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खुद हैं चोटिल, मां को है कैंसर, फिर भी ओलंपिक में पदक जीतने का है लक्ष्य

जज्बा हो तो ललित माथुर जैसा जो खुद चोटिल हैं मां को कैंसर है लेकिन फिर भी वे ओलंपिक के लिए तैयारियां कर रहे हैं।

By Vikash GaurEdited By: Published: Fri, 21 Aug 2020 08:29 AM (IST)Updated: Fri, 21 Aug 2020 08:29 AM (IST)
खुद हैं चोटिल, मां को है कैंसर, फिर भी ओलंपिक में पदक जीतने का है लक्ष्य
खुद हैं चोटिल, मां को है कैंसर, फिर भी ओलंपिक में पदक जीतने का है लक्ष्य

नई दिल्ली, शिप्रा सुमन। वर्ष 2016 के रियो ओलंपिक में शामिल हो चुके युवा धावक ललित माथुर छह बार राष्ट्रीय चैंपियन रह चुके हैं और उनका सपना देश के लिए ओलंपिक में पदक जीतना है। कैंसर से पीड़ित मां, किसान पिता और दो बहनों की परवरिश की जिम्मेदारी के बीच वह खुद भी गंभीर चोट से पीड़ित हैं, लेकिन न तो उस सपने को मरने दिया है जो देश के लिए देखा है और न उस जज्बे को कम होने दिया है जिसके बल पर सपने को हकीकत में बदला जा सके। तमाम विपरीत हालात के बीच हर दिन खुद को दौड़ने के लिए तैयार करते हुए ललित अपने अंदर के योद्धा को लगातार निखार रहे हैं।

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मां के कैंसर के इलाज के लिए पैसे मांगने पड़े

2017 में ललित को दिल्ली रेलवे स्टेशन की स्वच्छता अभियान का ब्रांड एंबेसडर बनाया गया था। ललित कहते हैं कि उनके पास स्पो‌र्ट्स कोटे से मिली रेलवे की नौकरी तो है, लेकिन नौकरी से उनके घर का खर्च बहुत मुश्किल से चल पाता है। इसके भी ऊपर मां के गले के कैंसर के इलाज के खर्च ने उन्हें कर्ज लेने के लिए मजबूर कर दिया। नियमित चले इलाज के बाद मां की हालत स्थिर हुई, लेकिन अब भी दवाओं का खर्च उठाना मुश्किल हो रहा है। वह कहते हैं कि दिल्ली सरकार से उन्होंने मदद की गुहार लगाई थी, लेकिन वहां से कोई मदद नहीं मिली। इसके अलावा रेलवे की तरफ से भी कोई मदद नहीं मिल सकी है। इसके अलावा हरियाणा सरकार से भी कोई सहयोग नहीं मिला।

ओलंपिक की रेस के लिए पार्क में दौड़

ललित बताते हैं कि उन्हें रेसिंग ट्रैक की सुविधा नहीं मिल रही। इसलिए पार्क में ही अभ्यास करते हैं। फिटनेस के लिए घर में भी वर्कआउट करते हैं। उनका मानना है कि प्रतिभा को निखारने के लिए सुविधाओं से ज्यादा जज्बे की जरूरत होती है और देश का नाम रोशन करने का सपना उनके दिल आज भी वही जज्बा जागता है जिसे लेकर वे ओलंपिक के सफर तक पहुंचे हैं।

ललित की उपलब्धियां

ललित ने एशियन ट्रैक फील्ड चैंपियनशिप (2017), यूरोपियन ग्रैंड व‌र्ल्ड यूनिवíसटी चैंपियनशिप (2015), कॉमनवेल्थ गेम्स और लुसोफोनिया गेम्स (2014) में कई पदक जीते। इसके अलावा उन्होंने स्कूल नेशनल गेम्स में बेस्ट एथलीट का खिताब हासिल किया।

फरहान अख्तर के लिए बने बॉडी डबल

2013 में आई फिल्म भाग मिल्खा भाग की शूटिंग उनके गांव कराला में हुई थी। इसमें 800 और 1500 मीटर की दौड़ में दौड़ने वाले खिलाड़ी बनकर ललित ने अभिनेता फरहान अख्तर के लिए बॉडी डबल बने थे। यहीं से उन्हें ओलंपिक में 400 मीटर दौड़ने की प्रेरणा मिली और रियो ओलंपिक में 400 मीटर ओलंपिक में दौड़े में शामिल हुए।


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