एशियन कुश्ती चैंपियनशिप: सुशील कुमार के ओलंपिक अभियान पर जितेंद्र ने लगाया ब्रेक
Asian wrestling championship 2020 जितेंद्र कुमार ने रविवार को एशियन कुश्ती चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाकर भारत के लिए कम से कम रजत पदक पक्का कर दिया।
नई दिल्ली, जेएनएन। Asian wrestling championship 2020: जितेंद्र कुमार ने रविवार को एशियन कुश्ती चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाकर भारत के लिए कम से कम रजत पदक पक्का कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने दो बार के ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार के जापान ओलंपिक में जाने के रास्ते पर ब्रेक भी लगा दिया है। वहीं दीपक पूनिया और राहुल अवारे अपने-अपने सेमीफाइनल गंवाकर अब कांस्य पदक जीतने की कोशिश करेंगे।
जितेंद्र ने अपना क्वालीफिकेशन मुकाबला आसानी से जीत लिया। इसके बाद उन्होंने ईरान के मुस्तफा मोहाबाली हुसेनखानी और मंगोलिया के सुमियाबजार जांदनबड (2-1) को शिकस्त दी। अब वह कजाखिस्तान के गत विजेता दानियार कैसानोव से भिड़ेंगे। वहीं, विश्व चैंपियनशिप के रजत पदक विजेता दीपक को 86 किग्रा भार वर्ग के सेमीफाइनल में जापान के शुतारो यामादा से हार का सामना करना पड़ा। दीपक ने टखने की चोट के कारण विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में ईरान के हसन याजदानी को वॉकओवर दे दिया था और तब से यह उनकी पहली प्रतियोगिता है।
अब वह कांस्य पदक के लिए इसा अब्दुलसलाम अब्दुलवहाब अल ओबैदी से भिड़ेंगे। वहीं, नूर सुल्तान में विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने वाले राहुल ने गैर ओलंपिक 61 किग्रा भार वर्ग के क्वार्टर फाइनल में उज्बेकिस्तान के जाहोंगीरमिर्जा तुरोबोव पर 11-9 से जीत हासिल की लेकिन वह सेमीफाइनल में किर्गिस्तान के उलुकबेक झोलदोशबेकोव से 3-5 से हार गए। अब वह कांस्य के लिए ईरान के माजिद अलमास दास्तान के सामने होंगे। सतेंदर ने 125 किग्रा में अपना क्वालीफिकेशन मुकाबला जीता लेकिन वह क्वार्टर फाइनल और फिर रेपेचज दौर में हार गए। सोमवीर की 92 किग्रा वर्ग में चुनौती केवल 24 सेकेंड तक ही टिक सकी क्योंकि उज्बेकिस्तान के प्रतिद्वंद्वी अजीनीयाज सापारनियाजोव ने क्वार्टर फाइनल में उन्हें आसानी से हरा दिया।
बढ़ेगी सुशील की मुश्किल
दो बार के ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार के लिए टोक्यो ओलंपिक क्वालीफाई करने की राह और भी मुश्किल होती जा रही है। पूर्व विश्व चैंपियन सुशील (74 किग्रा) के भार वर्ग में उन्हें जितेंद्र कुमार से कड़ी टक्कर मिल रही है। दोनों खिलाड़ी ओलंपिक क्वालीफाइंग टूर्नामेंट में जगह बनाने के लिए एक-दूसरे के सामने डटे हैं। 36 वर्षीय सुशील भले ही टोक्यो ओलंपिक में खेलने का सपना देख रहे हैं, लेकिन वह चोट के कारण अहम टूर्नामेंटों के ट्रायल से पहले अपना नाम वापस लेते रहे हैं।
एशियन कुश्ती चैंपियनशिप के हुए ट्रायल में भी चोट का हवाला देकर सुशील ट्रायल में नहीं उतरे थे। भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआइ) पहले ही कह चुका था कि जो पहलवान रोम में हुए रैंकिंग टूर्नामेंट और नई दिल्ली में एशियन चैंपियनशिप में पदक जीतेंगे वे ओलंपिक क्वालीफाइंग टूर्नामेंट के लिए जाएंगे। जितेंद्र रैंकिंग सीरीज में पदक नहीं जीत पाए थे लेकिन अब एशियन चैंपियनशिप में उन्होंने पदक जीता। तो क्या महासंघ अब एक टूर्नामेंट के आधार के प्रदर्शन पर फिर से ट्रायल कराएगा। डब्ल्यूएफआइ के सूत्र ने कहा कि सुशील का ओलंपिक क्वालीफाइंग टूर्नामेंट के लिए ट्रायल हो सकता है क्योंकि जितेंद्र का एक टूर्नामेंट में ही पदक आया है और सुशील हमारे अनुभवी पहलवान हैं और उन्हें एक मौका दिया जाना चाहिए। अब यह डब्ल्यूएफआइ के हाथ में है कि वह क्या करता है।
वहीं, जितेंदर का प्रदर्शन डब्ल्यूएफआइ को भरोसा दिलाने के लिए काफी है कि उन्हें ओलंपिक क्वालीफायर के लिए किर्गिस्तान के बिशकेक जाना चाहिए और इस वर्ग के लिए दोबारा ट्रायल की जरूरत नहीं है। अगर डब्ल्यूएफआइ ट्रायल नहीं कराता है तो सुशील को इंतजार करके देखना होगा कि जितेंद्र बिशकेक में कैसा प्रदर्शन करते हैं जिसमें फाइनल में पहुंचने वाला पहलवान टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लेगा। अगर जितेंदर वहां स्वर्ण पदक के मुकाबले तक पहुंच जाते हैं तो इससे सुशील का रास्ता बंद हो जाएगा जो 2018 एशियन गेम्स के बाद से जूझ रहे हैं। बिशकेक में भी जितेंदर के लिए पदक जीतना आसान नहीं होगा। इस मामले पर डब्ल्यूएफआइ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने कहा, 'हम देखेंगे कि बिशकेक में हमारे पहलवान कैसा प्रदर्शन करेंगे।' एशियन ओलंपिक कुश्ती क्वालीफाइंग टूर्नामेंट 27 से 29 मार्च को होगा।