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36 वर्ष के हुए योगेश्वर दत्त, कई बार दिया भारत को मुस्कुराने का मौका

भारत के लिए लंदन ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले योगेश्वर दत्त आज 36 वर्ष के हो गए। 2012 लंदन ओलंपिक में योगेश्वर दत्त ने ब्रांज मेडल जीता था।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Thu, 01 Nov 2018 05:56 PM (IST)Updated: Fri, 02 Nov 2018 10:56 AM (IST)
36 वर्ष के हुए योगेश्वर दत्त, कई बार दिया भारत को मुस्कुराने का मौका
36 वर्ष के हुए योगेश्वर दत्त, कई बार दिया भारत को मुस्कुराने का मौका

नई दिल्ली, जेएनएन। भारतीय रेसलिंग इतिहास में योगेश्वर दत्त वो नाम हैं जिन्होंने देशवासियों के चेहरे पर कई बार मुक्सुराहट लाने का काम किया। योगेश्वर ने पूरी दुनिया में अपने दांव का दम दिखाया और साबित किया कि भारतीय कुश्ती किस स्तर का है। उन्होंने अपनी उपलब्धि के जरिए भारत का नाम कई बार इस खेल में रोशन किया है। भारत के लिए लंदन ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले योगेश्वर दत्त आज 36 वर्ष के हो गए।

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पहलवान जी के नाम से पुकारे जाते हैं योगेश्वर 

2 नवंबर 1982 को योगेश्वर दत्त का जन्म हुआ और वो हरियाणा के सोनीपत जिले के बैंसवाल कलां से ताल्लुक रखते हैं। पांच फुट छह इंच यानी 168 सेंटीमीटर के योगेश्वर दत्त को प्यार से योगी या फिर पहलवानी जी के नाम से पुकारा जाता है। फ्रीस्टाइल रेसलर योगेश्वर दत्त ने काफी मेहनत के बाद ये मुकाम हासिल किया जहां वो आज मौजूद हैं। वर्ष 2003 में लंदन कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में 55 किलोग्राम फ्रीस्टाइल कुश्ती प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतकर वो सबकी नजरों में आए और उनका सफर जारी है। 

लंदन ओलिंपिक में जीता ब्रांज मेडल

योगेश्वर दत्त के कुश्ती करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि लंदन ओलंपिक में ब्रांज मेडल जीतना रहा। उन्होंने 12 अगस्त 2012 को लंदन में मेन्स फ्रीस्टाइल 60 किलोग्राम भारवर्ग में यादगार मेडल जीता। उस वक्त वो कुश्ती में ओलंपिक मेडल जीतने वाले भारत के तीसरे खिलाड़ी बने थे। योगी से पहले केदार जाधव (1952) और सुशील कुमार (2008, 2012) ने ये उपलब्धि हासिल की थी। लंदन ओलंपिक में योगी ने फाइनल मुकाबले में नॉर्थ कोरिया के रि जोंग-म्योंग को हराकर मेडल अपने नाम किया था। वर्ष 2012 ओलंपिक के लिए योगेश्वर दत्त ने कजाकस्तान में आयोजित एशियन क्वालीफिकेशन टूर्नामेंट में सिल्वर मेडल जीतकर क्वालीफाई किया था। ओलंपिक में उनका मेडल जीतने का सफर काफी यादगार था। प्री-क्वार्टरफाइनल राउंड में योगी को रूस के पहलवान बी कुदोखोव के हाथों 1-0,2-0 से हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद उन्हें रेपचेज राउंड में खेलने का मौका मिला था जबकि कुदोखोव फाइनल में पहुंच गए थे। रेपचेज राउंड के पहले मुकाबले में उन्हें पोर्टिको रिको के फ्रेंकलिन गोमेज के हाथों 1-0,1-0 से हार मिली। दूसरे मुकाबले मे वो लकी रहे और उन्होंने मसूद इस्मेलपोर को 7-5 से हराकर ब्रॉन्ज मेडल जीता। 

2010 कॉमनवेल्थ में योगेश्वर का जलवा

वर्ष 2010 में भारत में कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन किया गया था और देशवासियों को योगी से बड़ी उम्मीदें थीं। दबाव योगी पर भी था लेकिन उन्होंने भारत को निराश नहीं किया और 60 किलोग्राम फ्रीस्टाल स्पर्धा में देश को गोल्ड मेडल दिलाया। इस दौरान उनके घुटने में काफी गंभीर चोट आई थी जिससे उनका करियर भी खत्म हो सकता था। इसके बाद योगेश्वर दत्त ने वर्ष 2014 इंचियोन में आयोजित कॉमनवेल्थ प्रतियोगिता में एक बार फिर से अपना जलवा दिखाया। नियमों में बदलाव की वजह से इस बार उन्होंने 65 किलोग्राम भारवर्ग फ्रीस्टाइल कुश्ती प्रतियोगिता में अपने देश का प्रतिनिधित्व किया और फिर से गोल्ड मेडल जीता।  

योगेश्वर दत्त की अन्य बड़ी उपलब्धियां

36 वर्ष के योगेश्वर दत्त ने ओलंपिक और कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल जीतने के अलावा भी कई अन्य उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने 2006 दोहा एशिनयन गेम्स में ब्रांज मेडल, 2014 इंचियोन एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल, 2008 और 2012 एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल, 2003, 2005 और 2007 कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीते। उन्होंने दो बार कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में ग्रीको रोमन कुश्ती में भी हिस्सा लिया। वर्ष 2005 और 2007 में उन्होंने ग्रीको रोमन 60 किलोग्राम प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल अपने नाम किया। किसी फ्री स्टाइल रेसलर का ग्रीको रोमन में मेडल जीतना भी अपने आप में बड़ी कामयाबी थी। 

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