन लोगों के लिए जो कोरोना से जूझ रहे हैं।
-क्या काम में मां का हाथ भी बंटा रही हैं?
-मेरे घर का रिवाज है, घर के काम में हर कोई सहयोग करेगा। अब ज्यादा समय मैं मां के साथ रसोई व अन्य काम में सहयोग कर पा रही हूं। वैसे मैंने घर रहकर भी प्रशिक्षण शिविर वाले नियम को लागू किया हुआ है जिसमें आपकी एक्सरसाइज व प्रशिक्षण और भोजन करने के साथ आराम करने का समय तय है।