फर्जी प्रमाणपत्र बनाकर नौकरी पा रहे हैं भारतीय पहलवान, बड़े रैकेट का हुआ पर्दाफाश
भारतीय कुश्ती महासंघ ने पाया है कि कई भारतीय पहलवान फर्जी प्रमाणपत्र बनवाकर नौकरी पा रहे हैं। इस बड़े रैकेट का पर्दाफाश हो गया है।
नई दिल्ली, योगेश शर्मा। कहते हैं कि एथलीट प्रेरणा देते हैं। युवाओं के लिए ये एक आइकन की तरह होते हैं, लेकिन जब ये एथलीट खुद ही फर्जीवाड़ा करें तो आप क्या कहेंगे। दरअसल, ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जिसमें भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआइ) ने पाया है कि भारतीय पहलवान फर्जी प्रमाणपत्र नौकरी पाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।
पांच पहलवानों की हुई छटनी
डब्ल्यूएफआइ ने भी ऐसे पांच पहलवानों की छटनी कर ली है जो इस रैकेट में शामिल है। डब्ल्यूएफआइ के अधिकारी ने बताया कि हमें पता चला है कि कुछ पहलवान अलग-अलग चैंपियनशिप में खुद का हिस्सा लेने वाला फर्जी प्रमाणपत्र बना रहे हैं। हमें ऐसे ही पांच प्रमाणपत्र मिले हैं जो पूरी तरह से फर्जी हैं। इन प्रमाणपत्र के मिलने के बाद हमने कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है जिससे इस रैकेट का पर्दाफाश किया जा सके। इसके कारण योग्य उम्मीदवार नौकरी नहीं हासिल कर पा रहे हैं। इन पहलवानों से उस बड़े रैकेट तक पहुंचा जा सकता है जहां से ये फर्जी प्रमाणपत्र लिए जाते हैं।
इनके पास है फर्जी डिग्री
अभी डब्ल्यूएफआइ को जो प्रमाणपत्र मिले हैं, उनमें तीन गोवा और दो उत्तर प्रदेश के हैं जिन्होंने फर्जी प्रमाणपत्रों का इस्तेमाल किया। गोवा के सत्यम शुक्ला ने इस साल सूरत में हुई 38वीं पुरुष फ्रीस्टाइल, ग्रीको रोमन स्टाइल और 21वीं महिला जूनियर राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप में 65 किग्रा में हिस्सा लेने का प्रमाणपत्र दिखाया जबकि गोवा के अभिषेक सिंह इस चैंपियनशिप में 60 किग्रा ग्रीकोरोमन में हिस्सा लेने का दावा प्रमाणपत्र के माध्यम से कर रहे हैं।
वहीं, गोवा के पियूषकांत यादव ने भी इस साल पुणे में पहली ट्रेडिशनल सीनियर पुरुष फ्री स्टाइल राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप में हिस्सा लेने का प्रमाणपत्र बनाया हुआ है। उत्तर प्रदेश से गौरव चौधरी पिछले साल जयपुर में हुई 37वीं पुरुष फ्रीस्टाइल, ग्रीको रोमन और 20वीं महिला जूनियर राष्ट्रीय चैंपियनशिप में 82 किग्रा में खेलने का दावा कर रहे हैं जबकि इसी चैंपियनशिप में मुकुल सहरावत ने 61 किग्रा का प्रमाणपत्र बनाया हुआ है। डब्ल्यूएफआइ ने इन प्रमाणपत्रों को फर्जी बताया है।