इस पैरा खिलाड़ी ने देसी उपकरणों से विदेशियों को दी मात, ब्रॉन्ज मेडल के साथ जीता दिल
राजीव ने बहन रश्मि को निशानेबाजी सिखाने के लिए घर से 17 किलोमीटर दूर फॉर्म हाउस पर शूटिंग रेंज बनाई।
करनाल, मनोज राणा। 17 साल के करियर में 29 राष्ट्रीय पदक जीत चुके 36 वर्षीय निशानेबाज राजीव मलिक ने एक बार फिर खुद को साबित किया। राजीव ने देसी उपकरणों से बैंकॉक में पैरा निशानेबाजी विश्व कप में कांस्य जीता।
भारत लौटने पर उन्होंने कहा कि पैरा निशानेबाजी की विशेष व्हील चेयर चार से पांच लाख रुपये की आती है लेकिन मैंने साधारण व्हील चेयर से ही काम चलाया। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के फुगाना गांव के राजीव मलिक ने कहा कि उन्होंने कहा कि मेरे निशानेबाजी के उपकरण भी अंतरराष्ट्रीय स्तर के नहीं थे। अंतराष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरने वाले उपकरणों पर करीब 25 लाख रुपये खर्च होते हैं।
राजीव ने निशानेबाजी में वर्ष 2000 में पदार्पण किया था। वह अब तक राष्ट्रीय स्तर पर 19 स्वर्ण, छह रजत और चार कांस्य पदक जीत चुके हैं। वर्ष 2010 एशियन गेम्स की 50 मीटर राइफल में छठा स्थान हासिल करने वाले वह अकेले भारतीय थे। वर्ष 2011 में राष्ट्रीय रिकॉर्ड बना सुर्खियों में आए। 300 मीटर स्पर्धा में 600 में से 572 का स्कोर बनाया जो सामान्य श्रेणी में भी नया कीर्तिमान था। राजीव ने मई 2018 में होने वाले आइपीसी निशानेबाजी विश्व चैंपियनशिप के लिए दावेदारी और मजबूत की। अब उनकी नजर 2020 में होने वाले पैरालंपिक पर है।
बहन को भी बनाया राष्ट्रीय शूटर
राजीव ने बहन रश्मि को निशानेबाजी सिखाने के लिए घर से 17 किलोमीटर दूर फॉर्म हाउस पर शूटिंग रेंज बनाई। इलेक्ट्रॉनिक टारगेट के बजाय लोहे के फ्रेम बनवाए। एक साल की मेहनत के बाद वर्ष 2006 में रश्मि ने पहली ही बार में सर्वश्रेष्ठ निशानेबाज का खिताब जीता।